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धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका के लेक्चर पर भारत ने जवाब दिया है

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत की आलोचना की थी जिस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागजी ने ट्वीट किया है.

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बाएं- अरिंदम बागची, दाएं- एंटनी ब्लिंकन (फोटो- आजतक)
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ज्योति जोशी
3 जून 2022 (Updated: 3 जून 2022, 08:16 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत में धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Freedom) को लेकर अमेरिका (America) की तरफ से जो टिप्पणी की गई है, उस पर भारत की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. भारत के विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने अपने जवाब में कहा है कि ये वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है और ये टिप्पणी गलत सूचना पर आधारित है. मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार 3 जून को एक ट्वीट के जरिये ये जवाब दिया है. ये रिएक्शन अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) के बयान पर आया है.

अमेरिका ने क्या कहा था?

वॉशिंगटन में गुरूवार, 2 जून को विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम यानी USCIRF की रिपोर्ट जारी की. इस दौरान एंटनी ब्लिंकन ने कहा-

इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति कैसी है और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकार कहां-कहां खतरे में हैं. उदाहरण के तौर पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और कई धर्मों का घर माने जाने वाले भारत में अल्पसंख्यक लोगों और उनके धार्मिक स्थानों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं.

ब्लिंकन ने आगे कहा-

अमेरिका दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में खड़ा रहेगा. हम नागरिकों और समाज के हित में अन्य देशों की सरकारों और संगठनों के साथ काम करते रहेंगे. हमारा काम ये सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों को अपनी धार्मिक परंपरा को आगे बढ़ाने की स्वतंत्रता मिलती रहे.

भारत का जवाब

अमेरिका की रिपोर्ट और एंटनी ब्लिंकन के बयान पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जवाब दिया. उन्होंने एक ट्वीट के जरिये कहा- 

हमने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर USCIRF 2021 रिपोर्ट और वहां के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गलत सूचित टिप्पणियों के जारी होने पर ध्यान दिया है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है. हम आग्रह करेंगे कि प्रेरित इनपुट और पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर आकलन से बचा जाए.


वहीं अल्पसंख्यकों और धार्मिक स्थलों पर हमलों को लेकर भारत सरकार ने जानकारी देते हुए बताया-

एक बहुलवादी समाज के रूप में भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है. अमेरिका के साथ हमारी चर्चा में, हमने नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, हेट क्राइम और हिंसा से जुड़े मुद्दों को नियमित रूप से उजागर किया है.

रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक का जिक्र

USCIRF की रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों और धार्मिक स्थलों पर हुए हमलों का जिक्र तो किया ही गया है, साथ ही इसमें कुछ राज्यों की सरकारों के कुछ फैसलों पर विशेष तौर पर सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए लिखा है,

'अक्टूबर 2021 में, भारत की कर्नाटक सरकार ने राज्य में चर्चों और पादरियों के एक सर्वेक्षण का आदेश दिया. साथ ही पुलिस को कहा गया कि वो ईसाई धर्म को अपनाने वाले हिंदुओं को खोजने के लिए घर-घर जाकर जांच करे. इसके अलावा जून 2021 में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी दी कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लागू करेंगे, जो किसी भी उस व्यक्ति को हिरासत में लेने की इजाजत देता है जिसके किसी भी काम से राज्य की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने 500 से अधिक अधिकारियों की एक टीम बनाई, जिसका मकसद धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल रहे लोगों को ही पकड़ना था.'

बता दें कि इसके पहले भारत ने अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता वाली रिपोर्ट पर भी आपत्ति दर्ज की थी. तब उशने कहा था कि किसी विदेशी सरकार के पास भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के बारे में टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. 

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