The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • madhya pradesh cabinet approves religious freedom bill

मध्य प्रदेश में भी 'लव जिहाद' कानून लागू, शिवराज कैबिनेट ने लगाई मुहर

जानिए इस कानून में क्या प्रावधान रखे गए हैं.

Advertisement
Shivraj Singh
मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान. फाइल फोटो.
pic
Varun Kumar
26 दिसंबर 2020 (Updated: 26 दिसंबर 2020, 09:34 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
मध्य प्रदेश में तीन दिवसीय विधानसभा सत्र 28 दिसंबर से शुरू होना है. इससे पहले शनिवार 26 दिसंबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई. इस बैठक में मध्य प्रदेश कैबिनेट ने धर्म स्वतंत्रता विधेयक, 2020 के मसौदे को मंजूरी दे दी. प्रस्तावित कानून के तहत, किसी को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर करने पर 5 साल तक की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. मीडिया को संबोधित करते हुए, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि नाबालिग के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में, जेल की अवधि दस साल तक होगी. उन्होंने कहा-
"नए एमपी फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल 2020 के तहत, नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले को 50 हजार रुपये के न्यूनतम दंड के साथ 10 साल तक की जेल होगी."
https://twitter.com/drnarottammisra/status/1342713965671936002 उन्होंने कहा कि समूह में धर्मांतरण कराने पर 10 साल की जेल और एक लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. मध्यप्रदेश का कानून देश में सबसे कड़ा धर्म परिवर्तन कानून है. https://twitter.com/drnarottammisra/status/1342720890841178114 आपको बता दें कि नया कानून वर्तमान में लागू एमपी धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 की जगह लेगा. बीजेपी सरकार के मुताबिक 1968 का कानून अब पुराना हो चुका है. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि नए कानून में धर्म संपरिवर्तन के आशय से किया गया विवाह शून्य घोषित करने के साथ महिला और उसके बच्चों के भरण पोषण का हकदार करने का प्रावधान भी किया गया है. ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे. हालांकि यूपी के कानून की तरह इस कानून में जिलाधिकारी को धर्म परिवर्तन की सूचना नहीं देनी होगी. इस तरह धर्म परिवर्तन के लिए अगर कोई शख्स संबंधित धर्म के गुरु से संपर्क करता है तो उसे (धर्मगुरु को) जिला प्रशासन को इसके बारे में जानकारी देनी होगी. https://twitter.com/drnarottammisra/status/1342748472731000832 गौरतलब है कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मांग की थी कि ऐसे मामलों में अपराधियों को कठोर दंड दिया जाए, लेकिन अधिकारियों ने कहा था कि यह केवल अदालतों के दायरे में ही हो सकता है. पहले ये मसौदा 22 दिसंबर को एक कैबिनेट मीटिंग में पेश किया जाने वाला था. सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि इस पर कुछ सुझावों के चलते 26 दिसंबर को एक विशेष सत्र तक के लिए इसे स्थगित कर दिया गया था.

Advertisement