30 अगस्त 2016 (Updated: 30 अगस्त 2016, 08:18 AM IST) कॉमेंट्स
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जॉन केरी आज अपनी दाएं हाथ की तर्जनी को अंगूठे से छूकर माथे और छाती पर टच करा रहे होंगे. और प्रभु यीशु को लाख लाख धन्यवाद दे रहे होंगे. थैंक गॉड थैंक गॉड कहते हुए. लेकिन कल इनकी हालत पानी भरे बिल में फंसे मूस जैसी हो गई थी. आंखें फाड़ के सोचो मत. पहले तुमको पूरा किस्सा बता देते हैं.
जॉन केरी अमेरिका के विदेश मंत्री हैं. दो दिन के टूर पर मंडे को इंडिया आए. रात में 8 बजे और पधार गए वो. इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर. फिर वहां से निकले अपने होटल के लिए. चाणक्यपुरी. कुल 20 मिनट का रास्ता है. फिर वो VIP आदमी. उनके लिए तो मिन्टों का काम सिकन्टों में होता है. लेकिन इनको पहुंचने में लग गए दो घंटे.
दरअसल बारिश इत्ती कर्री हो रही थी कि सारा दिल्ली शहर जाम में मचमचाया था. फिर शाम का पीक आवर. उनके साथ गाड़ी में बइठे थे कुछ पत्रकार लोग भी. निकोलस ने अंदर से फंसे अड़से हुए ट्वीट किया 'केरी यहां जाम में फंसे हैं, बाकी लोगों की तरह.' स्टीव हर्मन ने ट्वीट किया 'जॉन केरी को जाम से निकालने के लिए पुलिस बुलाई गई.'
जॉन की जान जाम में फंसी तो भगवान याद आए होंगे. लेकिन उनसे ज्यादा हॉलीवुड फिल्में याद आई होंगी. इतनी देर की ही होती है. और अमेरिकी प्रेसिडेंट या सीनेटर के लिए क्या क्या सुविधा रखते हैं वो लोग. कहीं हवा में उड़ा देते हैं कहीं पानी के बीच से सफर कराते हैं. कहीं टाइम मशीन में बइठा देते. लेकिन यहां बाबू साहब औकात में आ रहे थे. कोई जेम्स कैमरन अवतार पिच्चर वाले धाकड़ जादुई हेलिकॉप्टर नहीं भेज रहा था. कोई साई फाई हेल्प नहीं कर रहा था साला.
कहीं खुशी से ROFL भी हो रहा था
शाहरुख खान. हमारे देश का स्टार. उसके दो- दो बार कपड़े उतरवाए अमेरिकियों ने. इसी दिल्ली का लाल है वो. आजकल मुंबई महका रहा है. उसके साथ गल्त काम किया तो सोचा नहीं था केरी बाबू? दिल्ली ने बदला लिया. कपड़े तुमको भी उतारने पड़ गए न. भले गीले होकर.
खुश तो वहां इनके अपने भी होंगे. डॉनल्ड ट्रंप. बाहर से वो भले न बोलें कुछ. लेकिन अंदर बड़े मगन होंगे. किचन से लड़का चाय लेकर आया होगा तो उससे कहे होंगे "मैं कहि रहा था कि वहां मत जाओ. ठीक लोग नहीं हैं. फंसा देंगे. अब ल्यो."
व्लादिमिर पुतिन पान खाकर बारिश को दुआ दे रहे होंगे. ईराक में रिफाइंड की पूड़ियां छन रही होंगी. ईरान वाले भी हाय हुक्कू हाय हुक्कू पर डांस कर रहे होंगे. और यहां, यहां केरी गाड़ी में बैठे नाखून चबा रहे होंगे.
क्या करें अगली बार
देखो ये जॉन जानी जनार्दन की बात नहीं है. न अमेरिका या रूस की. कहीं से कोई भी लल्लू पंजू इस बार विश्वगुरू भारत देश आए तो पहली बात अपने रिस्क पर आए. दूसरी बात कुछ चीजें वो सुनिश्चित कर ले.
1.घर से निकलने से पहले यहां जिस शहर आना हो, वहां का लोकल FM स्टेशन ट्यून कर लें. अफगान जलेबी, डीजे बाबू गानों से बोर न हों. शर्मा कोचिंग, बसंती चाट भंडार के ऐड से बच गए तो वह आपको मौसम, ट्रैफिक जाम की जानकारी भी दे देंगे.
2. फेसबुक पर उस शहर के लोगों को फॉलो कर लें. ये लोग "गीलिंग बारिश फीलिंग ऑसम विद 30 अदर्स" पोस्ट करते रहते हैं. इससे ऐटलीस्ट वेदर रिपोर्ट अपडेट होती रहेगी.
3. लक्जरी गाड़ी की बजाय ऑटो या ई रिक्शे से सफर करें. क्या है कि लक्जरी गाड़ियां एक तो सरकारी होती हैं. उनके ड्राइवर को घंटा फर्क नहीं पड़ता कि कितना डीजल जल रहा है. कितनी देर लग रही है. इनफैक्ट उनको देर करनी होती है, ताकि दफ्तर टाइम से पहुंचने पर नया काम न मिल जाए. वहीं ऑटो वाले जान हथेली पर रखकर ड्राइव करते हैं. जहां उसका अगला पहिया निकल जाए वहां से पूरा ऑटो निकालने का हौसला रखते हैं. सिक्योरिटी वाले भी उसमें आराम से बैठ जाएंगे. ड्राइवर के बगल में बनी 3 बाई 3 इंच की सीट पर.
4.सरकारी गाड़ी में ही फंसना है तो मोबाइल ओबाइल चार्ज करके बैठें. ट्विटर पर ट्रंप को रगड़ें.
5.इनकेस आप जाम में फंस जाएं. तो गाड़ी में बैठकर सड़ने से अच्छा है कि बाहर निकलकर चांदनी चौक चले जाएं. लालकिला घूम आएं. वहां सामने 10 रुपए प्लेट पाइनऐप्पल मिलता है. वो खाओ. या पराठे वाली गली में जा धंसो.
उम्मीद है इत्ती जानकारी काफी है मेहमानों के लिए. इसके बाद भी कहीं फंसते हैं तो उनको यहां लाने वाले लोग जिम्मेदार होंगे.