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तिरंगा हटाने पर भारत ने जिस कानून का जिक्र कर ब्रिटेन को खूब सुनाया, उसमें क्या लिखा है?

वियना संधि के तहत आता है ये कानून.

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भारत के विदेश मंत्री जयशंकर, लंदन के तोड़-फोड़ का वीडियो और ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक (फोटो - ट्विटर/अल जज़ीरा)
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21 मार्च 2023 (Updated: 21 मार्च 2023, 19:24 IST)
Updated: 21 मार्च 2023 19:24 IST
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लंदन में खालिस्तान समर्थकों (Khalistan Supporter) ने भारतीय हाई कमीशन में तोड़-फोड़ की और भारत का झंडा उतार दिया. इसके कुछ घंटों बाद भारत सरकार ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज करवाया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने डिप्टी हाई कमिशनर क्रिस्टीना स्कॉट को एक बयान जारी किया,

"ब्रिटिश सुरक्षा की ग़ैर-मौजूदगी के लिए मंत्रायल से एक स्पष्टीकरण मांगा गया है. साथ ही उप उच्चायुक्त स्कॉट को वियना संधि के तहत यूके सरकार के बुनियादी दायित्व याद दिलाए गए हैं."

अब इसमें सवाल है कि क्या है वियना संधि? और, क्या यूके सरकार ने इस संधि का उल्लंघन किया है?

क्या है वियना संधि?

दक्षिणी यूरोप में एक देश है ऑस्ट्रिया. जिसकी राजधानी है वियना. इसी शहर में अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी से संबंधित कई समझौते साइन किए गए थे. अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय संधियों के औपचारिककरण को ही मोटे तौर पर कहते हैं वियना संधि. संयुक्त राष्ट्र (UN) के अंतर्राष्ट्रीय क़ानून आयोग ने इस संधि का ड्राफ़्ट तैयार किया था. सबसे पहले 1961 में आज़ाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी संबंधों को लेकर बैठकी हुई थी. इसके बाद 23 मई, 1969 को इसे अपनाया गया और 27 जनवरी, 1980 को संधि लागू की गई. आज की तारीख़ में सारे ही देश इस संधि को मानते हैं, सिवाय पलाऊ और दक्षिणी सूडान के.

भारत का विदेश मंत्रालय यहां जिस संधि की बात कर रहा है, उसके मुताबिक़ इस केस में मेज़बान देश UK है और वियना कन्वेंशन के हिसाब से राजनयिक मिशनों के लिए UK के कुछ बुनियादी दायित्व हैं. संधि के अनुच्छेद-22 में इस बात का ब्यौरा है कि मिशन के संबंध में क्या-क्या दायित्व होते हैं.

अनुच्छेद के भाग-2 में कहा गया है,

"किसी भी उच्चायोग या दूतावास के परिसर में घुसपैठ या हमले के ख़िलाफ़ सुरक्षा और शांति की ज़िम्मेदारी मेज़बान देश का विशेष कर्तव्य है."

कुल मिलाकर, वैसे तो हर देश अपनी सुरक्षा का बंदोबस्त करता है, लेकिन उच्चायोग या दूतावास की सुरक्षा का ज़िम्मा मेज़बान देश का ही होता है. इस आधार पर हिंसक कट्टरपंथियों का भारतीय उच्चायोग में घुसकर तोड़-फोड़ करना यूके सरकार की चूक है.

इधर, यूनाइटेड किंगडम ने भी इस घटना की निंदा की है. यूनाइडेट किंगडम के विदेश मंत्री तारिक़ अहमद ने ट्वीट किया कि यूके सरकार लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को हमेशा गंभीरता से लेती रही है और लेगी.

वीडियो: जानिए क्या है जेनेवा समझौता? विंग कमांडर अभिनंदन के मामले में ये कहां से आया?

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