The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Indian Army to buy 307 advance...

इंडियन आर्मी 300 से ज्यादा ATAGS तोपें खरीदने वाली है, पता है कितनी दमदार है ये तोप?

पाकिस्तान और चीन से लगे बॉर्डर इलाकों में तैनात की जाएंगी ये तोप.

Advertisement
Indian Army to buy 307 advanced towed artillery gun system for pak china border
आर्मी को जल्द मिलेंगी 307 ATAGS तोपें (फोटो- इंडिया टुडे)
pic
ज्योति जोशी
2 मार्च 2023 (Updated: 2 मार्च 2023, 08:10 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

इंडियन आर्मी (Indian Army) जल्द ही 307 ATAGS (ATAGS Howitzers) तोपें खरीदने के लिए ऑर्डर देने वाली है. ATAGS यानी ‘एडवांस्ड टोअड आर्टिलरी गन सिस्टम’. खबर है कि ये ऑर्डर भारत की ही दो निजी कंपनियां मिलकर तैयार करेंगी. इन तोपों को पाकिस्तान और चीन के साथ बॉर्डर वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा. खासकर उन इलाकों में, जो ऊंचाई पर हैं. सेना ने साल 2021 में 15 हजार फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में इसे टेस्ट किया था. जरूरत के हिसाब से ATAGS के अपग्रेडेड वर्जन सेना को दिए जाएंगे.

डिफेंस अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया,

भारतीय सेना ने 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रस्ताव जारी किया है और जल्द ही इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है.

अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया,

स्वदेशी तोपों का ये पहला ऑर्डर होगा. ये तोप करीब 50 किलोमीटर दूर तक निशाना साध सकती है और माना जाता है कि ये अपनी कैटेगरी में सबसे अच्छी तोप है.

प्रस्ताव पास होने के बाद दो कंपनियों को इसका ऑर्डर मिल सकता है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने टाटा और भारत फोर्ज के साथ तोपों की टेक्निकल डीटेल शेयर की है. 

क्या खासियत है?

ATAGS 155 mm/52 कैलिबर की तोप है. मतलब इस तोप से 155 mm के गोले दागे जा सकते हैं. 155 mm कैटेगरी में ये दुनिया में सबसे ज्यादा दूरी तक गोले दागने में सक्षम है. ये तोप -30 डिग्री सेल्सियस से लेकर 75 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सटीक फायर कर सकती है. इसके 26.44 फुट लंबे बैरल से हर मिनट 5 गोले दागे जा सकते हैं. ऑटोमैटिक राइफल की तरह इसमें भी सेल्फ लोड सिस्टम होता है.

ATAGS को हॉवित्जर भी कहा जाता है. हॉवित्जर यानी कुछ छोटी तोपें. दरअसल, पहले बहुत बड़ी और भारी तोपों का इस्तेमाल होता था. इन्हें लंबी दूरी तक ले जाने और ऊंचाई पर तैनात करने में काफी मुश्किलें होती थीं. ऐसे में हल्की और छोटी तोपें बनाई गईं, जिन्हें हॉवित्जर कहा गया. ATAGS प्रोजेक्ट को DRDO ने 2013 में शुरू किया था. 

मीडिया रि 14 जुलाई 2016 को ATAGS का पहला सफल टेस्ट हुआ था. इसके बाद अलग-अलग ऊंचाई वाले इलाकों में इसे टेस्ट किया गया और जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया. चीन-पाकिस्तान बॉर्डर के पास वाले ऊंचे इलाकों में बेहतर इंफ्ररास्ट्रक्टर के चलते अब तोपों और टैंकों को वहां पहुंचाना मुमकिन हो गया है. तभी सेना अब तोपों के बड़े ऑर्डर की तैयारी में है. 

वीडियो: अग्निपथ भर्ती योजना की प्रक्रिया में आर्मी ने बदलाव किया, नए नियम पर सबकुछ जान लीजिए

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement