महाराष्ट्र में 8 हजार सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर क्यों चले गए हैं?
'हॉस्टल में बहुत सारे चूहे घूमते हैं, स्टाइपेंड टाइम पर नहीं मिलता', महाराष्ट्र में हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों ने क्या-क्या बताया?
महाराष्ट्र में तकरीबन 8 हजार रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. महाराष्ट्र के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर 22 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल बैठे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने उनके स्टाइपेंड बढ़ाने और हॉस्टल से जुड़ी मांगों को पूरा नहीं किया है.
डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की सूचना सेंट्रल MARD (महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स) ने 21 फरवरी को दी थी. MARD ने कहा था कि हड़ताल के दौरान लोगों को जरूरी मेडिकल केयर देने के लिए इमरजेंसी सर्विसेज जारी रहेंगी.
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हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों ने क्या कहा?आजतक के मुस्तफा शेख ने महाराष्ट्र में हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों से बात की. डॉक्टरों ने बताया कि उनकी एक मांग हॉस्टल से जुड़ी है, जहां वो बेहद बुरी हालत में रहते हैं. एक डॉक्टर ने बताया,
“हमारे हॉस्टल पुराने जमाने के हैं. बारिश के मौसम में पानी लीक करता है. रूम में पानी जमा हो जाता है. हॉस्टल में बहुत सारे चूहे घूमते रहते हैं. हमेशा पाइप चोक हो जाता है, नहाना तक मुश्किल हो जाता है. प्लास्टर गिरता रहता है, जो कि खतरनाक हो सकता है.”
डॉक्टरों की दूसरी मांग उनके मिलने वाले स्टाइपेंड से जुड़ी है. डॉक्टरों की मांग है कि सबसे पहले तो उनका स्टाइपेंड समय पर मिले. एक रेजिडेंट डॉक्टर का दावा है कि उन्हें अपने स्टाइपेंड के लिए अक्सर दो-दो महीने इंतजार करना पड़ता है. वहीं डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाए जाने की भी मांग कर रहे हैं.
डॉक्टरों ने बताया कि उनकी महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजित पवार के साथ 7 फरवरी को मीटिंग हुई थी. कहा गया था कि उनकी मांगें मान ली जाएंगी.
डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें तब कहा गया था कि 2 दिनों में गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन निकलेगा, इसलिए तब हड़ताल रोक दिया गया था. दो हफ्ते बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इसलिए अब उन्हें हड़ताल पर बैठना पड़ा है. जब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता, तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी.
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