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1984 सिख दंगों के वक्त क्या कर रहे थे रघुराम राजन

और हां, कॉलेज के दिनों में राजन कविताएं लिखते थे और लड़कियों से घिरे रहते थे...

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अविनाश जानू
29 जून 2016 (Updated: 29 जून 2016, 12:09 PM IST) कॉमेंट्स
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आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन को लेकर अब तक आपने अच्छी खासी बातें पढ़ ली होंगी. राजन की बातें भी. उनके पीछे पड़े स्वामी की बातें भी. पर अब बातें सुनिए उनकी, जिनकी वजह से रघुराम राजन हैं. रघु के मम्मी-पापा. बात ये है कि इंटरव्यू कर लिया है 'इंडियन एक्सप्रेस' ने रघुराम राजन के मम्मी-पापा का. पापा का नाम है आर गोविंदराजन और मम्मी का मैथिली. पिता सीनियर ब्यूरोक्रेट रह चुके हैं. उनका कहना है अगर सरकार ने जल्दी राजन की साइड ली होती तो शायद वो अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद, दूसरी बार RBI के गवर्नर बनने के लिए तैयार हो जाते. जागरुक पब्लिक जानती है कि सोमवार को 'टाइम्स नाउ' के अर्णब गोस्वामी के साथ अपने बहुचर्चित इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजन पर अपनी चुप्पी तोड़ी थी. प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये अफवाहें बहुत गलत हैं. उन्होंने कहा,  'रघुराम राजन की देशभक्ति हमारी देशभक्ति से कहीं भी कम नहीं है. जो लोग ऐसी बातें कर रहे हैं, वो राजन के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं.' स्वामी फैक्टर से नाराज हैं मम्मी-पापा किस्सा ये हुआ था कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राजन पर आरोप लगाया था कि वो इंडिया की कॉन्फिडेंशियल और सेंसिटिव फाइनेंनशियल जानकारी दुनिया भर को बता रहे हैं, पीएम मोदी को तुरंत उन्हें RBI गवर्नर के पद से हटा देना चाहिए. पिछले दो महीने से स्वामी की इस 'इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म' को लेकर बवाल सा मचा पड़ा था. इसके कुछ ही दिन बाद रघु ने पद छोड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि वह एकेडमिक्स में लौट जाएंगे. मम्मी भड़कीं, कहा- भारत कुछ अच्छा करने आया है रघु राजन की मम्मी मैथिली ने कहा, "हो सकता है वो इन बातों पर मुझ पर गुस्सा हो." पापा भी बोले, "एक पिता होने के नाते मुझे उसके पक्ष में कुछ भी नहीं बोलना चाहिए. वैसे भी जो कुछ हो रहा है, रघु मुझे उन मुद्दों पर बात करने नहीं देता. पर सारी दुनिया ने देखा किस तरह राजन कंट्रोवर्सी का टॉपिक बना रहा." 'किसी को अगर सवाल उठाने हैं तो उसकी पॉलिसीज पर या काम करने के तरीके पर उठाएं. किसी पर पर्सनल क्वेश्चन करना और उसकी देशभक्ति पर सवाल उठाना एकदम गलत है.' मैथिली ने कहा, "राजन भारत में पैदा हुआ और काम करने को भी भारत लौट आया क्योंकि वो कुछ अच्छा करना चाहता है." जान लो 84 में कहां थे रघु? मैथिली एक और किस्सा सुनाती हैं,
"मुश्किल वक्त में भी रघु निडर रहता था. मेरे पति सिख दंगों के दौरान इंग्लैंड में पोस्टेड थे. मैं भी उनके साथ वहीं थी. दिल्ली में रघु अपने छोटे भाई के साथ रह रहा था. जैसे ही हमने दिल्ली में इंदिरा गांधी की मौत और सिखों पर हो रहे हमले के बारे में सुना. मैंने अपनी छोटी बहन से बात की. उससे कहा कि दोनों के पास दिल्ली चली आओ. पर जब वो रास्ते में थीं तो उनकी ट्रेन पर किसी ने अटैक कर दिया, क्योंकि उस ट्रेन में एक सिख बैठा था. रघु ही था जो आया और अपनी मौसी को बचाकर घर ले गया. फिर तुरंत रघु IIT निकल गया. जहां वो और उसके दोस्त सिखों को बचाने में जुटे थे. जितने सिखों को वो बचा सकते थे, उन्होंने बचाया. क्योंकि IIT हॉस्टल ऐसे कामों के लिए सबसे सेफ जगह थी.''
मैथिली कहती हैं, ''राजन ने खुद ये सारी बातें हमें नहीं बताईं. ये सब मैंने उसके भाइयों-बहनों और दूसरे लोगों से सुनी हैं. रघु IIT स्टूडेंट यूनियन का जनरल सेक्रेटरी था. उसे अपनी ड्यूटी बखूबी पता है.'' लड़कियों से घिरे रहते थे रघुराम राजन गोविन्दराजन इस बात पर मुस्कुरा कर कहते हैं, उसकी इन्हीं सब आदतों की वजह से मैथिली ने तय किया कि वो सेंट स्टीफेंस की बजाय IIT में पढ़ेगा. वरना राजन स्टीफेंस में इकोनॉमिक्स पढ़ना चाहते थे. मैथिली मुस्कुराते हुए कहती हैं, 'राजन बहुत पढ़ता था, कविताएं लिखता था और हमेशा लड़कियों से घिरा रहता था. हमने अगर उसे सेंट स्टीफेंस भेज दिया होता तो पक्का वो पॉलिटिक्स में चला गया होता और छात्रनेता बन गया होता जैसे आज कल JNU में होते हैं.' पहले नौकरी बाद में परिवार मैथिली का कहना है कि रघुराम के पापा गोविंदराजन हमेशा देशसेवा को फैमिली से ऊपर रखते हैं. गोविंदराजन इसपर उन्हें रोकते हैं. पर वो कहती जाती हैं, "जिन्दगी हमारे लिए आसान नहीं थी. मेरे पति ने मुझे और बच्चों को हमेशा जॉब के बाद रखा. उनके काम की वजह से मुझे बच्चों को अकेले पालना पड़ा." पापा के करियर का अंत भी कंट्रोवर्शियल था गोविंदराजन के करियर का अंत भी कंट्रोवर्शियल ही था. उन्होंने उस वक्त प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी के साथ बोफोर्स केस में नाम आने के बाद रॉ प्रमुख के तौर पर प्रमोशन लेने से मना कर दिया था. पर अब वो इस बारे में बात नहीं करते हैं. एक रिटायर अफसर जो गोविंदराजन के साथ काम कर चुका था, उसने बताया, "20 सालों तक देश की सेवा करने के बाद गोविंदराजन को 4 महीने घर बैठना पड़ा था. बहुत सी जांच और बेइज्जती के बाद उनको जॉइंट इंटेलिजेंस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया. वो भी उनकी रिटायरमेंट से जस्ट पहले." मंदिर नहीं जाते हैं रघुराम मैथिली का कहना है, "जब से रघु RBI का गवर्नर बना है, मुश्किल से 4-5 बार घर आया होगा. उसके पास खुद के लिए बिल्कुल वक़्त नहीं है. उसके पास घर आने का वक़्त भी होता है, तो वो हमारे साथ रह नहीं सकता. वो होटल में रहता है. जहां उसके साथ ढेर सारे सिक्योरिटी वाले रहते हैं. अगर मिलना हो तो तमाम फॉर्मेलिटीज करनी पड़ती हैं. "मेरे पति के पिछले जन्मदिन पर रघु ने उन्हें कोडिकनल ले जाने का वादा किया था. रास्ते में मैंने उससे मीनाक्षी मंदिर ले जाने को कहा, जिसके लिए वो बड़ी मुश्किल से वक़्त निकाल पाया. राजन बहुत कम मंदिर जाता है. वैसे भी इतने अच्छे आदमी को मंदिर जाने की कोई जरूरत नहीं है. मैं जानती हूं हमारे अंदर ही भगवान है." दुखी तो है पर हर्ट नहीं होता रघु जब मैथिली से सवाल पूछा गया, "जिस तरह राजन RBI के गवर्नर का पद छोड़ रहे हैं. क्या उन्हें दुख हो रहा होगा?" मैथिली ने जवाब दिया, "राजन कभी दुख को शो नहीं करता. वो ऐसा होने पर बात करना बंद कर देता है. सरकार के सही समय पर सपोर्ट न करने से उसे दुख तो हुआ होगा पर ये बात उसे किसी भी तरह से हर्ट नहीं करेगी."
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