वाघा: पहली बार एक सरदार बोला 'पाकिस्तान जिंदाबाद'
सन 1959 से चली आ रही है ये रस्म.
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फोटो - thelallantop
इंडिया- पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर पर एक कमाल की चीज नजर आई गुरुवार की शाम को. चीज पढ़ कर फिसलो मत, वो एक फौजी था. सिख फौजी. वाघा बॉर्डर पर जो बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है न. उसमें हिस्सा लेने पाकिस्तान की तरफ से पहली बार एक सरदार जी आए.
अमरजीत सिंह इस सेरेमनी में आने वाले पहले सिख पाकिस्तानी रेंजर हैं. उनको देख कर इस तरफ के फौजी एकदम से मगन हो गए. खुशी में तालियां बजाने लगे. 2009 से पाकिस्तान रेंजर हैं अमरजीत. इसी साल उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई है.
बीटिंग द रिट्रीट 1959 से चला आ रहा एक चलन है. शाम के वक्त जब सूरज डूबने वाला होता है. तब वाघा बॉर्डर पर दोनों तरफ के लोहे के दरवाजे खुल जाते हैं. झंडे उतारे जाते हैं. भारत की तरफ से एक BSF का जवान और पाकिस्तान की तरफ से एक रेंजर परेड करते हुए आते हैं. दोनों का आमना सामना होता है हाथ मिलाए जाते हैं. दोनों सिर के बराबर तक पैर उठाते हैं. और तेज आवाज में चिल्लाते हैं. जितनी तेज आवाज और जितना ऊंचा उठा पैर, उतना भौकाल.
सन 1959 से चली आ रही है ये रस्म. हर शाम को इस मौके पर दोनों तरफ के हजारों लोग आते हैं. 156 सेकंड चलता है ये रंगारंग प्रोग्राम. सिर्फ दो बार इसमें कटिंग हुई थी सन 65 और 71 के वार में. बाकी ये अच्छी चीज है चलती रहनी चाहिए. भाईचारा बना रहे. सरदार अमरजीत सिंह को हमारा सैल्यूट.
