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महाराष्ट्र सरकार का आदेश- फोन पर 'हेलो' नहीं, आज से 'वंदे मातरम' कहना है

महाराष्ट्र के सभी सरकारी संस्थानों पर लागू होगा ये आदेश.

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Eknath Shinde
मंत्रालय ने कहा- 'हेलो' पश्चिमी संस्कृति की नक़ल है. (फोटो - फाइल)
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सोम शेखर
2 अक्तूबर 2022 (Updated: 2 अक्तूबर 2022, 05:20 PM IST)
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हेलो! हेलो! आवाज़ नहीं आ रही.. हेलो!

अब महाराष्ट्र (Maharashtra) के सरकारी कर्मचारी ऐसा नहीं बोल सकते. 'आवाज़ नहीं आ रही' बोल सकते हैं. 'हेलो' नहीं बोल सकते. महाराष्ट्र सरकार ने 1 अक्टूबर को एक सरकारी रेज़ोल्यूशन (GR) जारी किया है. सरल भाषा में आप इसे सरकारी आदेश कह सकते हैं. रेज़ोल्यूशन के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों को अब फोन उठाते हुए 'हेलो' (hello) के बजाय 'वंदे मातरम' (Vande Mataram) बोलना होगा. ये सभी सरकारी और सरकार के द्वारा फ़ंड किए जाने वाले संस्थानों पर लागू होगा.

इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, रेज़ॉल्यूशन में आगे कहा गया है कि 'हेलो' पश्चिम से आया है. ये पश्चिमी संस्कृति की नक़ल है और बेमतलब का अभिवादन है. ये लगाव का कोई भाव पैदा नहीं करता. 

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार कह चुके हैं,

"देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और इसके अनुरूप ये तय किया गया है कि सरकारी कर्मचारी अब हेलो नहीं बोलेंगे. बल्कि, वंदे मातरम से टेलीफोन पर बातचीत शुरू करेंगे. 'हेलो' जैसे अर्थहीन अभिवादन को 'वंदे मातरम' से बदलने से राष्ट्रीय गौरव भी पैदा होगा."

महाराष्ट्र में इस बारे में अगस्त से ही बात चल रही थी. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ. सुधीर मुनगंटीवार को राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय का प्रभार दिया गया. प्रभार दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद, सुधीर ने अपने विभाग में अपने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वो फोन पर 'हेलो' की जगह 'वंदे मातरम' बोलें.

ये ऑर्डर 2 अक्टूब से सभी सरकारी, सेमी-सरकारी, लोकल सिविक बॉडीज़, सरकारी स्कूल, कॉलेजों में लागू होगा.

हेलो आया कहां से?

‘हेलो’ तो जा रहा है. महाराष्ट्र से. तो जाते-जाते हेलो के बारे में कुछ बातें जान लेते हैं. एक बहुत आम भ्रम है कि हेलो दुनिया में सबसे ज़्यादा बोले जाने वाले शब्दों में से एक है. और, टेलीफोन का अविष्कार करने वाले अलैग्ज़ैंडर ग्राहम बेल ने हेलो बोलना प्रचलित किया. दोनों बातें ग़लत हैं. 

मेरियम-वेब्सटर डिक्शनरी के मुताबिक़, हेलो का प्रचलन 19वीं शताब्दी के शुरुआत में हुआ था. यानी अंग्रेज़ी के इतिहास में ये एक बहुत नया शब्द है. और, दूसरा ये कि ग्राहम बेल फोन पर अभिवादन करने के लिए हेलो नहीं, एहॉय (ahoy) का इस्तेमाल करवाना चाहते थे. लेकिन थॉमस एडिशन माने नहीं, और हम अब हेलो बोलते हैं.

वीडियो - क्या ऑस्ट्रेलिया में जीत के बाद इंडियन फैंस स्टेडियम में वन्दे मातरम गाने लगे?

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