'ज्ञानवापी में शिवलिंग नहीं फव्वारा' कहने वाले महंत पलटे, कहा- मीडिया के कुचक्र में फंस गया
महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा देकर मंदिर की जिम्मेदारी अपने भाई को सौंप दी है.

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिली एक आकृति को 'शिवलिंग नहीं, फव्वारा' बताने वाले महंत गणेश शंकर उपाध्याय अब अपने बयान से पलट गए हैं. उनके उस बयान के बाद काफी विवाद खड़ा हो गया था. अब उपाध्याय ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था कि वो आकृति फव्वारा है. इसके साथ ही महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गणेश शंकर ने आरोप लगाया है कि वो मीडिया के कुचक्र का शिकार हो गए थे, जिसका प्रायश्चित करने के लिए महंत पद का त्याग कर रहे हैं. उन्होंने अब महंत पद की जिम्मेदारी अपने छोटे भाई को सौंप दी है.
पहले क्या कहा था?काशी स्थित करवट मंदिर के महंत रहे गणेश शंकर उपाध्याय ने आजतक से बात करते हुए कहा था,
“देखने में ये आकृति शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही है. लेकिन हम लोगों की जो जानकारी है, उसके मुताबिक वो फव्वारा है. हम लोगों ने बचपन से देखा है. सैकड़ों बार वहां गए हैं. वहां के जो मौलवी होते थे या सेवादार होते थे उनसे हमने इस बारे में उत्सुक्ता से पूछा भी है कि ये क्या है. हमें तो यही कहा गया कि ये फव्वारा है.”
ज्ञानवापी में मिली ‘शिवलिंग जैसी आकृति' को लेकर ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसे जानबूझ कर वजूखाने में रखा गया था और लोग उस पर ही कुल्ला करते थे. इस पर महंत गणेश शंकर ने कहा था,
“कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि उसको बिगाड़ दिया गया. तालाब के बीच में जानबूझकर शिवलिंग को वजू के स्थान पर रख दिया. लोग कहते हैं कि वहां कुल्ला करते हैं, हाथ धोते हैं. वजू में हाथ पैर तो धोते हैं, लेकिन वहां कुल्ला करते हैं, इस बात की जानकारी हमको नहीं है. ना हमने कभी उस तालाब के पानी में किसी को कुल्ला करते देखा है. कुल्ला करने का स्थान बाहर है. वे लोग पानी वहां से जरूर लेते थे. अभी वो परिवर्तित हो गया, पहले वे तालाब से ही पानी लेते थे. एक छोटा बर्तन होता था, उससे लेकर वजू करते थे.”
हालांकि इसके साथ ही महंत गणेश शंकर ने ये भी कहा था कि वहां मंदिर था, जिसे मुगल काल में तोड़कर मस्जिद बनाई गई. लेकिन महंत ने ये भी दावा किया था कि मस्जिद के सामने जो नंदी है उससे मंदिर का कोई लेना देना नहीं है. उनके मुताबिक उनका महंत आवास मस्जिद के सामने ही पड़ता है.
गणेश शंकर ने ये भी कहा था कि वजूखाने में फव्वारा होने की जानकारी उन्हें व्यक्तिगत तौर पर मालूम है, लेकिन उन्होंने उस फव्वारे को चलते हुए कभी नहीं देखा है.
अब उन्होंने क्या कहा है?अब गणेश शंकर उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि उनके इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रसारित किया जा रहा है. महंत ने कहा कि ये सरासर गलत और झूठ था, उन्होंने ऐसा कोई भी दावा नहीं किया है. गणेश शंकर उपाध्याय ने कहा,
'सोशल मीडिया और मीडिया पर मेरे उस साक्षात्कार को गलत तरीके से झूठे शीर्षकों के साथ प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा था कि मैंने ऐसा दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में जो शिवलिंग जैसी आकृति पाई गई है, वो शिवलिंग नहीं, फव्वारा ही है. ये सरासर गलत और झूठ था. मैंने ऐसा नहीं कहा था.'
महंत ने आगे कहा,
"कई दिनों से मुझे इस बात का दुख था कि मैं इस कुचक्र में फंस गया, ये मेरी अज्ञानता थी कि मैं इसे जान नहीं सका. इस तरीके के जो कृत्य हुए, उसका दोषी मैंने अपने आप को माना. और मुझे इसकी कहीं कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करनी है. मेरा सबसे बड़ा न्याय का जो देवता है, वो मेरा ही देवता है, जिनका मैं सेवक हूं और वो इसका निर्णय स्वयं करेंगे. मैं सेवक हूं, वो मेरे स्वामी हैं. मैंने अपना सब कुछ उनको अर्पण कर दिया है.''
उन्होंने ये भी कहा कि इस सबसे विचलित होकर वे अपने स्वविवेक से ये पद अपने छोटे भाई के हवाले कर रहे हैं. बोले कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि महंत पद जीते जी किसी दूसरे महंत को दिया गया. क्योंकि मृत्यु के बाद ही महंत पद स्थानांतरित होता है. गणेश शंकर ने कहा कि अब वे प्रायश्चित करेंगे.
वीडियो: ज्ञानवापी सर्वे में लीक हुए वीडियो में क्या दिखाई दिया?