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BJP और उत्तराखंड सरकार ने हरक सिंह रावत को अचानक क्यों निकाल दिया?

पार्टी के इस कदम से आहत हरक सिंह रावत मीडिया के सामने भावुक हो गए.

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हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने की चर्चा. (तस्वीरें एएनआई से साभार हैं.)
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धीरज मिश्रा
17 जनवरी 2022 (Updated: 17 जनवरी 2022, 10:39 AM IST) कॉमेंट्स
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उत्तराखंड बीजेपी ने राज्य के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को पार्टी से निकाल दिया है. उसने अनुशासन का हवाला देते हुए हरक सिंह रावत पर ये कार्रवाई की है. उन्हें छह सालों के लिए पार्टी से निष्काषित किया गया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत को कैबिनेट से भी हटा दिया है. वो उत्तराखंड सरकार में वन और पर्यावरण, श्रम, रोजगार और कौशल विकास मंत्री थे. ऐसा माना जा रहा है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.

'मुझसे बात तक नहीं की गई'

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक पार्टी के इस कदम के बाद हरक सिंह रावत ने बताया कि वो उनके खिलाफ हुई कार्रवाई से अवगत नहीं थे. उन्होंने कहा,

'केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मुझे दिल्ली में मिलने के लिए बुलाया था. ट्रैफिक के चलते थोड़ी देरी हुई. मैं उनसे और गृह मंत्री अमित शाह से मिलना चाहता था, लेकिन जैसे ही मैं दिल्ली पहुंचा, मैंने सोशल मीडिया पर देखा कि उन्होंने (बीजेपी ने) मुझे निकाल दिया है.'

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में रावत ने कहा,
'इतना बड़ा फैसला लेने से पहले उन्होंने (बीजेपी) मुझसे एक बार भी बात नहीं की. अगर मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल नहीं होता, तो चार साल पहले बीजेपी से इस्तीफा दे देता. मुझे मंत्री बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है, मैं सिर्फ काम करना चाहता था.'
इस कार्रवाई के चलते हरक सिंह रावत भावुक हो गए और बयान देते वक्त रोते हुए भी नजर आए.

सीएम धामी क्या बोले?

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दावा किया कि हरक सिंह रावत अपने परिजनों और करीबियों को टिकट दिलाने के लिए दबाव डाल रहे थे. धामी ने कहा,
'हमारी पार्टी विकासवाद पर चलने वाली पार्टी है. राष्ट्रवाद पर चलने वाली पार्टी है. वंशवाद से दूर चलने वाली पार्टी है. कई बार जब वो बातें करते थे, तो हम असहज भी होते थे. फिर भी हमने हमेशा उनको साथ लेकर चलने की कोशिश की. लेकिन स्थिति ऐसी उत्पन्न हुई कि वो अपने समेत अपने परिवार और अन्य के लिए दबाव डाल रहे थे. इसलिए पार्टी ने ये निर्णय लिया है. हमने तय किया है कि हर परिवार में किसी एक को ही टिकट दिया जाएगा.'
वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल होंगे या नहीं, अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा,
'मैं इस पर कोई बयान नहीं देना चाहता. उत्तराखंड के निष्कासित बीजेपी मंत्री हरक सिंह अभी कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं. विभिन्न विषयों पर विचार करने के बाद पार्टी फैसला करेगी. यदि वो (हरक सिंह) कांग्रेस पार्टी छोड़ने की अपनी गलती स्वीकार करेंगे, तो हम उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं.'
मालूम हो कि हरक सिंह रावत कांग्रेस के उन नौ बागी विधायकों में से एक थे, जिन्होंने साल 2016 में बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था. साल 2012 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रावत, विजय बहुगुणा से पिछड़ गए थे और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.   हरक सिंह रावत ने 1991 में बीजेपी के टिकट पर पौड़ी से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था. तब अविभाजित उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार में उन्होंने सबसे कम उम्र के मंत्री के रूप में कार्य किया था. बाद में वो बसपा में शामिल हो गए. साल 1998 में बसपा से टिकट नहीं मिलने पर रावत कांग्रेस में चले गए. 2002 और 2007 में वो कांग्रेस के टिकट पर लैंसडाउन से विधायक बने थे. रावत 2007 से 2012 तक राज्य में विपक्ष के नेता भी रहे. हाल ही में उत्तराखंड में पार्टी विधायक दिलीप सिंह रावत ने मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिखकर रावत द्वारा संचालित मंत्रालयों पर उनके लैंसडाउन निर्वाचन क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था. इसके बाद से ही पार्टी में गुटबाजी होने की बात सामने आ रही थी.

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