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घर में टट्टी बनी है या नहीं, अटेंडेंस में बताएंगे स्कूली बच्चे

गुजराती स्कूलों ने निकाला नया तरीका. 'शौचालय छे' तो ठीक, 'शौचालय नाथी' हुआ तो पूरा स्कूल निकल पड़ेगा प्रोटेस्ट पर.

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फोटो क्रेडिट: Reuters
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विकास टिनटिन
16 जून 2016 (Updated: 16 जून 2016, 08:04 AM IST) कॉमेंट्स
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ये काम इत्ता बढ़िया हुआ है कि दिल खुश हो जाएगा. मतलब कि लोगों के घरों में टट्टी बनी हुई है या नहीं. इसको पता लगाने का बढ़िया तरीका खोज निकाला है गुजराती स्कूलों ने. गुजरात के नर्मदा जिले के सरकारी स्कूलों में अब जब अटेंडेंस हुआ करेगी, तो स्टूडेंट्स को प्रेजेंट सर/मैडम नहीं कहना होगा. उन्हें कहना होगा:

शौचालय छे शौचालय नाथी शौचालय बने छे

यानी इस जिले के सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स से इस बहाने पूछ लिया जाएगा कि घर में टॉयलेट बना हुआ है या नहीं. अगर बना हुआ है तो ठीक. अगर टॉयलेट बन रहा है, तब भी ठीक. लेकिन अगर घर में टॉयलेट नहीं बना हुआ है और स्टूडेंट ने कहा- टॉयलेट नाथी. तो उस स्टू़डेंट समेत क्लास के टीचर और बाकी बच्चे निकल पड़ेंगे मार्च पर. महीने वाला मार्च नहीं, विरोध प्रदर्शन वाला मार्च. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, स्टूडेंट, टीचर उस बालक/ बालिका के घर के बाहर जाकर प्रोटेस्ट करेंगे. मांग करेंगे कि जल्दी टॉयलेट बनाया जाया. ये प्रोसेस 13 जून से शुरू की जा चुकी है. ये अभियान करीब 1 महीने चलेगा. बता दें कि सरकार घरों में टॉयलेट बनाने के लिए 12 हजार रुपये देती है, पर कुछ परिवार इसके बावजूद टॉयलेट नहीं बनवाते हैं. इलाके के डीडीओ रंजीत कुमार ने कहा, 'इस अभियान को लेकर 659 प्राइमरी स्कूल, 58 सेकेंडरी स्कूल और 16 हायर सेकेंडरी स्कूलों को नोटिस भेजा चुका है ताकि सारे स्कूल ये रूल फॉलो करें.' इसमें एक फैक्ट ये भी है कि घरों में टॉयलेट होने से एक परिवार के करीब 260 रुपये हर महीने बचेंगे. कुमार ने बताया कि एक सर्वे में ये पता चला कि टॉयलेट घर में होने से तमाम बीमारियों से बचा जा सकता है. ये वो बीमारियां हैं, जिनपे ग्रामीण इलाकों में हर महीने करीह 260 रुपये खर्च कर दिए जाते हैं.

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