मैतई-कुकी संघर्ष: लूटे गए सरकारी हथियार नहीं अब उपद्रवियों के हाथों में हैं हाईटेक हथियार, सुरक्षा एजेंसियां टेंशन में
Manipur Violence News : Meitei-Kuki जातीय संघर्ष में अब M16, M18 और M4A1 कार्बाइन जैसी असॉल्ट राइफल्स की एंट्री हो गई है. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई तरह की चुनौतियां आ खड़ी हुई है.

बीते साल जब मणिपुर में मैतई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष शुरू हुआ, तो ख़बर आई कि सरकारी शस्त्रागार से लगभग 6,000 लूटे गए. लेकिन अब पता चला है कि ताज़ा संघर्षों में जो हथियार इस्तेमाल हो रहे हैं, उनमें क़रीब 30 प्रतिशत ऐसे हैं जो लूटे गए हथियारों से भी हाईटेक हैं. मणिपुर के जातीय संघर्ष में अब M16, M18 और M4A1 कार्बाइन जैसी असॉल्ट राइफल्स घुस आए हैं. ये सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई तरह की चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं.
सुरक्षा बलों और पुलिस ने मैतेई और कुकी-ज़ोमी पक्षों को अलग करने वाले सीमांत क्षेत्रों में तलाशी अभियान चलाए. इनमें लगभग 2,600 हथियार बरामद किए गए हैं. हालांकि, इनमें से सिर्फ़ 1,200 हथियार शस्त्रागारों में लूटे गए (6,000 हथियारों में से) हैं. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, एक अधिकारी ने बताया कि इनमें 800 हथियार कहीं और से ख़रीदे गए अत्याधुनिक वैपन हैं और बाक़ी 600 देसी तरीक़े से बनाए गए कच्चे हथियार हैं.
अधिकारी ने कहा कि दोनों तरफ़ के उग्रवादी समूहों से इसके इस्तेमाल में बढ़ोतरी दिखी है. जहां एक तरफ़ मैतई लोगों के पास से (घाटी-आधारित उग्रवाही ग्रुप्स के ज़रिए) अच्छी गुणवत्ता वाले (ऑटोमेटिक और लंबी दूरी के) हथियार मिले हैं. वहीं, कुकी लोगों के पास भी SoO ग्रुप्स (केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सस्पेंशन ऑफ़ ऑपरेशन समझौते पर साइन करने वाले उग्रवादी समूह) से उसी क्षमता वाले हथियार मौजूद हैं.
अधिकारियों का कहना है कि संघर्ष बढ़ने के साथ-साथ हथियार ज़्यादा प्रभावी और घातक होते जा रहे हैं. हाल ही में, 5 किलोमीटर की रेंज वाले इम्प्रोवाइज़ड रॉकेट्स ने मोइरांग कस्बे में दहशत फैलाई थी. जबकि मोइरांग को पहले सुरक्षित क्षेत्र माना जाता था. 6 सितंबर को भी मणिपुर के पहले मुख्यमंत्री दिवंगत एम कोइरेंग सिंह के घर पर एक रॉकेट गिरा था, जहां एक पुजारी की मौत भी हो गई. इन सबसे सुरक्षा बलों के सामने चुनौती बढ़ती जा रही है.
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अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को आगे बताया कि कुकी समुदाय के पास इम्प्रोवाइज़ड 'पंपी' हैं, जो मूल रूप से मोर्टार हैं. ये एक बैरल है, जिसमें वो कुछ भी डाल सकते हैं. आप नीचे एक प्रणोदक (Propellant) डालते हैं, एक माचिस जलाते हैं और ये अपना काम कर जाती हैं. हालांकि इन्हें आसानी से उपलब्ध सामानों से बनाया जा सकता है, ये कोई रॉकेट साइंस वाला काम नहीं है. लेकिन 5 किमी दूर तक गोल करना आसान भी नहीं.
एक और हथियार जिसने चिंता बढ़ाई, वो है कच्चे बम ले जाने वाले ड्रोन. इसका इस्तेमाल इंफाल पश्चिम के कोटरुक गांव पर हमला करने के लिए किया गया था. इन उपकरणों का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जाता है.
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