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गोधरा कांड: सबकी फांसी को हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया

63 लोगों की रिहाई के फैसले को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है.

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27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 में आग लगा दी गई थी. ( फाइल फोटो: Reuters)
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अविनाश
9 अक्तूबर 2017 (Updated: 9 अक्तूबर 2017, 07:17 AM IST) कॉमेंट्स
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साल 2002 में गोधरा में ट्रेन जला दी गई थी. 59 लोग जिंदा जला दिए गए. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए. दंगों की आग में हज़ारों ज़िंदगियां खत्म हो गईं. ट्रेन जलाने के मामले में एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी करार दिया था. 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी और 20 को उम्रकैद की सजा हुई थी. फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की गई. लंबी सुनवाई के बाद नौ अक्टूबर 2017 को फैसला आ गया. हाई कोर्ट ने जिन 11 लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी, उसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया है. इसके अलावा जिन 20 लोगों को उम्रकैद हुई थी, उसे बरकरार रखा है.

जिनकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदली

1. हाजी बिलाल इस्माइल 2. अब्दुल मजीद रमजानी 3. रज्जाक कुरकुर 4. सलीम उर्फ सलमान जर्दा 5. ज़बीर बेहरा 6. महबूब लतिका 7. इरफान पापिल्या 8. सोकुट लालू 9. इरफान भोपा 10. इस्माइल सुजेला 11. जुबीर बिमयानी

घायलों की गवाही के आधार पर कोर्ट ने दिया फैसला

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निचली अदालत ने 63 लोगों को रिहा किया था, जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है. ( फाइल फोटो: Reuters)

SIT की विशेष अदालत ने 22 फरवरी 2011 को सुनवाई के दौरान 63 लोगों को रिहा कर दिया था. बरी किए गए लोगों में मुख्य आरोपी मौलाना उमरजी, गोधरा नगरपालिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट मोहम्मद हुसैन कलोटा, मोहम्मद अंसारी और गंगापुर, उत्तर प्रदेश के नानूमिया चौधरी शामिल थे. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी. हाई कोर्ट ने इन सभी 63 लोगों के मामले में निचली अदालत का ही फैसला बरकरार रखा है और राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है. कोर्ट ने घायल यात्रियों, रेलवे स्टाफ, जीआरपी और जावेद बेहरा की गवाही के आधार पर फैसला सुनाया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा-
राज्य सरकार और रेलवे लॉ एंड ऑर्डर कायम करने में नाकाम रही है.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने छह सप्ताह के अंदर हादसे में मारे गए लोगों के घरवालों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकार को दिया है.

59 लोगों की हुई थी मौत

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15 साल से अधिक की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा दी है. (फाइल फोटो : Reuters)

27 फरवरी 2002 का दिन था. वक्त सुबह का था. साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन पहुंची थी. उसके बाद एस-6 डिब्बे में आग लगा दी गई, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी. मरने वाले ज्यादातर लोग अयोध्या से लौट रहे 'कार सेवक' थे. इस हत्याकांड की जांच के लिए गुजरात सरकार ने नानावती आयोग बनाया था. इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में लगी आग हादसा नहीं थी. इसे सुनियोजित साजिश के तहत आग के हवाले किया गया था.


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