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CAA के खिलाफ SC पहुंची इंडियन मुस्लिम लीग, किस आधार पर रोक लगाने की मांग कर दी?

IUML ने Supreme Court में CAA के ख़िलाफ़ दायर याचिका में कहा कि ये कानून 'असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण' है.

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IUML filed application against CAA in Supreme Court
केंद्र सरकार ने 11 मार्च को CAA का नोटिफिकेशन जारी किया. (सांकेतिक फोटो- आजतक)
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हरीश
12 मार्च 2024 (Published: 02:12 PM IST) कॉमेंट्स
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इंडियन युनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून 'असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण' है. इससे एक दिन पहले ही नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने की नोटिफिकेशन जारी हुई थी. IUML का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है.

IUML, CAA को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ताओं में से एक है. याचिका में अधिनियम और उसके सेक्शन 6B की वैधता को चुनौती दी गई है. इसका उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को फास्ट-टैक नागरिकता देना है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है,

"क्योंकि अधिनियम ने नागरिकता को धर्म से जोड़ा है. धर्म के आधार पर वर्गीकरण पेश किया गया है. इसीलिए ये 'पहली नज़र में असंवैधानिक' मामला है. सुप्रीम कोर्ट को इस पर रोक लगानी चाहिए."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी का कहना है कि CAA के जिन नियमों की नोटिफिकेशन जारी की गई है, उनके तहत कुछ विशेष देशों से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को बहुत कम समय में नागरिकता देने की बात कही गई है. संगठन का कहना है कि यह  मनमाना और भेदभावपूर्ण है.

ये भी पढ़ें - 'CAA मंजूर नहीं, ऐसा करो कि... ' एक्टर विजय ने कर दिया तीखा विरोध!

CAA हुआ लागू

इससे पहले, 11 मार्च को केंद्र सरकार ने CAA का नोटिफिकेशन जारी किया. इसके साथ ही ये कानून देशभर में लागू हो गया. इसके बाद देश में रह रहे ग़ैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. लोकसभा चुनाव के क़रीब आते ही CAA के तहत नागरिकता देने के सरकार के फ़ैसले ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया है. बता दें कि 11 दिसंबर 2019 को संसद में CAA पारित किया गया था. इसके बाद पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. विरोध प्रदर्शन का केंद्र रहा दिल्ली. जहां महीनों तक प्रदर्शन जारी रहा. विरोध प्रदर्शनों के साथ ही इस कानून ने सांप्रदायिक तनाव को भी जन्म दे दिया था. इसके कारण 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसक दंगे हुए थे. जिनमें कई लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए थे.

वीडियो: CAA पर विपक्षी पार्टियों ने क्या कहा?

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