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सरकार ने कृषि कानून में किन-किन बदलावों पर हामी भर ली है, जान लीजिए

अमित शाह संग किसानों की बैठक बेनतीजा रहने के बाद सरकार ने नया ऑफर दिया है

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मोदी सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों के पास किसान कानून में बदलाव करने का प्रस्ताव भेजा है.
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अमित
9 दिसंबर 2020 (Updated: 9 दिसंबर 2020, 09:29 AM IST) कॉमेंट्स
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किसानों के 14 दिन से चल रहे धरना प्रदर्शन के बीच सरकार ने विवाद को सुलझाने के लिए अपने प्रस्ताव सामने रखे हैं. कहा है कि वह किसान बिलों में कुछ सुधार कर सकती है. इनके जरिए किसानों की सारी आशंकाओं को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. सूत्रों कहना है कि APMC यानी मंडी समिति, फ्री मार्केट पर एकजैसे टैक्स की बात पर सरकार राजी दिख रही है. नए कानून में प्राइवेट खरीदार से किसी भी तरह का टैक्स नहीं लेने की बात है, जबकि एपीएमसी मंडियों से टैक्स लिया जाएगा. किसानों की मांग है कि सरकार एपीएमसी को भी टैक्स मुक्त कर दे. इनके अलावा, सरकार के प्रस्ताव में क्या-क्या है, आइए बताते हैं. सरकार ने इन बातों पर राजी होने के संकेत दिए # सरकार किसानों के लिए एक फार्मर्स ट्रिब्यूनल या खास कोर्ट बनाने को तैयार है, जिससे उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स के खिलाफ संरक्षण मिल सके. फिलहाल कानून में सिर्फ एसडीएम के जरिए विवादों के निपटारे का प्रावधान है # सरकार ने कहा है कि खरीदार के रजिस्ट्रेशन का नया सिस्टम भी बनाया जाएगा. इसमें हर ट्रेडर को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वेरिफिकेशन के बाद ही उसे खरीद की आजादी दी जाएगी. फिलहाल के कानून में कोई भी सिर्फ पैन कार्ड होने पर खरीदार बन सकता है. # सरकार कॉन्ट्रैक्ट पर खेती के कानून में बदलाव को भी राजी है. सरकार इस बात की गारंटी देने को तैयार है कि किसान की जमीन पर इसका कोई असर नहीं होगा. कॉन्ट्रैक्टर अगर लोन भी लेता है तो इससे किसान की जमीन को गिरवी नहीं रखा जा सकेगा. # सरकार लिखित में यह देने को राजी है कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी एमएसपी और सरकारी खरीद को कभी खत्म नहीं किया जाएगा. # सरकार पराली जलाने पर पेनाल्टी और इलेक्ट्रिसिटी ऑर्डिनेंस को भी वापस लेने को तैयार है.  इलेक्ट्रिसिटी ऑर्डिनेंस में सब्सिडी हटाने की बात है. # सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि वह किसान आंदोलन में शामिल नेताओं और दूसरे बड़े नेताओं को खिलाफ मामले और एफआईआर भी वापस ले लेगी. किसान नेता बोले- कई मुद्दों पर बात बाकी किसानों की तरफ से सरकार के साथ वार्ता में शामिल राजा राम सिंह का कहना है कि सरकार के प्रस्ताव उन्हें अभी मिले हैं. लेकिन उनमें कहीं भी आवश्यक सेवा अधिनियम पर कोई बात नहीं कही गई है. कॉर्पोरेट्स से जमीन के होने वाले नुकसान पर भी खास कुछ नहीं है. हम फिर से बात करेंगे. उन्होंने कहा,
सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार एक्ट को हटाने के लिए तैयार नहीं है. एग्रीकल्चर राज्य का विषय है. वह इसे पूरी तरह से केंद्रीकृत करने पर उतारू है. वह राज्य सरकारों की ताकत को खत्म करना चाहती है.
बता दें, गृह मंत्री अमित शाह और कुछ किसान नेताओं के बीच मंगलवार की रात हुई बैठक विफल रही थी. सरकार ने किसानों को कृषि कानून में संशोधन का लिखित प्रस्ताव भेजा है. इसे लेकर  किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर बैठक कर रहे हैं. सरकार के प्रस्ताव पर वे राजी हैं या नहीं, इसकी जानकारी किसान अपनी मीटिंग के बाद देंगे.

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