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जवाहरबाग रामवृक्ष के नाम पट्टा होने में सिर्फ दो महीने रह गए थे

पंकज यादव ने जयगुरुदेव की सारी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया और रामवृक्ष को निकाल फेंका. तब उसने बनाया मास्टर प्लान.

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जागृतिक जग्गू
8 जून 2016 (Updated: 8 जून 2016, 12:54 PM IST) कॉमेंट्स
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मथुरा कांड में रामवृक्ष यादव का साथी था राकेश गुप्ता. उसे सस्पेंड कर दिया गया है. राकेश प्रसिद्धपुर, बंदायूं में कोऑपरेटिव बैंक का प्रभारी सचिव था. उसके गोदाम को भी सील कर दिया गया है. ये भी जय गुरुदेव का चेला था. फिलहाल फरार है. Rakesh मथुरा के जवाहर बाग में हुई मारकाट में रामवृक्ष यादव की मौत हो चुकी है. लेकिन उस केस के खुलासे हैं कि रूकने का नाम नहीं ले रहे.  सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने अगर दो महीने और चुप्पी साधी होती तो जवाहर बाग रामवृक्ष यादव के नाम पट्टा हो जाता. 90 साल के पट्टे पर 280 एकड़ की जमीन "असत्याग्रही संस्था" को कौड़ियों के दाम पर मिल गई होती. बाबा जयगुरुदेव के तीन चेले हुआ करते थे. पहला था पंकज यादव जो उनका ड्राइवर रहा. रामवृक्ष यादव उनका दूसरा चेला था. गाजीपुर में रहता था और उनका सेवक भी था. बाबा का तीसरा चेला था उमाकांत तिवारी. पंकज यादव इटावा का रहने वाला है. इसका फायदा उसे मिला. उसने समाजवादी पार्टी से अपने संबंध अच्छे बना लिए. और इसी के दम पर उसने मथुरा-दिल्ली हाईवे पर जयदेवगुरु के डेढ़ सौ एकड़ में फैले आश्रम की संपत्ति पर कब्जा कर लिया. इसके साथ ही आस-पास के इलाकों में बसे बाबा के आश्रम की संपत्ति पर भी हाथ साफ कर दिया. पंकज द्वारा कब्जाई संपत्ति की कीमत तकरीबन 15 हजार करोड़ है. बाबा की सारी संपत्ति को हथियाने के बाद पंकज ने अपने पटीदार रामवृक्ष यादव को आश्रम से बाहर निकाल फेंका. इससे बौखलाए रामवृक्ष यादव ने पंकज को सबक सिखाने का मन बना लिया और अपनी पावर्स बढ़ाने में जुट गया. ताकि एक दिन वो पंकज से बदला ले सके. और बाबा जयगुरुदेव की संपत्ति पर कब्जा कर सके. 2014 में रामवृक्ष को बदला लेने का पहला मौका मिला. जब मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव ने फिरोजाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव के दौरान रामवृक्ष ने अपने 3 हजार समर्थकों के साथ रात-दिन प्रचार-प्रसार किया. ये समर्थक रामवृक्ष के साथ जयगुरुदेव के वक्त से ही जुड़े थे. 2014 चुनाव में रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव की धमाकेदार जीत हुई. इस जीत में रामवृक्ष का अहम योगदान था. चुनाव में रामवृक्ष ने मेहनत की, बदले में जवाहरबाग में कब्जा करने का प्लान बनाया. उसने वहां तीन सौ एकड़ जमीन पर अपना खूंटा गाड़ दिया. सुभाष चंद्र बोस के नाम पर अजीब सी मांगें रख कर सो कॉल्ड धरना शुरू किया. उसने ऐसी मांगे इसलिए की ताकि ये कभी पूरी न हो. और इन मांगो की आड़ मे वो हमेशा के लिए जमीन पर धरना जमाये रहे. इस मामले को लेकर उमा भारती ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि रामवृक्ष यादव के जरिए मुलायम सिंह यादव और उनका परिवार बाबा जयदेवगुरु की संपत्ति पर कब्जा करना चाहता था. परिवार में एक वक्त के बाद कब्जे को लेकर फूट पड़ गई. इसलिए रामवृक्ष को प्लानिंग के साथ निपटा दिया गया. वो जिंदा होता तो इस मसले पर कई खुलासे करता. प्रदेश सरकार के एक बड़े नेता के फोन करते ही ढाई साल पहले तत्कालीन डीएम-एसएसपी ने रामवृक्ष को जवाहरबाग में दो दिन के सत्याग्रह की अनुमति दी. आज ये लोग सरकार में कोई न कोई पद पाकर जमे हैं. रामवृक्ष इसी जुगाड़ में था कि जमीन अपने नाम करा ले. पर ऐसा न हुआ. इस काम में आगे कोई दिक्कत न आए उसके लिए रामवृक्ष ने खासतौर पर डीएम राजेश कुमार और एसएसपी राकेश कुमार की तैनाती करा ली. यही वजह थी कि पिछले ढाई साल से वो अपने समर्थकों के साथ बाग में कूल्हे टिकाए हुए था. तभी तो किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कि वो बाग को खाली करा सके. जवाहरबाग की जमीन पर  उसने पूरा ताम-झाम फैला रखा था. लेकिन तभी मथुरा के बॉर काउंसिल के अध्यक्ष रहे वकील विजयपाल सिंह तोमर ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में एक पीआईएल डाल दिया था. जिसपर अदालत ने मथुरा प्रशासन को कब्जा हटाने का आदेश दे दिया. अदालत का आदेश होने के बावजूद रामवृक्ष ने अपने पावर और संबंधों का इस्तेमाल कर कब्जा हटने नहीं दिया. बात नहीं बनी तो आखिर में अदालत में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की अर्जी लग गयी तो मथुरा प्रशासन के पास जवाहर बाग खाली कराने के अलावा कोई चारा नहीं बचा. तो 2 जून को जब SP पुलिस फोर्स के साथ वहां जमीन खाली कराने पहुंचे तो बवाल हो गया. मथुरा के SP सिटी और थानाध्यक्ष समेत दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जाने चली गई. और दो साल से ज्यादा वक्त से मथुरा के लोगों के लिए सिरदर्द बना रामवृक्ष जबाहर बाग में जयगुरुदेव के साम्राज्य पर काबिज होने की उम्मीद लिए मौत के मुंह में समा गया. मथुरा: रामवृक्ष यादव के गुंडों ने SP-SHO को मार डाला, कुल 22 की मौतमथुरा: SP मुकुल द्विवेदी के सिर पर पड़ा डंडा, तो मैदान छोड़ भागे पुलिसवाले'वकील दिल्लीवाले' पर रामवृक्ष ने किया सबसे ज्यादा पैसा खर्च'रामवृक्ष जिंदा होता तो मुलायम फैमिली फंस जाती, साजिशन मरवाया गया'

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