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'मोदी को मौत की सजा दिलाना चाहते थे', गुजरात दंगे में तीस्ता के खिलाफ SIT की चार्जशीट दाखिल

तीस्ता के साथ-साथ आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल. SIT ने कहा- ये लोग नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी खत्म करना चाहते थे.

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Gujarat SIT Teesta Setalvad case
तीस्ता सीतलवाड़. (फाइल फोटो)
21 सितंबर 2022 (Updated: 22 सितंबर 2022, 16:40 IST)
Updated: 22 सितंबर 2022 16:40 IST
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गुजरात पुलिस (Gujarat Police) की SIT ने सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, रिटायर्ड DGP आरबी श्रीकुमार और पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है. राज्य पुलिस ने आरोप लगाया है कि इन लोगों ने साल 2002 से जुड़े गुजरात दंगों के लेकर सबूतों के साथ जालसाजी की है. गुजरात पुलिस ने इस संबंध में ये भी आरोप लगाया है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ करके गुजरात सरकार और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा गया था.

इस मामले में तीस्ता सीतलवाड़ को बीते 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. वहीं श्रीकुमार 25 जून से ही जेल में है और उनकी जमानत याचिका गुजरात हाईकोर्ट में लंबित है, जिसकी सुनवाई 28 सितंबर को होनी है. वहीं सजीव भट्ट पहले से ही पालनपुर जेल में हैं. भट्ट को साल 1990 में हिरासत हत्या से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराया गया है.

गुजरात पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 120बी (आपराधिक साजिश), 468 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल), 194 (अपराध का दोष सिद्ध करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना), 211 (हानि पहुंचाने के इरादे से झूठा आरोप लगाना) और 218 (लोक सेवक द्वारा व्यक्ति को सजा से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड तैयार करना) लगाई गई हैं.

2002 के गुजरात दंगे को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य संबंधित व्यक्तियों को क्लीन चिट देने के अगले दिन ही इस मामले की एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को ही आधार बनाया गया है.

‘मौत की सजा दिलाना चाहते थे’

SIT ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि आरोपियों की मंशा तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी खत्म करना था. चार्जशीट में कहा गया कि आरोपी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत की सजा दिलाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि इसके लिए फर्जी दस्तावेज, फर्जी हलफनामों इत्यादि के लिए बकायदा वकीलों को फौज तैयार की गई थी और मनगढ़ंत कहानियों पर पीड़ितों के हस्ताक्षर लिए गए.

गुजरात पुलिस का कहना है कि क्योंकि दस्तावेज अंग्रेजी में थे, लिहाजा ये पीड़ितों की समझ से बाहर था. उन्होंने दावा किया है कि तीस्ता का साथ देने तैयार नहीं होने पर गवाह को धमकाया जाता था. SIT के मुताबिक, तीस्ता ने पीड़ितों के कैंप में भ्रामक बातें फैलाईं और मामले को गुजरात से बाहर ले जाने के लिए उन्हें उकसाया. उन्होंने कहा कि तीस्ता और संजीव भट्ट एक दूसरे के संपर्क में थे और भट्ट ने नामी पत्रकारों, NGO और विपक्ष के नेता से ईमेल के जरिए संपर्क में थे.

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