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'मंत्रालय बदलना सजा... ', ये कहते हुए किरेन रिजिजू PM मोदी पर क्या बोल गए?

किरेन रिजिजू की पहली प्रतिक्रिया आई

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Kiren Rijiju says removal from law ministry not punishment
किरेन रिजिजू ने नए ऑफिस में कार्यभार संभाला | फोटो: ANI/आजतक
19 मई 2023 (Updated: 19 मई 2023, 12:32 IST)
Updated: 19 मई 2023 12:32 IST
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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कानून मंत्रालय से हटाए जाने पर पहली प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि उन्होंने कानून मंत्री रहते हुए कोई गलती नहीं की. एक मंत्रालय से हटाकर दूसरे में भेजा जाना एक आम प्रक्रिया है. रिजिजू शुक्रवार, 19 मई की सुबह भू विज्ञान मंत्रालय में कार्यभार संभालने पहुंचे थे, इसी दौरान उन्होंने ये बात कही.

न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक किरेन रिजिजू ने भू विज्ञान मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद कहा,

‘विपक्ष निश्चित रूप से मेरी आलोचना करेगा... विपक्ष कोई मेरी तारीफ थोड़ी ना करेगा, इसमें कोई नई बात नहीं है, वो तो मेरे खिलाफ बोलेगा ही. ये बदलाव किसी गलती करने की वजह से नहीं हुआ है. ये फेरबदल प्यार से हुआ है.... मंत्रालय का बदलाव सजा नहीं है, ये तो सरकार की योजना है, एक आम बात है, ये पीएम मोदी का विजन है…’ 

इससे पहले 18 मई को किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया था. उनकी जगह अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया. पीएम नरेंद्र मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंत्रिमंडल में बदलाव को मंजूरी दी. रिजिजू को कानून मंत्रालय से बदलकर भू विज्ञान मंत्रालय सौंपा गया. वहीं, अर्जुन राम मेघवाल को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा कानून और न्याय मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया.

रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए थे 

बीते साल जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच काफी समय तक खींचतान मची रही थी. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि उसने जिन जजों के नाम नियुक्ति के लिए केंद्र को भेजे थे. केंद्र उनकी नियुक्ति को ह्री झड़ी नहीं दिखा रहा.

इस मामले पर किरेन रिजिजू ने देश के सबसे बड़े कोर्ट के खिलाफ कई टिप्पणियां की थीं. उन्होंने कई बार जजों की नियुक्ति करने वाले कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे. रिजिजू ने इसे गैर-संवैधानिक तक बता दिया था.

अक्टूबर 2022 में अहमदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जजों और जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर जमकर सवाल उठाए थे. केंद्रीय मंत्री ने साफ तौर पर कहा था कि उन्होंने महसूस किया है कि जज आधा समय नियुक्तियों की पेचीदगियों में ही व्यस्त रहते हैं, इसकी वजह से न्याय देने की उनकी मुख्य जिम्मेदारी पर असर पड़ता है.

उन्होंने कहा था,

'मैं जानता हूं कि देश के लोग जजों को नियुक्त करने के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं. संविधान की आत्मा के अनुसार जजों को नियुक्त करने की जिम्मेदारी सरकार की है.'

'यहां जज अपने भाई को नियुक्त करते हैं'

किरेन रिजिजू ने जजों पर अपने करीबियों को नियुक्त करने का भी आरोप लगाया था. उनका कहना था,

‘अगर हम संविधान की भावना से चलते हैं तो जजों की नियुक्ति करना सरकार का काम है. दूसरी बात ये है कि भारत को छोड़कर दुनिया में कहीं भी ये प्रथा नहीं है कि न्यायाधीश अपने भाइयों को न्यायाधीश नियुक्त करते हैं.’

अहमदाबाद के कार्यक्रम के दौरान ही केंद्रीय कानून मंत्री ने न्यायपालिका के अंदर चल रही राजनीति पर भी खुलकर बातचीत की थी.

उन्होंने कहा था,

‘ये प्रक्रिया इतनी जटिल है कि मुझे ऐसा कहते हुए खेद है कि इससे ग्रुपिज्म विकसित होता है. नेताओं के बीच राजनीति तो लोग देख सकते हैं. लेकिन, न्यायपालिका के अंदर चल रही राजनीति को नहीं जानते... एक न्यायाधीश आलोचना से तभी ऊपर होगा, अगर वो दूसरे न्यायाधीश के चयन में शामिल नहीं है. लेकिन अगर वो प्रशासनिक कार्यों में शामिल है, तो वह आलोचना से ऊपर नहीं है.’

रिटायर्ड जजों पर भी टिप्पणी कर दी

मार्च 2023 में इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने पूर्व जजों पर भी बड़ी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था,

“कुछ रिटायर्ड जज हैं शायद तीन या चार, जोकि एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए. देश के खिलाफ काम करने वालों को इसकी कीमत चुकानी होगी.”

इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि देश के बाहर और भीतर भारत विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं कि लोकतंत्र खतरे में है. इंडिया में ह्यूमन राइट्स का अस्तित्व नहीं है. एंटी इंडिया ग्रुप जो कहता है, वही भाषा राहुल गांधी भी विदेश जाकर इस्तेमाल करते हैं. इससे भारत की छवि खराब होती है.

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले 350 से ज्यादा वकीलों ने कानून मंत्री किरण रिजिजू के इस बयान की निंदा की थी. इस बयान पर वकीलों के ग्रुप ने एक स्टेटमेंट जारी किया था. उनका कहना था कि केंद्रीय मंत्री को इस तरह बयान देना शोभा नहीं देता है. मंत्री ने ऐसा कर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है.

वीडियो: किरेन रिजिजू को अब जो मंत्रालय मिला, वो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ये ज़रूरी काम करता है!

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