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क्या है सल्फी मूवमेंट, जिससे एक रास्ता आतंकी बनने की तरफ जाता है

केरल से गायब हुए लड़के पढ़े-लिखे थे. घर वालों को भी नहीं पता चला कब कट्टरपंथ उनके मन में उतर गया.

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symbolic image. REUTERS
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पंडित असगर
12 जुलाई 2016 (Updated: 12 जुलाई 2016, 02:06 PM IST) कॉमेंट्स
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अमीर घरों से ताल्लुक रखने वाले. पढ़े-लिखे. शादीशुदा युवा. एक अच्छी जिंदगी गुजार रहे थे. कब वो इस लग्जरी लाइफ को छोड़ने की राह पर चल पड़े, इसका पता उनके घरवालों को भी नहीं चला. केरल से गायब हुए 21 युवाओं का अभी तक कुछ नहीं पता है कि वो कहां हैं. घरवाले कह रहे हैं कि वो सच्चे इस्लामिक रास्ते पर चलने को बोलकर घर छोड़ गए. इंडियन एक्सप्रेस ने गायब हुए 10 लोगों के घरवालों से बात की तो पता चला वो सल्फी मूवमेंट से प्रेरित थे. ये सल्फी मूवमेंट क्या है? क्यों युवा कट्टरपंथ की तरफ झुकते जा रहे हैं? इतना क्लियर है कि सल्फी मूवमेंट बेहद कंजर्वेटिव सोच वाला है. इस बारे में बात करेंगे. पहले ये जान लीजिए क्या कहा गायब हुए लड़कों के घर वालों ने. कासरगोड जिले के पदन्ना में रहने वाले हकीम कहते हैं- अगर मेरा बेटा किसी आतंकवादी गुट से जुड़ता है, तो मैं उसकी लाश भी देखना नहीं चाहूंगा.' हकीम के 23 साल के बेटे हफीसुद्दीन की शादी गायब होने से चार महीने पहले ही हुई थी. हफीसुद्दीन ने बीकॉम की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. वो धार्मिक पढ़ाई करने लगा. वो सल्फी का फॉलोवर था. हकीम कहते हैं - हफीसुद्दीन चाहता था कि मैं घर बेच दूं और सादगी की जिंदगी बसर करूं. हमारी किस्मत से वो अपनी बीवी को छोड़ गया. श्रीलंका जाने की बात उसने बताई थी. एक जुलाई को उसका मैसेज आया कि दोजख छोड़ कर जन्नत में आ गया है. अब्दुल रहमान इस वक्त बेहद दुखी है क्योंकि उनके दो बेटे अपनी बीवियों के साथ गायब हैं. अब्दुल की बीवी का भांजा भी अपनी बीवी के साथ गायब हो गया. अब्दुल बताते हैं कि उन्हें नहीं पता उनकी औलाद ने क्यों घर छोड़ा. रहमान कहते हैं- मेरा बड़ा बेटा डॉ. एजास और उसकी वाइफ डेंटल स्टूडेंट थे. वो दो साल के बेटे को भी साथ ले गए. दूसरा बेटा शिअस मैनेजमेंट में ग्रेजुएट था. अपनी प्रेग्नेंट बीवी को साथ ले गया. घरवालों के मुताबिक शिअस और उसकी वाइफ ने दो महीने पहले घर छोड़ा था. वो ये कहकर गए थे कि मुंबई जॉब की तलाश में जा रहे हैं. उनका बड़ा बेटा पिछले महीने लक्षद्वीप जाने की बात कहकर गया था.
रहमान बताते हैं कि उनके बेटे बहुत धार्मिक हो गए थे. वे घर पर कुरान पढ़ते रहते थे. पहले वो सल्फी इस्लाम से प्रभावित थे. बाद में बेहद चरमपंथी बनते गए. वे न्यूजपेपर पढ़ने और टीवी देखने के खिलाफ थे. वे चाहते थे मैं लंबी दाढ़ी रखूं. उन्होंने अपनी बीवियों को भी अपने जैसा बना लिया था.

क्या है सल्फी इस्लाम?

वो मुसलमान जो सिर्फ अल्लाह को पैगम्बर को मानते हैं और कुरान से सभी मसलों का हल चाहते हैं. इन्हें अहले हदीस के नाम से भी जाना जाता है. सल्फी जमात का मानना है कि वो हकीकी यानी सच्चे इस्लाम के रास्ते पर हैं. सल्फी सुन्नी इस्लाम को मानता है. सल्फी वो कट्टरपंथी हैं, जो इस्लामी कानून लागू करना चाहते हैं. सल्फी की पहचान उनकी लंबी दाढ़ी, लंबे सफेद कपड़े और सिर पर स्कार्फ है. वो सामाजिक और धार्मिक तौर पर बेहद कट्टरपंथी होते हैं. वह यूनिफाइड इस्लामिक स्टेट और शरिया में यकीन रखते हैं. सल्फी एक कट्टरपंथी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल हुआ. 14वीं शताब्दी में भी एक प्रिंसिपल के लिए इसका इस्तेमाल किया गया, जो 300 साल बाद सऊदी अरब में दबदबे वाले वहाबी प्रिंसिपल का आधार बना. अमेरिका में हुए 9/11 हमले के बाद सल्फी को आतंकी के तौर पर देखा जाने लगा.

मुस्लिम और धर्म चेंज करने वाले सल्फी मूवमेंट की तरफ क्यों कर रहे रुख

सल्फी सादी और कट्टरपंथ की विचारधारा परोसते हैं. एक ऐसी विचारधारा जो कोई समझौता नहीं करती है. ये उन लोगों के लिए भी लुभावना हो सकता है जो पहले से ही कम्युनल हों. औरतों और होमोसेक्सुएल्टी के खिलाफ हों. सल्फी विचारधारा के जरिए यूथ को टारगेट करते हैं और अपनी तरफ खींचते हैं. यूथ भी सादगी की तरफ खिंचा चला जाता है. 18 से 30 साल वालों को टारगेट किया जाता है. उन्हें अपनेपन का एहसास कराया जाता है. युवा अपनी जिंदगी में मौज-मस्ती करते हैं, अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं. उन्हें खुदा का खौफ दिखाया जाता है. सादगी से जीने के लिए प्रेरित किया जाता है. सल्फी कम्युनिटी में देखा जाये तो बड़ी तादाद में दूसरे धर्म से कन्वर्ट हुए लोग शामिल हैं. सल्फी के कट्टरपंथ की वजह से मुस्लिम भी परेशान हैं. सल्फी अपनी औरतों को परदे में पाबंद रखना चाहते हैं. उनका मानना है कि औरतों को मर्दों के बराबर हुकूक नहीं दिए जा सकते. ये बहुत ही दकियानूसी हैं, लेकिन अपने मैसेज को लोगों तक पहुंचाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. टीवी को नकारते हैं, लेकिन अपने मैसेज इंटरनेट से फैलाते हैं.

कहां कितने सल्फी ?

दुनियाभर में 50 लाख सल्फी हैं. इनमें से करीब 20-30 लाख सल्फी इंडिया में हैं. मिस्र में 5-6 लाख सल्फी हैं. इसके अलावा बांग्लादेश, सूडान, ट्यूनीशिया, जॉर्डन, मोरक्को, फ्रांस और जर्मनी में भी सल्फी हैं. जर्मनी ने तो सल्फी को खतरा माना है. जर्मनी की होम मिनिस्ट्री ने सल्फी मूवमेंट को लेकर चेतावनी भी जारी की थी. उनका कहना था कि कट्टरपंथी मौलवियों का प्रभाव सोसाइटी पर लगातार बढ़ रहा है. जो खतरनाक है. साथ ही ये भी कहा- 'हर सल्फी आतंकी नहीं होता, लेकिन जिन आतंकियों को जानते हैं वो या तो सल्फी रहे हैं या सल्फी से जुड़े रहे हैं.'

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