The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Gauhati High Court rejects Assam woman’s 8 documents

आठ डॉक्यूमेंट और 1966 की वोटर लिस्ट में दादा का नाम भी इस महिला को भारतीय नागरिक नहीं बना सके

महिला को जनवरी, 2019 से डिटेंशन सेंटर में रखा गया है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
आदित्य
26 फ़रवरी 2020 (Updated: 26 फ़रवरी 2020, 11:51 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
18 फरवरी को गौहाटी हाईकोर्ट ने असम की एक महिला की नागरिकता का दावा करने वाली याचिका खारिज कर दी. महिला को जनवरी, 2019 से जोरहाट के एक डिटेंशन सेंटर में रखा गया है. 24 जनवरी, 2019 को नूर बेगम को फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के तहत विदेशी घोषित किया गया था. अपनी नागरिकता की हिफाजत को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
नूर बेगम ने आठ डॉक्यूमेंट दिखाए, जिनमें 1966 की वोटर लिस्ट में उनके दादा का नाम शामिल था. 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के मुताबिक़, अपने दादा के साथ संबंध स्थापित करने के लिए उन्होंने तीन दस्तावेज प्रस्तुत किए,

प्रांतीय स्कूल के नौवीं कक्षा का सर्टिफिकेट

दुलिया गांव के मुखिया से सर्टिफिकेट

जाति प्रमाणपत्र, जिससे पता चलता है कि वो 'जोलहा' समुदाय से हैं

इन सभी सर्टिफिकेट में नूर बेगम के पिता का नाम राजू हुसैन उर्फ राजेन अली बताया गया है. इसके साथ ही नूर बेगम ने 1997 की वोटर लिस्ट दिखाई, जिससे उसने अपने कथित पिता और दादा के बीच संबंध स्थापित किया. हालांकि, अदालत डाक्यूमेंट्स से संतुष्ट नहीं थी. अदालत का कहना था कि जिसे उसने अपना पिता बताया है, उसके साथ उसे संबंध स्थापित करने होंगे.
अदालत ने फैसला सुनाया-
जितने भी प्रमाण पत्र पेश किए गए, वो पुख्ता सबूत नहीं हैं. इसे जारी करने वालों ने भी इसकी ठीक से जांच नहीं की थी.
नूर बेगम की कथित मां जहरुन बेगम ने भी गवाही दी कि नूर उनकी बेटी है. लेकिन अदालत ने कहा-
याचिकाकर्ता की मां होने का दावा करने वाली जहरुन बेगम, उसके दादा, पिता या खुद याचिकाकर्ता के बयान को पुख्ता दस्तावेज के अभाव में नहीं माना जा सकता है. याचिकाकर्ता की मां होने का दावा करने वाली की मौखिक गवाही भी काफी नहीं है, क्योंकि डॉक्यूमेंट उनके बीच संबंध स्थापित नहीं करते.
नूर बेगम के वकील एचआरए चौधरी ने कहा-
अदालत का कहना है कि वो अपने पिता के साथ संबंध साबित नहीं कर सकीं. नूर बेगम के मामले में अदालत को कम से कम को यह विचार करना चाहिए कि वो एक चाय बागान में काम करने वाली जोलहा मुस्लिम है. उसके परिवार का बांग्लादेश से कोई संबंध नहीं है.
इससे पहले असम की जाबेदा बेगम अपनी और अपने पति की नागरिकता साबित करने लिए 15 तरह के दस्तावेज़ पेश किए, लेकिन फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में वो हार गईं. फ़ैसले को उन्होंने गौहाटी हाइकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां भी हार गईं. जाबेदा बेगम को ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित किया था.
Jabeda Begam
जाबेदा के जमा किए हुए सारे कागज़ात कोर्ट ने मानने से मना कर दिए. अब जाबेदा को सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी होगी (तस्वीर ANI)

असम में नागरिकता कैसे साबित होती है?
असम में नागरिकता का पता वंश द्वारा लगाया जाता है. असम में भारतीय नागरिकता के लिए ये साबित करना ज़रूरी है कि शख्स के पूर्वज 1971 से पहले से असम में रह रहे थे. NRC, माने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस में दर्ज होने के लिए असम में कागज़ात के दो सेट जमा करने पड़ते हैं- List A और List B.
List A में वो काग़ज़ आते हैं, जिसमें नागरिक को ये साबित करना होता है कि उसके माता-पिता असम में 1971 से पहले तक भी रहे हैं. 1951 में NRC के काग़ज़ दिखाए जा सकते हैं. 1971 से पहले की वोटर लिस्ट में नाम भी दिखा सकते हैं.
List B में वो लोग आते हैं, जो 1971 के बाद असम में पैदा हुए. इसमें पैन कार्ड, बर्थ सर्टिफ़िकेट वगैरह लगाए जा सकते हैं.


वीडियो- NRC के बाद असम की ज़बेदा बेगम क्यों हाईकोर्ट में भी नागरिकता नहीं साबित कर पाईं?

Advertisement