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मांझी ने सड़क दी, प्रभु देंगे रेलवे स्टेशन

रेलवे मिनिस्टर ने कह दिया है सर्वे होगा और रेल जाएगी गहलोर, मांझी के घर.

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अविनाश जानू
31 अगस्त 2016 (Updated: 31 अगस्त 2016, 10:39 AM IST) कॉमेंट्स
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40 साल हुए ट्रेन के टिकट के लिए पैसा न होने के चलते देश के माउंटेनमैन दशरथ मांझी ने गया से दिल्ली तक की दूरी पैदल ही नाप दी थी. क्योंकि वो दिल्ली पहुंचकर उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलना और उनसे अपने गांव के पास का पहाड़ काटकर रास्ता बनाने के लिए मदद मांगना चाहते थे. इसके पीछे उनका मकसद था कि उनका गांव दूसरे गांवों, कस्बों और सुविधाओं से जुड़ सके. जब तमाम सरकारी आश्वासनों के बाद भी मांझी को कोई मदद नहीं मिली, तो मांझी ने 22 साल की मेहनत के बाद पहाड़ काटकर एक सड़क बना दी जो उनके गांव को पास के दूसरे गांवों और कस्बों से जोड़ती थी. पर अभी भी गांव के सबसे पास का रेलवे स्टेशन जेठियन 8 किमी दूर पड़ता है. रेल मंत्री इसीलिए रेल को गहलोर ले जाना चाहते हैं. सुरेश प्रभु ने मंगलवार को कहा है कि वो सर्वे करवाकर देखेंगे कि यहां पर रेलवे स्टेशन कैसे बन सकता है. उनका कहना है कि प्रयास ये भी रहेगा कि उस स्टेशन का नाम मांझी के नाम पर ही रखा जाए. ये उन्होंने मंगलवार को कहा.
'मैं मिनिस्ट्री में बात करके दो-एक दिन बाद आपके पास वापस आता हूं कि यहां पर रेलवे स्टेशन बन सकता है या नहीं.'
प्रभु ने ये बात दिल्ली में मगध महोत्सव के दौरान कही. गया के MP हरि मांझी और जेहानाबाद के MP अरुण कुमार भी उनके साथ मंच पर मौजूद थे. प्रभु ने खुद को एक 'बिहारी' बताया और कहा कि वो बिहार के लोगों की भावनाओं को समझते हैं. प्रभु बोले,
'इतने महान आदमी की याद में क्या किया जाए कि उसकी यादें हमेशा के लिए लोगों के दिमाग में अमर हो जाएं. मैं इसे आज-कल में ऑफिशियली डिस्कस करता हूं. रेलवे और केंद्र सरकार क्या कर सकती है. मैं देखता हूं. मैं एक सर्वे करवाता हूं. मैं मिनिस्ट्री में ऑफिशियली इसके बारे में बात करता हूं...'
2005 में अपनी मौत से दो साल पहले मांझी ने गहलोर में बातचीत के दौरान एक पत्रकार से कहा था कि वो अपने इलाके को अच्छी तरह से दूसरी जगहों से कनेक्टेड देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा था कि यही तो सबसे बड़ा कारण था कि मैंने 22 साल पहले गांव वालों की मदद करने के लिए पहाड़ काटना शुरू किया था ताकि पास के कस्बों और हॉस्पिटल से आसानी से जुड़ सके. ऐसा उन्होंने तब किया जब उनकी पत्नी की चोट लगने के बाद सही समय पर अस्पताल न पहुंच पाने से मौत हो गई थी. पहाड़ काटकर बनाई गई मांझी की ये सड़क बहुत फेमस हुई थी और इसके ऊपर तमाम डॉक्यूमेंट्री भी बनीं थीं. इसके ऊपर एक फीचर फिल्म 'मांझी: द माउंटनमैन' भी बन चुकी है.

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