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डॉक्टर कफील खान पर सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को झटका

इससे पहले हाई कोर्ट ने भी यूपी सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए आदेश दिया था.

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Kafeel Khan
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर कफील खान के खिलाफ एनएसए की धाराएं हटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी है (फोटो: पीटीआई)
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अमित
17 दिसंबर 2020 (Updated: 17 दिसंबर 2020, 08:15 AM IST) कॉमेंट्स
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यूपी में मेडिकल कॉलेज से निलंबित डॉक्टर कफील खान की रिहाई के मामले में यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी है. हाई कोर्ट ने डॉक्टर कफील खान के खिलाफ NSA की धाराएं हटा दी थीं. इसके खिलाफ ही यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी आपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी. अब डॉक्टर कफील खान के खिलाफ दर्ज मामले का निपटारा मेरिट के आधार पर ही होगा. मतलब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कफील खान की जांच में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी. अगर नए साक्ष्य मिलते हैं तो कार्रवाई हो सकती है. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को डॉक्टर कफील को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था. क्या कहा था इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि NSA के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है. कोर्ट ने डॉक्टर कफील पर NSA के तहत लगे सभी आरोप खारिज कर दिए थे. कहा कि उन पर NSA के तहत हुई कार्रवाई गैरकानूनी थी. साथ ही डॉक्टर कफील को तत्काल प्रभाव से रिहा करने के आदेश दिए. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह ने इस केस पर फैसला देते हुए कहा,
हमें ये कहने में ज़रा भी झिझक नहीं है कि NSA ऐक्ट के तहत कफील खान को हिरासत में लिया जाना और उनके हिरासत की अवधि को बढ़ाना कानून की नज़र में सही नहीं है.
हाई कोर्ट ने कहा-
डॉक्टर कफील का भाषण किसी भी तरह की नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं था. इससे अलीगढ़ शहर की शांति और अमन को कोई खतरा नहीं है. उनका भाषण नागरिकों के बीच राष्ट्रीय अखंडता और एकता को लेकर है. भाषण किसी भी तरह की हिंसा को नहीं दर्शाता है.
कोर्ट ने इस बात का भी नोटिस लिया था कि डॉक्टर कफील को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ़ अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. कफील की मां नुजहत परवीन ने मामले को लेकर एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा था कि उनके बेटे को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है, इसलिए उसे जल्द रिहा करें. हाई कोर्ट के आदेश के बाद 2 सितंबर को डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था. हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. क्यों हुई थी कफील खान की गिरफ्तारी डॉक्टर कफील खान जनवरी, 2020 में मुंबई से हिरासत में लिए गए थे. वह 2 सितंबर तक मथुरा जेल में बंद थे. आरोप था कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण दिया. उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केस दर्ज किया गया था. समय-समय पर उनकी हिरासत की अवधि बढ़ाई जा रही थी. इसके खिलाफ डॉक्टर कफील हाई कोर्ट पहुंच गए थे, जहां से उन्हें राहत मिली थी.

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