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परिवार वाले राजी थे, फिर भी पुलिस ने रुकवा दी हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी

नए धर्मांतरण विरोधी कानून का हवाला देकर कहा, पहले परमीशन लेकर आओ

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वरमाला के समय लड़का दो का पहाड़ा नहीं सुना पाया, तो लड़की ने शादी तोड़ दी. (सांकेतिक फोटो)
वरमाला के समय लड़का दो का पहाड़ा नहीं सुना पाया, तो लड़की ने शादी तोड़ दी. (सांकेतिक फोटो)
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डेविड
4 दिसंबर 2020 (Updated: 4 दिसंबर 2020, 10:50 AM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ. शादी की तैयारियां हो चुकी थीं. लड़का और लड़की के परिवार भी शादी के लिए राजी थे. शादी पहले हिन्दू रिति-रिवाज से होनी थी. फिर मुस्लिम रीति से. क्योंकि लड़की हिन्दू है और लड़का मुस्लिम. शादी की रस्में हो पातीं, इससे पहले ही पुलिस आई और शादी रुकवा दी. हवाला दिया, हाल ही में लागू किए गए UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020 कानून का. ये मामला है लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र का. बताया जाता है कि कुछ हिंदू संगठनों ने इस शादी के बारे में पुलिस को सूचना दी थी. उसी के बाद पुलिस ने कार्रवाई की. इस बारे में सीनियर पुलिस ऑफिसर सुरेश चंद्र रावत ने मीडिया को बताया,
सूचना मिली थी कि एक समुदाय की लड़की दूसरे समुदाय के लड़के से शादी करना चाह रही थी. इस पर दोनों पक्षों को थाने बुलाया गया. उनको नवीनतम धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश के बारे में बताया गया. उन्हें इसकी कॉपी भी उपलब्ध कराई गई. दोनों पक्षों ने लिखित में सहमति दी कि वे इस संबंध में नियमानुसार जिलाधिकारी महोदय को सूचित करके और उनसे अनुमति लेकर ही शादी जैसी कोई कार्रवाई करेंगे.
परिवारों का क्या कहना है? लड़की के पिता का कहना है कि शादी के लिए कोई जबरन धर्म परिवर्तन नहीं किया गया था. दोनों परिवारों ने बिना शर्त अपनी सहमति दी थी. उन्होंने कहा,
मुझे इस बारे में जानकारी नहीं थी कि अलग धर्म में शादी के लिए अगर दोनों पक्ष राजी हों, तो भी केवल जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बाद ही शादी हो सकती है. पहले इस विवाह के लिए मैजिस्ट्रेट की अनुमति लेंगे, उसके बाद ही शादी करवाएंगे.
लड़के वालों का कहना है कि दोनों परिवारों की आपसी सहमति से ही शादी हो रही थी. लड़के के भाई ने बताया,
परिवार के लोगों को इस कानून के बारे में पता नहीं था. मैं किसी काम से फैजाबाद गया था, जब आया तो मैंने अपने फैमिली को बताया कि एक नया कानून लागू हुआ है, जिसके चलते ऐसा हुआ. मैंने लिखित में पुलिस को दिया है कि जो कानून है, उसी के तहत काम किया जाएगा. यदि डीएम अनुमति देते हैं तो शादी होगी, अन्यथा हम लोग शादी नहीं करेंगे.
गड़े मुर्दे उखाड़ रही है पुलिस? नए धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर यूपी पुलिस की अति सक्रियता का ये अकेला मामला नहीं है. इस कानून के लागू होने के 12 घंटे के अंदर ही बरेली में एक केस दर्ज कर लिया गया था. पुलिस ने 21 साल के मुस्लिम लड़के औवेस अहमद को गिरफ्तार भी कर लिया. हिन्दू लड़की पर शादी के लिए धर्म बदलने का दवाब डालने के आरोप में. पुलिस का दावा है कि लड़का और लड़की पिछले साल अक्टूबर में भाग गए थे. पिता ने अपहरण की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. उसके बाद लड़की की शादी अप्रैल में किसी और से कर दी गई. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अब गिरफ्तारी होने पर लड़के के परिवार का आरोप है कि पुलिस के दवाब में लड़की के परिवार वालों ने केस दर्ज कराया है. गांव के प्रधान सहित कई लोग पुलिस की कार्रवाई से हैरान हैं. ग्राम प्रधान ने भी कहा कि पुलिस का दबाव होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि दोनों परिवारों के बीच विवाद नहीं था. जो मामला था, वो पहले ही सुलझ गया था. अहमद के पिता 70 साल के मोहम्मद रफीक ने आरोप लगाया,
लव जिहाद के आरोप ना केवल दुख पहुंचाने वाले थे, बल्कि डरावने भी थे. लड़की के घर वाले अच्छे हैं. उनसे हमारा कोई विवाद नहीं है. मुझे पता है कि उन्होंने FIR नहीं कराई है. लड़की के पिता ने मुझसे कहा था कि वो इस मामले में पूरा समर्थन करेंगे. लेकिन पुलिस ने तारीफ और प्रमोशन के लिए ये केस किया. पुलिस ने मुझे मारा. लड़की के परिवार वालों को भी धमकी दे रहे हैं.
पुलिस के दबाव की बात पर बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडे ने कहा,
अगर हमें पहले शिकायत मिली होती तो हम पहले केस दर्ज करते. ऐसा भी हो सकता है कि शिकायत 27 नवंबर को आई हो और केस दर्ज हो गया हो, जब कानून पास हुआ.
पुलिस का दावा है कि लड़की और उसके परिवार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था, इसीलिए उन्होंने मामला दर्ज कराया. हालांकि पुलिस का मानना है कि पहले हुई जांच में अहमद के खिलाफ लगे आरोप सही नहीं पाए गए थे. बहरहाल, यूपी सरकार के इस नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका में यूपी के अलावा उत्तराखंड में भी इसी तरह अध्यादेश जारी करके बनाए गए कानून को अवैध और असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. कहा गया है कि ये अध्यादेश संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं. ये कानून मनमाना है. बोलने की आजादी और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है.इसका दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जा सकता है, इससे अराजकता पैदा होगी.

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