15 दिनों की विदेश यात्रा 5 साल की जेल में बदली, बेगुनाह बलदेव सिंह के साथ ये कैसे हो गया?
बलदेव सिंह कपूरथला के रहने वाले हैं. उनका कारपेंटर का बिज़नेस था. साल 2018 में वो फिलीपींस गए थे. लेकिन उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि गलत पहचान के कारण उन्हें चार साल से अधिक समय तक के लिए जेल में डाल दिया जाएगा.

“मैं 2018 में फिलीपींस से अपनी यात्रा खत्म कर इंडिया वापस आ रहा था. फ्लाइट में अचानक से पुलिस आई. मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा. मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने 'हां' बोल दिया, लेकिन बाद में पुलिस ने मुझे हथकड़ी लगा दी क्योंकि मैं उनकी भाषा नहीं समझ सका. वे मुझे गाड़ी में बैठाकर ले गए. मुझे ऐसे अपराध के लिए चार साल से अधिक समय के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया गया, जो मैंने कभी किया ही नहीं था."
ये कहानी है गलत पहचान के शिकार हुए बलदेव सिंह की. 62 साल के बलदेव कपूरथला के रहने वाले हैं. उनका फर्नीचर बनाने का बिज़नेस था. साल 2018 में वो 15 दिनों के लिए फिलीपींस गए. अपने बिज़नेस और सपनों को आगे बढ़ाने. लेकिन उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि गलत पहचान के कारण उन्हें चार साल से अधिक समय तक जेल में डाल दिया जाएगा. दरअसल, वहां किसी अन्य बलदेव सिंह नाम के व्यक्ति ने दो अपराधों को अंजाम दिया था. यही वजह है कि पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया.
फिलीपींस जाने का प्लान कैसे बना?इंडियन एक्सप्रेस की संवाददाता अंजू अग्निहोत्री छाबा की रिपोर्ट के मुताबिक बलदेव सिंह के बेटे जसविंदर सिंह ने बताया कि उनके फर्नीचर के कई कस्टमर्स हैं, जो मनीला (फिलीपींस की राजधानी) में बस गए थे. वे लोग इंडिया में उनके पिता की दुकान पर आते थे. अक्सर उनके पिता को फिलीपींस में बिज़नेस को बढ़ावा देने की बात कहते थे. जसविंदर ने अखबार से कहा,
"सभी लोगों की बात मानकर मेरे पिता नवंबर 2018 में विजिटर्स वीजा पर फिलीपींस गए. बाद में इंडिया लौटने वाले दिन उन्हें फ्लाइट से गिरफ़्तार कर लिया गया. मेरे पास उसी समय पिता का फ़ोन आया. उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें पुलिसवालों की भाषा समझ नहीं आई. और कहा कि पुलिस उनका फ़ोन छीन सकती है. उनके मामले को संभालने के लिए भारतीय पक्ष से मदद मांगनी चाहिए."
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पांच साल बाद बाहर कैसे आए?रिपोर्ट के मुताबिक घटना के बाद बलदेव सिंह के बेटे और बेटी ने मनीला में पंजाबी समुदाय से सहायता लेने के लिए कई प्रयास किए. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. बाद में वे पर्यावरण एक्टिविस्ट बलबीर सिंह सीचेवाल से मिले. उन्होंने इस साल मार्च में फिलीपींस की अपनी यात्रा के दौरान मनीला में भारतीय दूतावास के एंबेसडर शंभू एस कुमारन से मुलाकात करके बलदेव सिंह के बारे में बताया. उन्होंने कहा,
लौटने के बाद डर रहे थे"बलदेव सिंह नाम के कुछ लोग फिलीपींस में आपराधिक मामलों में शामिल हैं और जब पुलिस ने बलदेव से पूछा कि क्या आप बलदेव सिंह हैं, तो उन्होंने कहा "हां", लेकिन वास्तव में उनका मतलब यह था कि क्या आप बलदेव सिंह में से एक हैं जिन्होंने अपराध किया था?
भाषा की समस्या के कारण यह मामला आगे बढ़ा. यह साबित करने में चार साल लग गए कि वह वो बलदेव सिंह नहीं हैं जिसने अपराध किया था और जिसकी वे जांच कर रहे थे. इस मामले में कोविड के कारण भी देरी हुई. इस वजह से अपनी सज़ा के दौरान और जेल में बिताए समय के दौरान बलदेव सिंह को मानसिक पीड़ा भी सहनी पड़ी. उनके परिवार के सदस्य भी बहुत दुखी थे."
रिपोर्ट के मुताबिक 22 सितंबर को बलदेव सिंह दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे. वहां पर उनका परिवार उनका इंतजार कर रहा था. बलदेव सिंह ने उन्हें पहचान लिया था, लेकिन वो थोड़ा डर गए थे. घर जाने के लिए जल्दी से कार में बैठ गए कि कहीं कोई उन्हें फिर से गिरफ़्तार न कर ले.
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