फ्रांस में 'अलगाववाद' के शक में 76 मस्जिदों की जांच होने जा रही है
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने आतंकी घटनाओं के बाद 'इस्लामिक कट्टरपंथ' से लड़ने की बात कही थी.
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फ्रांस में आतंकी घटनाओं के बाद राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (फोटो में) ने कहा था कि दुनियाभर में इस्लाम संकट में है और उन्होंने इस्लामिक कट्टपंथ से लड़ने की बात कही थी. फोटो: AP
“मेरे निर्देशों के बाद सरकारी एजेंसियां अलगाववाद के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर अभूतपूर्व कार्रवाई शुरू करेंगी. आने वाले दिनों में देश में अलग-अलग 76 मस्जिदों की अलगावाद के साथ जुड़ाव के शक में जांच की जाएगी और जो भी मस्जिद इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाई जाएगी, उसे बंद कर दिया जाएगा.”
डारमैनिन ने कहा कि बिना दस्तावेज वाले 66 प्रवासियों को 'कट्टरपंथ के शक में' बाहर निकाला गया है. उन्होंने कहा कि 2,600 से ज़्यादा मस्जिदों में से 76 को चिन्हित किया गया है, जो फ्रांस के मूल्यों और इसकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं. उन्होंने कहा,76 mosquées sont aujourd’hui soupçonnées de séparatisme. Dans les prochains jours, des contrôles vont être menés sur ces lieux de culte. Si jamais ces doutes sont confirmés, je demanderai leur fermeture. pic.twitter.com/Mq8DGnB2Pr
— Gérald DARMANIN (@GDarmanin) December 3, 2020
''कुछ सघन इलाकों के धार्मिक स्थल एंटी-रिपब्लिकन हैं. यहां इमामों पर इंजेलीजेंस सर्विस की नज़र है और यहां हमारे मूल्यों के ख़िलाफ़ डिस्कोर्स चलता है.''
शार्ली एब्दों और इस्लामिक कट्टरपंथ
डारमैनिन ने ये नहीं बताया कि किन-किन धार्मिक स्थलों की जांच होगी. हालांकि समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक, क्षेत्रीय सुरक्षा प्रमुखों को नोट भेजा गया है, जिसमें पेरिस क्षेत्र के 16 पते और देश के दूसरे भागों के 60 पते शामिल हैं.
फ्रांस में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या पूरे यूरोप में सबसे ज़्यादा है. 2015 में भी शार्ली एब्दो के दफ्तर पर कट्टरपंथियों ने हमला किया था और इसमें 12 लोग मारे गए थे. इसके बाद फ्रांस में कई और कट्टरपंथी घटनाएं हुईं, जिनके बाद से फ्रांस में 'फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन' और 'रेडिकल इस्लाम' को लेकर बहस जारी है. 'इस्लामोफोबिया' पर बहस अक्टूबर महीने में मैक्रों ने ''इस्लामिक अलगाववाद'' की बात कही थी. उन्होंने एक कानून लाने की घोषणा की थी. इसमें 'इस्लामिक कट्टरपंथ' का मुकाबला करने के लिए फ्रांस के 'लैसिते' या धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को और भी मज़बूत बनाने की बात कही गई . मुस्लिम समाज के लोगों का आरोप है कि हाल ही के दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कई मस्जिदें बंद कर दी गईं. बाहरी देशों से इमामों के फ्रांस में आने पर पाबंदी लगाई गई है. स्कूलों और दफ्तरों में हिजाब पहनने पर भी रोक है. मस्जिदों की फंडिंग पर फ्रांस सरकार की नज़र है. 20 अक्टूबर को फ्रांस ने पेरिस के बाहर एक मस्जिद बंद करने के निर्देश दिए थे. इसके अलावा फ्रांस ने दो संगठनों- द मुस्लिम चैरिटी बराका सिटी और द कलेक्टिव अगेंस्ट इस्लामोफोबिया इन फ्रांस (CCIF) को भी बंद किया था. फ्रांस के इन कदमों की तुलना चीन की तरफ से उइगर मुसलमानों पर किए जाने वाले 'क्रैकडाउन' से की जा रही है.