जब आप सो रहे थे, तो पुतिन ने गंदा बयान दिया, जनता ने भड़ककर ऐसे बदला लिया
रूसी जनता इकट्ठा हो गई, पूरी दुनिया में भयानक बवाल!

रूस में बड़े स्तर पर युद्ध-विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. बुधवार, 21 सितंबर को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मिलट्री ड्राफ्ट का आदेश जारी किया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये पहली बार है जब रूस में मिलट्री ड्राफ्ट जारी किया गया है. इसका सीधा मतलब है कि रूस के आम नागरिकों में जो भी युद्ध लड़ने लायक होगा, उसे सेना में शामिल किया जाएगा. यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच व्लादिमीर पुतिन के इस कदम से रूस के नागरिक बहुत ज्यादा नाराज हैं. मिलट्री ड्राफ्ट ऑर्डर के कुछ ही घंटों बाद रूसी नागरिक बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए.
जबरन सैन्य भर्ती के खिलाफ रूस में प्रदर्शनदी गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सुरक्षा बलों ने अब तक 1300 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है. रूस में मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन ओवीडी-इन्फो ने बताया है कि देश के 38 शहरों में मिलट्री ड्राफ्ट के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. रूस में बिना स्वीकृति के रैली निकालना अवैध है. इसके बावजूद इतनी जगहों पर विरोध प्रदर्शन होना बताता है कि लोग पुतिन के फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हैं. प्रदर्शनों में शामिल 1311 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है. इनमें मॉस्को के 502 और सैंट पीटर्सबर्ग के 504 प्रदर्शनकारी शामिल हैं.
हालांकि रूसी सरकार ने इन प्रदर्शनों को मामूली करार दिया है. रूसी गृह मंत्रालय के एक अधिकारी इरिना वोल्क ने बयान जारी कर कहा कि अधिकारियों ने प्रदर्शन की कोशिशों को कंट्रोल कर लिया है. रूस की सरकारी न्यूज एजेंसियों ने मंत्रालय के हवाले से बताया,
“कुछ इलाकों में अनधिकृत विरोध प्रदर्शन करने की कोशिशें हुईं जिनमें बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया. इन सभी को रोक दिया गया है. जिन लोगों ने कानून तोड़ा उन्हें डिटेन कर जांच के लिए पुलिस स्टेशन ले जाया गया है.”
‘दी वेसना’ रूसी सरकार के खिलाफ विपक्ष के एक अभियान का नाम है. दी गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक दी वेसना के तहत ही लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुलाया गया था. उसकी तरफ से बयान जारी कर कहा गया है,
“हजारों रूसी पुरुषों, हमारे पिता, भाइयों और पतियों को, जबरन युद्ध में झोंक दिया जाएगा. आखिर वो किस चीज के लिए अपनी जान देंगे? मांएं और बच्चे किस बात के लिए रोएंगे?”
फरवरी 2022 के अंत में पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी थी. तब से ही रूस में उनके इस फैसले का विरोध होता रहा है. लेकिन बुधवार को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध-विरोधी प्रदर्शन देखने को मिले. इसमें युद्ध के लिए आम नागरिकों को सेना में शामिल करने के फैसले के खिलाफ नारे लगाए गए. रिपोर्टों के मुताबिक विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था,
"हर कोई डरा हुआ है. मैं शांति चाहता हूं. मुझे किसी को गोली नहीं मारनी. अब (विरोध के लिए) बाहर निकलना बहुत खतरनाक है."
एक और प्रदर्शनकारी ने कहा,
"मैं रैली में भाग लेने के लिए आया था, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने पहले ही सबको गिरफ्तार कर लिया है. इस सरकार ने खुद को दोषी साबित कर दिया है और युवाओं को बर्बाद कर रही है."
वहीं आगे और ऐसे प्रदर्शन होने की आशंका में मॉस्को स्थित अभियोक्ता कार्यालय ने चेतावनी दी है कि विरोध प्रदर्शन आयोजित करने या उनमें शामिल होने पर 15 साल तक की जेल हो सकती है. सरकार के दूसरे अधिकारियों की तरफ से भी इसी तरह की चेतावनियां दी गई हैं.
तीन लाख भर्तियों के लिए दिया आदेशये सारा हंगामा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उस घोषणा के बाद शुरू हुआ जिसमें उन्होंने रूसी सेना में तीन लाख नई भर्तियों के लिए मिलट्री ड्राफ्ट का आदेश दिया था. ऐसा तब किया जाता है जब किसी देश को युद्ध के लिए सैनिकों की जरूरत हो, लेकिन इसके लिए पर्याप्त वॉलंटियर्स ना हों. ऐसे में कन्स्क्रिप्शन यानी जबरन भर्ती का आदेश जारी किया जाता है. इसके तहत जो भी नागरिक युद्ध लड़ने लायक पाया जाता है, उसे अस्थायी तौर पर सेना में भर्ती होना पड़ता है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन से युद्ध में रूसी सेना के करीब छह हजार जवान मारे जा चुके हैं. राष्ट्रपति पुतिन ने फरवरी में युद्ध की घोषणा करने से पहले इसकी कल्पना तक नहीं की होगी. ऐसे में यूक्रेनी सेना के खिलाफ जंग में रूस की सेना के सपोर्ट के लिए अब वहां के लिए नागरिकों को जबरन सेना में भर्ती किया जाएगा.
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