ईरान के पास कितना गोला-बारूद है, क्या उसकी सेना सीधी जंग में इजरायल का मुकाबला कर लेगी?
Iran और Israel के बीच सीधे सैन्य टकराव की शुरुआत ने ईरान की आर्मी पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया है. उसके पास Middle East में सबसे बड़ी सेना है. लेकिन क्या ये सेना USA, Israel और European countries की Army का मुकाबला कर सकती है?
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ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष तेज हो गया है. ईरान ने बड़े पैमाने पर इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए हैं. इस महीने की शुरुआत में सीरिया में उसके वाणिज्य दूतावास पर इजरायल ने हमले किए थे. उन हमलों में ईरान के सात वरिष्ठ कमांडर और सैन्यकर्मी मारे गए थे. अब ईरान का इजरायल पर हमला जवाबी कार्रवाई बताया जा रहा है. ईरान और इजरायल दशकों से एक-दूसरे पर सीधे हमले से बचते रहे हैं. लेकिन इस बार ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला किया है और इसके बहुत खतरनाक और अलग नतीजे सामने आ सकते हैं. युद्ध भी शुरू हो सकता है. ऐसे में हम ईरान की सेना और उसकी सैन्य क्षमताओं पर एक नजर डालेंगे. जानेंगे उसकी सैन्य ताकत के बारे में (Iran's military capabilities, world leading missile-drone arsenal).
प्रॉक्सी मिलिशिया का मजबूत और खतरनाक तंत्रन्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के पिछले साल के एक रिसर्च के मुताबिक ईरान के पास मिडिल ईस्ट में सबसे बड़ी आर्म्ड फोर्स है. इसमें 5,80,000 एक्टिव सैनिक और 2,00,000 प्रशिक्षित रिजर्व सैनिक हैं. ये वहां पारंपरिक आर्मी और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्डस कॉर्प्स (IRGC) में बंटे हुए हैं. आर्मी और गार्डस दोनों के पास अलग और एक्टिव जमीनी, वायु और नौसेनिक फोर्स है. ईरान की बॉर्डर सिक्योरिटी का जिम्मा IRGC के पास है. आर्म्ड फोर्सेज का जनरल स्टाफ इनके बीच समन्वय का काम करता है और ओवरऑल स्ट्रेटजी तय करता है.
IRGC, कुद्स फोर्स का भी संचालन करता है. कुद्स फोर्स, पूरे मिडिल ईस्ट में प्रॉक्सी मिलिशिया नेटवर्क को हथियार, ट्रेनिंग देने और इनका समर्थन करने वाली एक विशिष्ट संस्था है. इन मिलिशिया ग्रुप में लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हूती, सीरिया और इराक के मिलिशिया समूह, गाजा में हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ग्रुप शामिल हैं.

ईरान के आर्म फोर्सेज के कमांडर इन चीफ सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई हैं, जिनके पास सभी प्रमुख फैसलों पर अंतिम मुहर लगाने का अधिकार है.
ईरान समर्थित प्रॉक्सी मिलिशिया को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस और वैचारिक रूप से वफादार ये मिलिशिया, हमेशा ईरान की मदद को तैयार रहते हैं. बर्लिन में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में ईरान मामलों के विशेषज्ञ फैबियन हिंज के मुताबिक,
इन नॉनस्टेट एक्टर्स (प्रॉक्सी मिलिशिया) को ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइल के जरिए जिस तरह का समर्थन और सहयोग ईरान ने दिया है, वो अप्रत्याशित है.
उन्होंने आगे कहा कि इन्हें ईरान की मिलिट्री ताकत के बड़े हिस्से के रूप में भी देखा जा सकता है. खासकर हिजबुल्लाह, जो ईरान का सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार है.

दशकों से ईरान की सैन्य रणनीति सटीक और लंबी दूरी की मिसाइलों, ड्रोन और एयर डिफेंस के विकास पर आधारित रही है. उसने स्पीड बोट और कुछ छोटी पनडुब्बियों का एक विशाल बेड़ा विकसित किया है, जो फारस की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य से होने वाले व्यापार और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को बाधित करने में सक्षम है. कहा जाता है कि ईरान के पास मिडिल ईस्ट में बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन का सबसे बड़ा भंडार है. इनमें क्रूज मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल और 2,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं. इनमें इजरायल समेत मिडिल ईस्ट में किसी भी टार्गेट को भेदने की क्षमता है.
ईरान की स्टेट मीडिया को इंटरव्यू देने वाले ईरानी कमांडरों और विशेषज्ञों के मुताबिक, हाल के सालों में तेहरान ने लगभग 1,200 से 1,550 मील की दूरी वाले ड्रोन्स का बड़ा भंडार भी तैयार कर लिया है. ये ड्रोन रडार की पकड़ में ना आने और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं.
Iran के पास कहां से आते हैं हथियार?न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधो ने ईरान को टैंक और लड़ाकू जेट जैसे उच्च तकनीक वाले हथियारों और विदेशों में निर्मित सैन्य उपकरणों से दूर कर दिया है. 1980 के दशक में इराक के साथ ईरान के आठ साल तक चले युद्ध के दौरान, कुछ देश ईरान को हथियार बेचने के इच्छुक थे. युद्ध समाप्त होने के एक साल बाद, 1989 में जब अयातुल्ला खामेनेई ईरान के सर्वोच्च नेता बने, तो उन्होंने घरेलू हथियार उद्योग विकसित करने के लिए IRGC के हाथ में कमान सौंपी. दरअसल, वो सुनिश्चित करना चाहते थे कि ईरान को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए दोबारा कभी भी विदेशी शक्तियों के आगे हाथ न फैलाना पड़े.
विशेषज्ञों के मुताबिक आज, ईरान घरेलू स्तर पर बड़ी मात्रा में मिसाइलों और ड्रोनों का निर्माण करता है और उसने सैन्य हथियारों के उत्पादन को प्राथमिकता दी है. बख्तरबंद वाहन और बड़े नौसैनिक जहाज भी घरेलू स्तर पर तैयार किए जाते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान उत्तर कोरिया से छोटी पनडुब्बियों को भी आयात करता है.

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Iran की सैन्य ताकत और कमजोरीजानकारों की मानें तो ईरान की सेना को उपकरण, सामंजस्य, अनुभव और सैनिकों के गुणवत्ता के मामले में क्षेत्र में सबसे मजबूत प्लेयर्स में से एक के रूप में देखा जाता है, लेकिन वो अभी भी अमेरिका, इजरायल और कुछ यूरोपीय देशों की अत्याधुनिक सैन्य विशेषज्ञता के मामले में उनसे काफी पीछे है.
ईरान की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी वायु सेना है. देश के अधिकांश विमान शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी के युग के हैं, जिन्होंने 1941 से 1979 तक ईरान का नेतृत्व किया था. इनमें से कई विमान स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण बेकार हो चुके हैं. ईरान ने 1990 के दशक में रूस से लड़ाकू विमानों का एक छोटा बेड़ा भी खरीदा था, माना जाता है कि इसके कुछ विमान अभी भी काम करते हैं.
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