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महमूद गजनी से लेकर मुगलों तक, NCERT ने इतिहास की किताबों में इस्लामिक शासकों पर क्या-क्या हटाया

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार के आने के बाद NCERT की किताबों में ये जानकारी कम की गई है.

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NCERT का कहना है कि ये बदलाव छात्रों पर पढ़ाई की बोझ कम करने की कोशिश के तहत किए गए हैं. (फोटो: कॉमन सोर्स)
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20 जून 2022 (Updated: 5 अप्रैल 2023, 11:18 AM IST) कॉमेंट्स
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NCERT एक बार चर्चा में है. कारण है सिलेबस में बदलाव. 12वीं और 11वीं की किताबों से कुछ अंश हटाए गए हैं. इनमें महात्मा गांधी की हत्या, नाथूराम गोडसे और RSS के बारे में कुछ बातें हटाई गई हैं. इससे पहले जून 2022 में इस बारे में जानकारी सामने आई थी कि NCERT ने किताबों में कुछ बदलाव किए हैं. 

(ये रिपोर्ट सबसे पहले 20 जून 2022 को छपी थी.)

NCERT की स्कूली किताबों पर दी इंडियन एक्सप्रेस ने 20 जून को इन्वेस्टिगेटिव सीरीज की तीसरी रिपोर्ट छापी. इस रिपोर्ट को अंग्रेजी अखबार से जुड़ीं रितिका चोपड़ा ने लिखा है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद NCERT की किताबों में मुगल शासन काल के बारे में दी गई जानकारी को कम कर दिया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कक्षा 6 से 12 तक की इतिहास की नौ किताबों की पड़ताल की गई है और NCERT के अंदर सर्कुलेट की गई प्रस्तावित बदलावों की टेबल का मिलान किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम शासकों से संबंधित ज्यादातर बदलाव एक ही किताब में किए गए हैं. कक्षा 7 की इतिहास की किताब 'अवर पास्ट-ll' से दिल्ली सल्तनत से जुड़े राजवंशों जैसे मामलुक, तुगलक, खिलजी और लोधी इत्यादि पर कई पेजों को हटा दिया गया है. इसी तरह मुगल साम्राज्य की जानकारी देने वाले भी कई पेजों हटाया गया है. और क्या क्या बदलाव किए गए, विस्तार से जानते हैं.

- 7वीं की इतिहास की किताब 'अवर पास्ट - II' में दिल्ली सल्तनत के विस्तार से जुड़े तीन पेज, खास तौर पर दक्षिण में सल्तनत के विस्तार को हटा दिया गया है.

हटाए गए हिस्से में एक मस्जिद की व्याख्या करने वाले वाक्य़ भी थे. इनमें लिखा था,

 मस्जिद अरबी शब्द है. शाब्दिक रूप से एक ऐसी जगह जहां एक मुसलमान अल्लाह के प्रति श्रद्धा के साथ सजदा करता है. मस्जिद-ए-जामी या जामा मस्जिद में मुसलमान एक साथ अपनी नमाज़ पढ़ते हैं. इबादत के लिए सबसे सम्मानित और विद्वान पुरुष को अपने इमाम (नेता) के रूप में चुनते हैं. इमाम शुक्रवार की प्रार्थना के दौरान खुतबा (धर्मोपदेश) भी देते हैं. नमाज के दौरान मुसलमान मक्का की तरफ मुंह करके खड़े होते हैं. भारत में यह पश्चिम की ओर है. इसे क़िबला कहते हैं.

इसके अलावा, लगातार होने वाले मंगोल हमलों पर अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद तुगलक की प्रतिक्रिया की तुलना करने वाला एक विस्तृत चार्ट भी हटा दिया गया है.

- कक्षा 7 की किताब के चैप्टर 'द मुगल एम्पायर' में भी कुछ चीज़े हटाई गई हैं. इसमें हुमायूं, शाहजहां, बाबर, अकबर, जहाँगीर और औरंगज़ेब जैसे मुगल सम्राटों की उपलब्धियां शामिल हैं.

- कक्षा 12 की इतिहास की किताब के चैप्टर 'किंग्स एंड क्रॉनिकल्स: द मुगल कोर्ट्स' (भारतीय इतिहास में विषय - भाग II) को हटा दिया गया है. इस चैप्टर में अकबरनामा और बादशाहनामा जैसी मुगल-युग की पांडुलिपियों और युद्धों, शिकार अभियानों, भवन निर्माणों और दरबार के दृश्यों के माध्यम से मुगलों के इतिहास के बारे में बताया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक NCERT ने अपनी वेबसाइट पर एक टेबल जारी की थी. इस रिपोर्ट को दी इंडियन एक्सप्रेस ने डाउनलोड किया था. इसमें बताया गया था कि महमूद गजनी पर एक हिस्सा, अकबर की नीतियों पर पूरे एक खंड, पुराने मुगल प्रांतों को कैसे स्वतंत्र राजनीतिक राज्य बनाया गया, इस बारे में बताया गया था. अब इसे सातवीं कक्षा की इतिहास की किताब से हटा दिया गया है. क्या क्या बदला गया है, आइए देखते हैं.

- अफगानिस्तान के शासक महमूद गजनी के बारे में भी कई चीज़ें बदली गई हैं. सबसे पहले, उनके नाम से "सुल्तान" शीर्षक हटा दिया गया है. दूसरा, एक वाक्य जिसमें लिखा था- "उसने लगभग हर साल भारतीय उपमहाद्वीप पर छापा मारा" को बदलकर, "उसने उपमहाद्वीप पर 17 बार (1000-1025 CE) धार्मिक मकसद से धावा बोला", कर दिया गया है.

इसके अलावा, जीती गई जगहों पर रहने वाले लोगों के बारे में जानने की गजनी की रुचि को लेकर लिखे पैरा को हटा दिया गया है. हटाए गए पैरा में लिखा था, 

"सुल्तान महमूद भी उन लोगों के बारे में और जानने में रुचि रखता था, जिनपर उसने जीत हासिल की. उसने भारतीय उपमहाद्वीप का लेखा-जोखा लिखने का जिम्मा अल-बिरूनी नाम के एक विद्वान को सौंपा. किताब उल-हिंद के नाम से जानी जाने वाली यह अरबी कृति इतिहासकारों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बनी हुई है. बिरूनी ने अपनी किताब लिखने के लिए संस्कृत के विद्वानों से परामर्श लिया था."

- इसी तरह 'मुगल साम्राज्य' के नाम के एक चैप्टर का नाम बदलकर 'मुगल (16 वीं से 17 वीं शताब्दी)' कर दिया गया है.  "अकबर की नीतियों" पर एक खंड को हटा दिया गया है, जिसमें अकबर के प्रशासन की  विशेषताओं, अलग-अलग लोगों के सामाजिक रीति-रिवाजों और धर्मों में अकबर की रुचि और कैसे अकबर ने संस्कृत की किताबों का फारसी में अनुवाद कराया, ये सब बताया गया था.

-'दी दिल्ली सुल्तान्स' चैप्टर का शीर्षक बदलकर 'दिल्ली: 12वीं से 15वीं शताब्दी' कर दिया गया है.

- NCERT ने अवध, बंगाल और हैदराबाद के स्वतंत्र राजनीतिक राज्य, जो पुराने मुगल प्रांतों से बने थे, उनपर पूरे पांच पेज की जानकारी को 'अठारहवीं-शताब्दी राजनीतिक संरचना' नाम के चैप्टर से मिटा दिया है. राजपूतों, मराठों, सिखों और जाटों के नियंत्रण वाले राज्यों की जानकारी को बरकरार रखा गया है.

इसके अलावा कुछ चीज़े और हटाई गई हैं. छात्रों को अब कक्षा 7 के इतिहास के सिलेबस में 'रूलर्स एंड बिल्डिंग्स' नाम का चैप्टर नहीं पढ़ना होगा. इस चैप्टर में हिंदू राजाओं द्वारा निर्मित मंदिरों के आर्किटेक्चर और मुस्लिम शासकों द्वारा बनाई मस्जिदों, मकबरों और किलों के बारे में बताया गया था.

कक्षा 11 के इतिहास में, 'द सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स' चैप्टर को हटा दिया गया है. ये इस्लाम के उदय और मिस्र से अफगानिस्तान तक इसके विस्तार से संबंधित था, जो कि 600 ईस्वी से 1200 ईस्वी तक इस्लामी सभ्यता का मुख्य क्षेत्र रहा.

इन बदलावों पर दी इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए NCERT के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा, 

"सबसे पहले ये सेलेक्टिव नहीं है. हमने केवल सामाजिक विज्ञान ही नहीं, बल्कि सभी विषयों के छात्रों पर भार कम करने की कोशिश की है. हमने गणित और विज्ञान के लिए भी ऐसा ही किया है. इसके अलावा बाहरी विशेषज्ञों की मदद से ये बेहद पेशेवर तरीके से किया गया. विशेषज्ञों का कहना है कि NCERT हस्तक्षेप नहीं करता है. उन्होंने महसूस किया कि कुछ चीज़ों को हटाया जा सकता है क्योंकि ये दूसरी किताबों में कहीं और शामिल है."

इंडियन एक्सप्रेस में अपनी इस रिपोर्ट में रितिका चोपड़ा ने लिखा है कि देश की वर्तमान शासन व्यवस्था ये मानती है कि भारतीय इतिहास में दूसरे शासकों की कीमत पर आक्रमणकारियों और मुगलों का महिमामंडन किया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि अब ये धारणा बहुत ही मजबूती से शायद सबसे जरूरी जगह यानी स्कूल की किताबों में दिखाई दे रही है. 

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