सरकार का प्रस्ताव देखकर किसान नेता और क्यों भड़क गए?
आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया है
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किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और आंदोलन को तेज करने की बात कही है.
नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग करते हुए पिछले 14 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों का गुस्सा शांत करने के लिए मोदी सरकार ने कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भेजा, लेकिन आंदोलनकारी किसान नेताओं पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. किसानों ने प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने सरकार पर अड़ियल रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया. किसान संगठनों के नेताओं ने प्रस्ताव पर विचार करने के बाद बुधवार शाम करीब 5 बजे दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फेंस की, और अपनी आगे की रणनीति बताई. उन्होंने क्या कहा, जान लीजिए-# दिल्ली बॉर्डर की घेराबंदी पहले की तरह जारी रहेगी. दिल्ली के भीतर की सड़कें भी जाम की जाएंगी.
# 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर और आगरा-दिल्ली के बीच हाइवे को बंद किया जाएगा.
# 12 दिसंबर से देशभर के टोल प्लाजा को फ्री किया जाएगा, मतलब गाड़ियां से टोल टैक्स नहीं लेने दिया जाएगा.
# देशभर के जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन तेज किया जाएगा
# आंदोलन के हर शहर तक पहुंचाया जाएगा. बीजेपी के स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों का घेराव किया जाएगा.
# दक्षिण भारत में भी आंदोलन तेज किया जाएगा. इसके लिए 14 दिसंबर से दक्षिण भारत के शहरों में धरना प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे.
# किसानों ने देशभर के लोगों से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में दिल्ली की तरफ आएं जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके.
# किसान नेताओं ने रिलायंस कंपनी से भी नारजगी जताई है. उनकी जियो सर्विस और बाकी सेवाओं के बहिष्कार की बात भी कही है.

किसान नेताओं ने अपने आंदोलन को और तेज करने की बात कही है.
सरकार ने भेजा था कई बदलाव करने का प्रस्ताव
इससे पहले, बुधवार 9 दिसंबर को ही सरकार की तरफ से किसानों की मांगों को देखते हुए कृषि कानूनों में कई बदलाव करने का प्रस्ताव किसान नेताओं को भेजा गया था. इसमें MSP, APMC पर भरोसा देने के अलावा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के साथ विवादों की सुनवाई के मैकेनिज्म बनाने को लेकर भी आश्वासन दिया गया था.
लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि इस प्रस्ताव में कोई नई बात नहीं है. उनका कहना है कि सरकार अपने लाए हुए कानूनों को सही ठहराने पर अड़ी हुई है. सरकार से तब तक कोई भी बात मुमकिन नहीं है, जब तक वह किसान कानूनों को रद्द नहीं करती.

सरकार की तरफ से कृषि कानूनों में कुछ सुधार के आश्वासन का प्रस्ताव किसानों के पास पहुंचा था, जिसे उन्होंने नकार दिया.
अगली बैठक कब होगी?
किसान नेताओं से जब सरकार के साथ अगली मुलाकात के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि जब कानून रद्द होंगे, तभी बात होगी. किसान नेताओं ने कहा कि हमारी तरफ से सरकार से मिलने की कोई पहल नहीं की गई थी. सरकार ने हमसे प्रस्तावों को पढ़ने और उन पर गौर करने को कहा, इसलिए हमने शाम तक का वक्त लिया. फिलहाल सभी किसान संगठनों का मानना है कि आंदोलन को जारी रखा जाए.
राजनैतिक दलों ने प्रेसिडेंट से की किसान कानून वापस लेने की मांग
एक तरफ जहां किसानों ने अपने आंदोलन को टस से मस न करने की बात कही है, वहीं राजनैतिक पार्टियों ने राष्ट्रपति से मिलकर किसान कानून रद्द करने की गुहार लगाई. राष्ट्रपति से मिलने गए नेताओं में राहुल गांधी भी शामिल थे. सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि सभी ने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है कि किसान कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को खत्म किया जाए. इन कानूनों को बिना किसी बातचीत और सलाह मशविरे के अलोकतांत्रिक तरीके से पास करवाया गया है. राहुल गांधी ने कहा कि हम भारत के किसानों के साथ खड़े हैं. उन्होंने ट्वीट किया
देश का किसान समझ गया है कि मोदी सरकार ने उन्हें धोखा दिया है और अब वो पीछे नहीं हटने वाला क्योंकि वो जानता है कि अगर आज समझौता कर लिया तो उसका भविष्य नहीं बचेगा. किसान हिंदुस्तान है! हम सब किसान के साथ हैं, डटे रहिए.

विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से मिल कर उन्हें किसान कानून वापस लेने का ज्ञापन सौंपा.
किसानों के तेवर दिनोंदिन तीखे होते जा रहे हैं. एक दिन पहले भारत बंद का आह्वान किया गया था. सरकार ने फिलहाल बुधवार को होने वाली बैठक भी टाल दी है. राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के कारण लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अब अगर दूसरे हाईवे भी बंद किए गए तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं.