दलित किसान को रामलीला से बाहर निकाला गया, उसने खुदकुशी कर ली, अब घरवालों ने पुलिस पर इल्जाम लगा दिया
किसान के परिवार वालों का आरोप है कि उन्होंने ये कदम इसलिए उठाया, क्योंकि वो जबरन हटाए जाने से परेशान थे. किसान के परिवार वालों ने आरोपी पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई है. उधर UP Police का कहना है कि नशे में होने के चलते किसान को बाहर किया गया था.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कासगंज में एक 47 साल के दलित किसान ने कथित तौर पर अपनी जान दे दी (Kasganj Dalit farmer Died) . बताया गया कि मौत से एक दिन पहले उसे रामलीला कार्यक्रम से बाहर निकाल दिया गया. किसान के परिवार वालों ने रामलीला कार्यक्रम से उन्हें हटाने के लिए पुलिस कर्मियों को ज़िम्मेदार ठहराया और पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है. ये भी आरोप लगाया गया कि पुलिस कर्मियों ने उसे कुर्सी पर बैठने पर अपमानित किया. मामले में अखिलेश यादव की भी प्रतिक्रिया आई है.
घटना सोरों कोतवाली क्षेत्र के सलेमपुर वीवी गांव की बताई गई. किसान के परिवारवालों ने आरोपी पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई है. परिवारवालों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, उनका आरोप है कि किसान रमेश ने ये कदम इसलिए उठाया, क्योंकि वो जबरन हटाए जाने से परेशान थे. वहीं, पुलिस के मुताबिक़,
रमेश को रामलीला कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया, क्योंकि दर्शकों ने शिकायत की थी कि वो मंच के पास था. कुछ दर्शकों ने ये भी आरोप लगाया कि रमेश शायद नशे में था.
पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. सीनियर पुलिस अधिकारियों और गांव के बुजुर्गों के हस्तक्षेप के बाद प्रदर्शन ख़त्म हो पाया. पुलिस ने बताया कि दो कांस्टेबलों को पुलिस लाइन में ट्रांसफ़र कर दिया गया है. पुलिस ने बताया कि अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, कासगंज सर्कल ऑफिसर अचल चौहान ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में फांसी से मौत की पुष्टि हुई है. लेकिन कोई चोट नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि इस कदम के पीछे का मकसद अभी पता नहीं चल पाया है और मामले की जांच की जा रही है.
वहीं, मामले में कासगंज के ASP राजेश कुमार भारती ने बताया,
इस मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने सरकार पर निशाना साधा और सत्तारूढ़ BJP पर दलितों के अपमान का आरोप लगाया है. X पर एक पोस्ट में अखिलेश ने लिखा,
ये ख़बर बेहद दुखद और सामाजिक रूप से चिंताजनक है. आज़ादी का तथाकथित अमृतकाल मना रही BJP सरकार के समय में प्रभुत्ववादी सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है. ये उसी का नतीजा है. दरअसल, ये PDA ( पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के लोगों को मानसिक रूप से कमज़ोर करने के एक बड़े मनोवैज्ञानिक षड्यंत्र का हिस्सा है. ऐसी घटनाओं पर लीपापोती करना UP BJP की आदत बन गयी है.
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आजतक की ख़बर के मुताबिक़, मृतक की पत्नी ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया है. साथ ही, सोरों थाने में पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है. वहीं, मृतक रमेश चंद के दामाद मनोज कुमार का कहना है कि उनके ससुर रामलीला देखने गए. वहां कर्सी पर बैठे. तभी हेड कॉन्स्टेबल बहादुर सिंह और एक सिपाही विक्रम सिंह आ गए और उन्हें खींच कर ले गए. उन लोगों ने कथित तौर पर रमेश के साथ मारपीट और गाली गलौज भी की. इससे उनको काफ़ी ठेस पहुंची.
वहीं, पुलिस ने बताया कि जांच जारी है.
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