क्या इस बार अनिल विज से मंत्री पद छीना जाएगा? BJP आलाकमान छोड़ने के मूड में नहीं
अनिल विज को बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसे राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया है. नोटिस में विज से तीन दिन के अंदर लिखित जवाब देने को कहा गया है.

आखिरकार, हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री और सबसे वरिष्ठ विधायक अनिल विज को बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. यह नोटिस मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली के खिलाफ उनकी हालिया बयानबाजी को लेकर भेजा गया है. प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बादोली ने 10 फरवरी को विज को यह नोटिस भेजा और तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा है. इस नोटिस के बाद ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी ने विज के पर कतरने का मन बना लिया है.
नोटिस में विज को चेताया गया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए हैं, जिनमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं और वह पार्टी की नीतियों और आंतरिक अनुशासन के खिलाफ हैं. नोटिस में यह भी कहा गया है, "आपका यह कदम बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ है और ऐसे समय में उठाया गया जब पार्टी पड़ोसी राज्य दिल्ली में चुनाव प्रचार कर रही थी. चुनावी समय में, एक सम्मानित मंत्री पद वहन करते हुए, इस प्रकार की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा यह जानते हुए आपने ये बयान दिए और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है."

कुछ ऐसे ही नोटिस राजस्थान में किरोणी लाल मीणा और महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे को भी जारी किए गए हैं. बीजेपी के सूत्रों ने बताया है कि यह कार्रवाई आलाकमान के आदेश पर ही की जा रही है. नोटिस में स्पष्ट रूप से लिखा भी गया है कि इसे राष्ट्रीय अध्यक्ष (जेपी नड्डा) के निर्देशों के अनुसार जारी किया गया है और विज से तीन दिन के अंदर लिखित जवाब देने को कहा गया है.
अनिल विज का बीजेपी नेतृत्व से विवादहरियाणा में अक्टूबर 2024 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही अनिल विज पार्टी से नाराज चल रहे हैं. विज सात बार के विधायक हैं और वर्तमान में हरियाणा सरकार में ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री हैं. लेकिन सैनी के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही उनके बयानों ने मुख्यमंत्री और पार्टी की नाक में दम कर दिया. पहले एक नज़र विज के बयानों पर डाल लेते हैं.
- अनिल विज ने 31 जनवरी को कहा कि सार्वजनिक रूप से मामला उठाने के बावजूद उनके विरोधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा, “...चूंकि मैं सबसे वरिष्ठ नेता हूं और मैं कह रहा हूं कि मुझे हराने की कोशिश की गई, इसलिए तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए थी... लेकिन 100 दिन बाद भी कुछ नहीं किया गया.”
विज यहीं नहीं रुके. इतना कहने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री सैनी पर तीखा तंज कसा. उन्होंने कहा, "यह एक बहुत ही गंभीर मामला है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे मुख्यमंत्री 'उड़न खटोला' (हेलिकॉप्टर) से नहीं उतरते हैं. जिस दिन से उन्होंने पदभार संभाला है, वह 'उड़न खटोला' पर सवार हैं. अगर वह नीचे उतरेंगे तो लोगों की पीड़ा देख पाएंगे. यह सिर्फ मेरी आवाज नहीं है, बल्कि सभी विधायकों और मंत्रियों की आवाज है.”
- 14 जनवरी को मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ हिमाचल में गैंगरेप की FIR दर्ज हुई. मामला सामने आने के बाद अनिल विज ने 18 जनवरी को अपने प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा मांग लिया. उन्होंने कहा कि बड़ौली पर लगे आरोपों की जांच हो रही है. विज ने कहा, “गवाह ने कहा है कि मैं निर्दोष हूं और बड़ौली भी कह रहे हैं कि मैं निर्दोष हूं. मुझे पूरा भरोसा है कि हिमाचल पुलिस की जांच में वे निर्दोष साबित होंगे. जब तक हिमाचल प्रदेश पुलिस उन्हें निर्दोष साबित नहीं कर देती या जब तक जांच पूरी न हो, तब तक पार्टी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.”
- बडौली यही नहीं रुके. 2 फरवरी को एक और बयान आया. उन्होंने कहा- “मोहनलाल बड़ौली को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए. जिस व्यक्ति पर IPC की धारा-376D (महिला से गैंगरेप) के आरोप हों, वह महिलाओं की मीटिंग किस तरह ले सकता है? अब हम यह तो कह नहीं सकते कि महिलाओं को BJP से बैन कर दिया गया है. हम तो महिलाओं को 30% बढ़ा रहे हैं. ऐसे में धारा-376 का आरोपी शख्स प्रदेशाध्यक्ष नहीं रह सकता. हमारे बड़े-बड़े नेताओं पर भी आरोप लगे थे. आडवाणी पर भी आरोप लगे थे, उनका नाम आया था और उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था. बड़ौली उनसे बड़े तो नहीं हैं.”
क्या इस बार एक्शन लिया जाएगा?जानकारों ने दावा किया कि खट्टर के हटने के बाद अनिल विज नए मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष को नहीं बल्कि बीजेपी आलाकमान को तेवर दिखा रहे थे. बीजेपी की छवि ऐसी पार्टी की है जिसमें बड़े से बड़े नेता दिल्ली के फैसले को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं और मुख्यमंत्री का पद तक छोड़ देते हैं. ऐसे में अनिल विज का अपने ही मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयानबाजी करना पार्टी के अनुशासन पर सवाल खड़े कर रहा था. पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस बार आलाकमान विज को पहले की तरह नज़रअंदाज करने के मूड में नहीं है.
नाम ना छापने की शर्त पर बीजेपी के एक सीनियर लीडर ने दी लल्लनटॉप से कहा, “पार्टी ने इस बार एक्शन लेने का मूड बना लिया है. इस बार अनिल विज से मंत्री पद भी छीना जा सकता है और सख्त कार्रवाई भी की जा सकती है.”
इस मामले में अनिल विज की तरफ से अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है.
अनिल विज की पुरानी समस्या2014 में पहली बार हरियाणा में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. अनिल विज चूंकि लंबे समय से विधायक और पार्टी के सीनियर नेता थे, तो खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते थे. लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने मित्र मनोहर लाल खट्टर को. विज को ये पसंद तो नहीं आया, लेकिन उन्होंने पार्टी लाइन का सम्मान किया. लेकिन 2019 में खट्टर के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी होने और बहुमत ना मिलने के बाद विज खुद को खट्टर से बड़ा दावेदार मान रहे थे. पर इस बार भी उन्हें निराशा हाथ लगी.
उसके बाद से शुरू हुआ विज और खट्टर के बीच चेक एंड बैलेंस का खेल. विज बीच-बीच में कोशिशें करते रहते थे लेकिन खट्टर और आलाकमान ने उन्हें ज्यादा तवज्जो इसलिए नहीं दी क्योंकि उनके पास दो-चार विधायकों से ज्यादा का समर्थन कभी नहीं रहा.
खट्टर और विज के बीच कई विवाद हुए, लेकिन सबसे बड़ा गतिरोध तब पैदा हुआ अनिल विज ने स्वास्थ्य विभाग का कामकाज ही छोड़ दिया. 5 अक्टूबर 2023 को सीएम खट्टर के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश खुल्लर ने स्वास्थ्य विभाग की एक मीटिंग ले ली. खुल्लर का इस विभाग से कोई लेना-देना नहीं था. अनिल विज इस बात पर भड़क गए. उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत की और कहा कि 10 दिन के भीतर इस मामले को सुलझाया जाना चाहिए. यहां गौर करने वाली बात ये भी थी कि हरियाणा की डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज़ सोनिया खुल्लर थीं, जो राजेश खुल्लर की पत्नी हैं.
विज ने नाराज़गी दिखाई, लेकिन खट्टर की तरफ से कोई सुनवाई नहीं हुई. विज ने मंत्रालय का कामकाज ही छोड़ दिया. दो महीने तक स्वास्थ्य विभाग गए ही नहीं. वो इस बात पर अड़े थे कि सोनिया खुल्लर को स्वास्थ्य विभाग से हटाया जाए. इस बीच खबर आई कि सोनिया खुल्लर ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. आखिरकार खट्टर ने विज से बात की. 10 दिसंबर, 2023 को सोनिया खुल्लर को हरियाणा लोक सेवा आयोग का सदस्य बना दिया गया. और इस तरह 64 दिन बाद अनिल विज ने स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाला.
दो चार महीने सब ठीक चला, लेकिन नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने की खबर ने विज को ज्यादा नाराज़ कर दिया. इस बार उनकी नाराज़गी सिर्फ खट्टर से नहीं, आलाकमान से थी. क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि खट्टर के बाद तो उन्हें तवज्जो दी ही जाएगी. खट्टर के खिलाफ बनते माहौल को भांपते हुए दिल्ली ने उनसे इस्तीफा तो लिया, लेकिन सीएम की कुर्सी पर खट्टर के ही भरोसेमंद सैनी को बैठा दिया गया. 2024 विधानसभा चुनाव में पार्टी की अप्रत्याशित जीत हुई और सैनी को दोबारा मुख्यमंत्री बना दिया गया. 71 साल के अनिल विज के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी सपना बनकर रह गई.
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