भारत की सेना को मिलीं K9 वज्र और M777 होवित्जर तोपों की खास बातें
इसमें भी इंडियन पार्टनर है.

1. ये दोनों 155 एमएम की गन्स हैं. गन्स में एमएम का मतलब होता है वो इलाका (यानी डायमीटर) जहां से गोली-गोला निकलता है. मतलब गोला निकलने वाली जगह का मुंह कितना बड़ा है. जितना बड़ा मुंह होगा, उतना ही बड़ा होगा उससे निकलने वाला गोला. टेक्निकल भाषा में इसको कहते हैं बैरल का बोर साइज. 2. K9 वज्र को मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में इस्तेमाल किया जाएगा. भारत इन्हें पाकिस्तान से सटी अपनी पश्चिमी सीमा पर तैनात करेगा. M777 होवित्जर पहाड़ी इलाकों के लिए ज्यादा मुफीद है. ये काफी हल्के वजन की गन्स हैं.Smt @nsitharaman , along with Shri @DrSubhashMoS , interacts with troops in Deolali at the induction ceremony of new state-of-the-art gun systems into the Indian Army pic.twitter.com/nw7k77EDuk
— Raksha Mantri (@DefenceMinIndia) November 9, 2018
3. नवंबर 2016 में भारत का अमेरिका के साथ करार हुआ था. इसमें तय हुआ कि भारतीय सेना के लिए 145 M777 बनाए जाएंगे. इनकी कुल लागत होगी 5,070 करोड़ रुपये. 4. M777 गन्स को बनाती है ब्रिटेन की एयरोस्पेस कंपनी BAE सिस्टम्स. इसने मई 2017 में भारत को शुरुआती दो M777 दिया था. इंडियन आर्मी ने इसे पोखरण भेजा था. ताकि इनकी रेंज और इससे जुड़ी बाकी चीजों का डेटा तैयार किया जा सके. सितंबर 2017 में इन दोनों में से एक गन में दिक्कत आ गई. एक ऐक्सिडेंट में इसका बैरल खराब हो गया. इसकी जांच हुई. इसके बाद तीन और M777 की डिलिवरी हुई भारत को. इसी तरह 20 और गन्स की डिलिवरी होगी. इसके बाद 120 गन्स को भारत में बनाया जाएगा. इसमें पार्टनर होगा महिंद्रा. 5. M777 का इस्तेमाल इराक और अफगानिस्तान युद्ध में हो चुका है. मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों के अलावा इन्हें ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऊंचाई के इलाकों में ले जाने के लिए हेलिकॉप्टर की जरूरत पड़ेगी.@DefenceMinIndia inducts state of the art gun systems including M 777 ULH and K9 VAJRA guns in Army after a gap of over three decades and gives the credit to laborious efforts of MoD and Services. @adgpi @indiannavy @IAF_MCC pic.twitter.com/xkVQ6p1Iex
— Defence Spokesperson (@SpokespersonMoD) November 9, 2018
6. K9 वज्र की डील तकरीबन 4,300 करोड़ रुपये की है. इसे साउथ कोरिया की सेना भी इस्तेमाल करती है. भारत ने इसके लिए साउथ कोरिया के की हथियार निर्माता कंपनी 'हानवा टेकविन' के साथ हाथ मिलाया है. भारत में इसका पार्टनर होगा लार्सन ऐंड टर्बो. 7. K9 के वार करने की मैक्सिमम रेंज है 28 से 38 किलोमीटर. K9 वज्र में तीन तरह के फायरिंग मोड हैं. पहला बर्स्ट मोड, जिसमें 30 सेकेंड के अंदर तीन राउंड फायर हो सकेगा. दूसरा मोड है इन्टेंस मोड, जिसमें ताबड़तोड़ फायरिंग होगी. तीन मिनट के भीतर-भीतर 15 राउंड तक की फायरिंग. तीसरे मोड का नाम है सस्टेन्ड. इसमें एक घंटे के अंदर 60 राउंड फायरिंग हो पाएगी. यानी, एक मिनट में एक राउंड. 8. भारत को कुल 100 K9 मिलनी हैं. हानवा टेकविन साउथ कोरिया का बड़ा डिफेंस सप्लायर है. इस डील के साथ ही उसकी भारतीय मार्केट में एंट्री हुई है. जो 100 गन्स भारतीय सेना को मिलेंगी, उनमें से 90 को भारत में ही असेंबल किया जाना है. ये जो 10 गन्स की शुरुआती खेप नवंबर 2018 में आ रही है, ये साउथ कोरिया में बनाई गई हैं. इन्हें महाराष्ट्र के पुणे के पास तालेगांव स्थित L&T के स्ट्रैटजिक सिस्टम्स कॉम्प्लैक्स में इनकी फाइनल असेंबलिंग होगी.Major capability enhancement of #IndianArmy, Defence Minister dedicated globally combat proven M777 A2 ULH, K-9 Vajra-Tracked Self Propelled Guns & 6x6 Gun Tower to the the Nation. Ceremony was held at Firing Range Devlali. @SpokespersonMoD@adgpi @DefenceMinIndia @DrSubhashMoS pic.twitter.com/PWXI6ZjPKe
— PRO Defence Nagpur (@PRODefNgp) November 9, 2018
9. M777 के वार करने की अधिकतम क्षमता 30 किलोमीटर है. 10. ये गन सिस्टम चीन और पाकिस्तान की सीमा के पास इंडियन आर्मी की काफी मदद करेंगे. 11. बोफोर्स डील के बाद ये पहला मौका है जब भारतीय सेना के आर्टिलरी डिविजन में इतनी बड़े स्तर पर गन्स की एंट्री हुई है. 12. 1960 और 70 के दशक में भी भारतीय सेना में 130 एमएम की गन्स लाई गई थीं. फिर 80 के दशक में 105 एमएम की फील्ड गन्स को भी एंट्री मिली. इन्हें भारत में ही विकसित किया गया था. इन दोनों तरह की गन्स के साथ अपने-अपने हिस्से की परेशानियां थीं. 130 एमएम गन्स में पहाड़ों पर फायरिंग करने की क्षमता नहीं थी. जबकि 105 एमएम गन्स का रेंज बहुत कम था.#IndianArmy Dedication of M777 ULH, Self propelled K9 Vajra & Common Gun Tower by RM attended by RRM Dr S Bhamre, Gen Bipin Rawat, COAS, Lt Gen PK Srivastava DG Arty, Civ, Mil Dignitaries, reps of Manufacturers from USA & S Korea. @SpokespersonMoD @adgpi @DefenceMinIndia pic.twitter.com/qu2r9xisoG
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13. लोग ये भी कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने 'मेक इन इंडिया' पर काफी बड़ी-बड़ी बातें की थीं. मगर जितनी बातें हुईं, उतना काम नहीं हुआ. इन आलोचनाओं के बीच सरकार इन दोनों गन्स को अपने डिफेंस में इस्तेमाल कर सकती है. क्योंकि दोनों का ही एक हिस्सा 'मेक इन इंडिया' के तहत तैयार होना है.Smt @nsitharaman presides over the induction of the K-9 Vajra T, M777 Ultra Light Howitzer and High Mobility 6×6 Gun Towing Vehicle into the Indian Army, along with MoS Defence @DrSubhashMoS and General Bipin Rawat, CoAS. pic.twitter.com/ccanZhNsgr
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अरुण जेटली और वसुंधरा राजे ज़रूर सुनें रमन सिंह के फैन की बात