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रियो ओलंपिक जाना चाहता था ये बॉक्सर, जेल पहुंच गया

हरियाणा का जूनियर स्टेट चैंपियन था. कई मेडल जीते. और फिर लूट करने लगा.

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पुलिस की गिरफ्त में आया बॉक्सर दीपक पहल.
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पंडित असगर
3 अगस्त 2016 (Updated: 2 अगस्त 2016, 04:54 AM IST) कॉमेंट्स
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इंडिया का ये बॉक्सर रियो ओलंपिक जाना चाहता था. अब जेल में है. दीपक पहल नेशनल बॉक्सर तो बन गया, लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीतने की तमन्ना रह गई. वो भी उसके एक कथित जुर्म की वजह से. रियो ओलंपिक में खेलना चाहता था, जिसके शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी है. लेकिन दीपक पहल इस वक्त जेल में है. पुलिस पर हमला कर एक गैंग्स्टर को छुड़ाने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया है. दीपक पहल सोनीपत के गुम्मड़ गांव का रहने वाला है. जूनियर लेवल पर 2011 से 2014 के बीच उसने कई इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप खेलीं. नेशनल लेवल पर कई मेडल जीते. साल 2014 में स्टेट चैंपियनशिप जीतकर वो हरियाणा का बेस्ट बॉक्सर बन गया था. दीपक पहल के कोच अनिल मलिक बताते हैं कि जब उसने नेशनल जूनियर गोल्ड जीता था तो वह बिलकुल खुश नहीं था. उसका लक्ष्य ओलंपिक खेलना था. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अनिल मलिक ने बताया कि दीपक ने उनसे कहा था, 'कोच साहब, अब मुझे रियो ओलंपिक खेलना है.' मलिक कहते हैं कि ये बड़ा लक्ष्य था. पर मुझे यकीन था कि वो कर सकता है.

पुलिस की आंखों में मिर्च डालकर छुड़ा ले गए थे बदमाश को

चार दिन पहले शातिर क्रिमिनल जितेंद्र जोगी को दिल्ली से नरवाना कोर्ट ले जा रहे थे. कुछ लोग आए और पुलिस की आंखों में मिर्च झोंककर उसे छुड़वा ले गए. पुलिस के हथियार भी लूट ले गए. क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक अपने साथी को छुड़ाने आये दस बदमाशों में दीपक पहल भी शामिल था. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम को कुछ इनपुट मिला. इसके बाद हरियाणा के गनौर से बॉक्सर दीपक को पकड़ लिया गया. पुलिस दीपक और उसके साथियों से पूछताछ कर रही है. पता चला है कि वह कई लूट की वारदात में शामिल रह चुका है. बहादुरगढ़ और बवाना में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं.

कैसे आया जुर्म की दुनिया में?

अनिल मलिक फिलहाल इंदिरा गांधी स्टेडियम में कोच हैं. वह कहते हैं कि ये बेहद ही दुखद है, उसने बड़े ही वादों के साथ करियर शुरू किया था. वो यक़ीनन टेलेंटेड बॉक्सर था. उसने गनौर गांव में साईं सोनीपत सेंटर में 2006 से मेरे अंडर में ट्रेनिंग शुरू की थी. जूनियर नेशनल गोल्ड ही उसकी कामयाबी नहीं थी. वो हरियाणा का बेस्ट बॉक्सर बना. 2012 में उसने उज्बेकिस्तान में प्रेसिडेंट हैदर अलियेव कप में इंडिया की तरफ से लड़ा. लेकिन फिर उसका करियर लड़खड़ाने लगा. दिसंबर 2012 में इंडियन बॉक्सिंग फेडरेशन को इलेक्शन में गड़बड़ी के चलते इंटरनेशनल बॉडी ने बैन कर दिया. इस वजह से नेशनल टूर्नामेंट नहीं हुआ. दीपक ने अपने मेडल के जरिए सपोर्ट कोटे से सरकारी जॉब तलाशी. लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली. अनिल मलिक का सोनीपत सेंटर से ट्रांसफर हो गया. इससे दीपक और अकेला हो गया, क्योंकि अनिल मलिक के वो करीबी था. 2014 में दीपक ने एक बॉक्सर का जबड़ा तोड़ दिया. ये पहला केस था जो उसके खिलाफ दर्ज हुआ. उसे साईं सोनीपत हॉस्टल से निकाल दिया गया. अनिल मलिक कहते हैं कि उसके पास काम नहीं था. कोई टूर्नामेंट नहीं था. वो डिप्रेशन में रहने लगा. पिछले साल मैंने उसे फिर से बॉक्सिंग में ध्यान लगाने को कहा. उसमें काफी एनर्जी है, लेकिन वो उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाया. दीपक ने फिर से अपने करियर को संवारने की कोशिश की. उसने गांव में ट्रेनिंग शुरू की. उसकी अपने कोच से मारपीट हो गई. और एक बार फिर उसके करियर पर ब्रेक लग गया. अनिल मलिक बताते हैं कि उसने फेसबुक चैट में लिखा, ' मैंने उस कोच को पीट दिया. अब मैं बॉक्सर नहीं बन सकता. ना ? एक बार बताओ, मैं प्रैक्टिस करूंगा तो बढ़िया बॉक्सर बन जाऊंगा?' इसके जवाब में मैंने लिखा था, क्यों नहीं.'

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