सांसदी जाने के बाद महुआ मोइत्रा पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, एथिक्स कमेटी पर ही सवाल उठा दिया
मोइत्रा ने दावा किया था कि एथिक्स कमेटी के पास उन्हें निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है और यह बीजेपी के अंत की शुरुआत है.

TMC नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले (Cash for Query) में लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. TMC सांसद अब इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. महुआ ने अपनी सदस्यता रद्द करने की प्रक्रिया को गैर कानूनी बताया है. इस मामले से बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी (Darshan Hiranandani) का भी नाम जुड़ा है.
8 नवंबर को महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बाद उनके निष्कासन का प्रस्ताव सदन में पेश हुआ था. मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया था. वोटिंग के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ. ANI के अनुसार, इस दौरान मोइत्रा को सदन के अंदर बोलने की इजाजत नहीं दी गई थी. इसके बाद उन्होंने लोकसभा के बाहर अपना बयान पढ़ा था. उन्होंने कहा,
"यह विडंबना है कि जिस एथिक्स कमेटी को एक नैतिक दिशा-निर्देश के रूप में बनाया गया था, आज उसका दुरूपयोग किया जा रहा है."
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महुआ ने आगे कहा कि विपक्ष को कुचलने के लिए एथिक्स कमेटी का इस्तेमाल किया जा रहा है.
मोइत्रा ने दावा किया था कि एथिक्स कमेटी के पास उन्हें निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है और यह बीजेपी के अंत की शुरुआत है.
इससे पहले, 2 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. इस मीटिंग में TMC ने सांसद मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों के संबंध में चर्चा कराने की मांग की थी.
क्या है ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामलाबीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेने का आरोप लगाया था. दुबे ने पैसे देने वाले का नाम भी लिया- बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी. TMC सांसद पर लगे आरोपों की शिकायत संसद की एथिक्स कमेटी को भेजी गई थी. कमेटी ने जांच के बाद इन आरोपों को सही ठहराया था.
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