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कर्नाटक में BJP की हार पर पाकिस्तान के अखबार ने क्या लिखा?

विदेशी मीडिया ने मोदी का नाम लेकर क्या-क्या लिखा?

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Karnataka Election result foreign Media coverage
पाकिस्तान से लेकर अमेरिकी अखबारों में भी चुनाव नतीजों की खबर छपी (फोटो- पीटीआई)
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साकेत आनंद
14 मई 2023 (Updated: 14 मई 2023, 08:07 PM IST) कॉमेंट्स
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लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक एक साल पहले एक बड़े राज्य का चुनाव परिणाम आया है. सत्ताधारी बीजेपी की बड़ी हार हुई है. कर्नाटक में कांग्रेस 135 सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है. नए मुख्यमंत्री की घोषणा जल्द हो जाएगी. इस हाई प्रोफाइल चुनाव के नतीजों को दुनिया भर के अखबारों और मीडिया चैनलों ने कवर किया है. कई विदेशी मीडिया संस्थानों ने इसे 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़ते हुए शीर्षक दिया है. विदेशी अखबारों ने चुनाव के दौरान हुई पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों, हिजाब विवाद, मुस्लिम आरक्षण खत्म करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दों का जिक्र किया है.

अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने चुनाव नतीजों पर छपी खबर को शीर्षक दिया है- "दक्षिण भारत में मोदी की पार्टी की हार से उनके विपक्षियों को मिली ताकत"

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ताधारी पार्टी को कर्नाटक में हार मिली है. इस चुनाव परिणाम से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एक बूस्ट मिला है. करीब साढ़े छह करोड़ की आबादी वाला कर्नाटक दक्षिण भारत का एकमात्र राज्य है जहां मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी सत्ता में थी. उत्तर भारत में मोदी की मजबूत पकड़ के मुकाबले देश के इस हिस्से में पार्टी की विचारधारा को कम स्वीकार्यता मिली है. राज्य में आखिरी चरण के चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने खुद को रैलियों में झोंक दिया था. उन्होंने राज्य में करीब 20 रैलियां की थी. कई रैलियों के दौरान खुली कार में मौजूद मोदी पर उनके समर्थकों ने फूल बरसाए थे.

एक और अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने शीर्षक दिया है- "आम चुनाव से पहले मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी की कर्नाटक के महत्वपूर्ण चुनाव में हार हुई"

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि इस चुनाव परिणाम से बंटे हुए विपक्ष को ताकत मिलने की उम्मीद है. जो अगले साल आम चुनाव में मोदी को चुनौती देने के लिए यूनाइटेड फ्रंट बनाने की तैयारी कर रहा है. इस परिणाम से कांग्रेस को भी मजबूती मिलेगी, जो पिछले दो आम चुनावों में मोदी की भारतीय जनता पार्टी से हार कर सत्ता से बाहर है और राष्ट्रीय स्तर पर दोबारा पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है. पोस्ट ने आगे लिखा है कि पिछले दो सालों से मोदी की पार्टी कर्नाटक में अपनी पकड़ मजूबत करने की कोशिश कर रही थी. जहां बीजेपी नेताओं और उसके समर्थकों द्वारा लड़कियों को हिजाब पहनने से रोकने के बाद बहुसंख्यक हिंदू और अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण गहरा हो गया था.

कर्नाटक में जीत के बाद राहुल गांधी (फोटो- पीटीआई)

अखबार ने आगे लिखा है कि शुरुआत में मोदी की पार्टी ने विकास का वादा किया था और सामाजिक कल्याण की योजनाओं से वोटरों को खींचने की कोशिश की थी. हालांकि चुनाव करीब आते-आते पार्टी हिंदू राष्ट्रवाद की तरफ मुड़ गई, जो बीजेपी अक्सर अपने चुनाव प्रचार में करती है. पार्टी ने कांग्रेस पर हिंदू मूल्यों का अपमान करने और अल्पसंख्यक समुदायों खासकर मुस्लिमों के तुष्टिकरण का आरोप लगाया था. पार्टी ने राज्य में मुस्लिमों को रोजगार और शिक्षा में मिलने वाले 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया और उसे दो हिंदू जाति समूहों को दे दिया.

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने शीर्षक दिया है- "भारत की कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक चुनाव में नरेंद्र मोदी की बीजेपी को हराया"

गार्डियन ने लिखा है कि बीजेपी ने भारी भरकम चुनाव प्रचार किया. 9 हजार से ज्यादा रैलियां की. लेकिन ये सब और मोदी की लोकप्रियता राज्य की बीजेपी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को हटाने, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से निपटने के लिए काफी नहीं थे. बड़े नेताओं को टिकट नहीं मिलने के बाद राज्य की प्रभावी लिंगायत समुदाय ने भी पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था. इस समुदाय को BJP का सबसे बड़ा सपोर्ट माना जाता था.

पाकिस्तानी अखबार डॉन ने कर्नाटक नतीजों पर शीर्षक दिया है- "भारत के महत्वपूर्ण राज्य में बीजेपी सत्ता से बाहर"

भारत की कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक में बीजेपी को हरा दिया. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दक्षिणी राज्यों में हिंदू राष्ट्रवाद को फैलाने की उम्मीदों को झटका लगा है. बीजेपी ने साल 2019 में दलबदल के जरिये कांग्रेस की कमजोर गठबंधन सरकार से सत्ता हथिया ली थी. अखबार ने ये भी लिखा है कि इस जीत के बावजूद कांग्रेस की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं. पार्टी को मुख्यमंत्री पद के दो मजबूत उम्मीदवारों में से एक को चुनना है. रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा गया है कि पांच साल के कार्यकाल में सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार को आधे-आधे समय के लिए जिम्मेदारी दी जा सकती है.

वहीं बांग्लादेश के प्रमुख अखबार द डेली स्टार ने खबर का टाइटल दिया है- "कांग्रेस ने कर्नाटक में बीजेपी को सत्ता से बाहर किया"

डेली स्टार ने लिखा है कर्नाटक का चुनाव प्रचार काफी चार्ज्ड रहा, जिसमें धर्म, भ्रष्टाचार और मुस्लिम आरक्षण खत्म करने जैसे मुद्दे हावी रहे. राज्य सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग मुसलमानों का आरक्षण खत्म करने और मुस्लिम छात्रों के हिजाब पहनने के मुद्दों पर खूब बहस हुई. अखबार ने पार्टी नेताओं के हवाले से लिखा है कि भ्रष्टाचार और कांग्रेस की गारंटी के अलावा मुस्लिम वोट ने जीत में मदद की. जो राज्य में करीब 13 फीसदी है.

कांग्रेस की जीत के बाद बेंगलुरु में जश्न मनाते कार्यकर्ता (फोटो- पीटीआई)

हांगकांग स्थित अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने शीर्षक दिया है- "बाय बाय मोदी? सत्ताधारी बीजेपी आम चुनाव से पहले प्रमुख राज्य में सत्ता से बाहर"

अखबार ने लिखा है कि पार्टी ने मोदी की रैलियों के साथ चुनाव प्रचार में हिंदुत्व की राजनीति की थी. मोदी ने अपनी एक रैली में विवादित नई फिल्म (द केरला स्टोरी) की तारीफ की थी, जिसमें हिंदू महिलाओं के इस्लाम में धर्म परिवर्तन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया था. मोदी ने भगवान हनुमान (बजरंग बली) के नारे लगाकर भी हिंदू वोटरों को रिझाने की कोशिश की थी.

जर्मन मीडिया डॉयचे वेले (DW) ने शीर्षक दिया है- "भारत: मोदी की राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी की कर्नाटक चुनाव में हार हुई"

DW ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी की जीत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि उन्होंने राज्य में आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार किया था. साढ़े छह करोड़ की आबादी वाला कर्नाटक एक आर्थिक हब है. इस साल पांच महत्वपूर्ण राज्यों के चुनावों में यह पहला राज्य था. इसे 2024 लोकसभा चुनाव से पहले महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मोदी की बीजेपी पर हिंदू बहुसंख्यक आबादी और देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच फूट डालने का आरोप लगता रहा है. देश के दूसरे हिस्सों की तुलना में कर्नाटक में पार्टी की ये तरकीब काम नहीं आई.

वीडियो: नेतानगरी: जीत के बाद कर्नाटक में सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार में से किसे मिलेगी मुख्यमंत्री की कुर्सी?

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