'वकील दिल्लीवाले' पर रामवृक्ष ने किया सबसे ज्यादा पैसा खर्च
घरवालों ने रामवृक्ष की लाश लेने से किया इंकार, तो पुलिस प्रशासन ने फूंका.
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रामवृक्ष यादव
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, रामवृक्ष यादव की ऑर्गेनाइजेशन स्वाधीन भारत सुभाष सेना को गुजरात, ओडिशा जैसे राज्यों से फंड मिलता था. न्यूजपेपर को मिले दस्तावेजों में बीते हफ्ते तक की ट्रांजेक्शन की जानकारी है. दस्तावेजों के मुताबिक, रामवृक्ष यादव का सबसे ज्यादा पइसा दिल्ली के वकील पर खर्च होता था. खर्च वाले कॉलम में 'वकील दिल्लीवाले' को सबसे ज्यादा पैसे देने की एंट्री दर्ज है. हालांकि वकील के नाम का खुलासा नहीं हो पाया है.
ये वकील रामवृक्ष यादव के खिलाफ पुलिस के केसों में बचाव करता थे. 2014 में रामवृक्ष यादव ने वकील को 1 लाख 20 हजार रुपये सौंपे. दिल्ली से मथुरा कार से आने के लिए 5 हजार रुपये भी दिए गए. किराए की कार में भी स्वाधीन भारत सुभाष सेना का अच्छा खासा पइसा खर्च होता था. 2014 के शुरुआती महीनों की जवाहर बाग में बसने में करीब 32 लाख रुपये खर्च किए गए. इसके अलावा 'सत्याग्रहियों' के टेंटों के रेनोवेशन में 22 हजार रुपये खर्च हुए. 6 हजार रुपये पानी का जुगाड़ करवाने में लगे.'वकील दिल्लीवाले' को एक बार 25 हजार रुपये फीस और 6500 रुपये कोर्ट को दिए जाने वाले वॉरेंट अमाउंट के लिए दिए गए. 18 जुलाई 2014 की एक एंट्री के मुताबिक, जवाहर बाग के अंदर रामवृक्ष यादव के पूरे सेटअप को खड़ा करने में 47 लाख रुपये खर्च आया. जिसमें 75 हजार रुपये मध्यप्रदेश, पंजाब, कानपुर और दिल्ली से गाड़ियां किराए पर लेने को लेकर खर्च हुए.

jरामवृक्ष के रजिस्टर का पन्ना
इसके अलावा सुभाष सेना को 2 लाख 24 हजार रुपये सेवा के लिए कटक से मिले. रतन सिंह और कंडावती गुप्ता ने 10 हजार रुपये डोनेट किए. इसके अलावा रामवृक्ष यादव के 1500 रुपये बिहार के डॉक्टर को दिए जाने के नाम की एंट्री से दर्ज हैं.
रामवृक्ष की लाश लेने से इंकार रामवृझ यादव मारा जा चुका है. मथुरा के डीएम और एसएसपी का ट्रांसफर कर दिया गया है. वाइफ, बेटा और बहू फरार हैं. यूपी गाजीपुर के गांव रायपुर बाघपुर के उसके रिश्तेदारों ने शव लेने से मना कर दिया है. रामवृक्ष का एक भाई आर्मी सेना में नौकरी करता है. उनने भी शव लेने से मना कर दिया. आखिर में पुलिस और प्रशासन ने मिलकर शव को फूंका.
बता दें कि रामवृक्ष यादव ने जवाहर बाग की 300 एकड़ की सरकारी जमीन पर कब्जा जमाया हुआ था. पुलिस कब्जा छुड़वाने गई तो फायरिंग कर दी. दो पुलिस अधिकारी शहीद हुए. कुल 24 लोगों की जान गई.
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