'ग्रहण' वेब सीरीज़ के चक्कर में डिज़्नी+हॉटस्टार ने बड़ी गलती कर दी
इस बारे में अनुपमा चोपड़ा ने डिज़्नी+हॉटस्टार को करारा जवाबी मेल लिखा है.
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'ग्रहण' वेब सीरीज़ का पोस्टर दूसरी तरफ फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड की चेयरपर्सन अनुपमा चोपड़ा.
एक फिल्मी प्रक्रिया है- 'प्रेस शो'. इसमें होता ये है कि फिल्म के मेकर्स ऑफिशियल रिलीज़ से पहले क्रिटिक्स को ये अपनी पिक्चर दिखा देते हैं. अब ओटीटी प्लैटफॉर्म्स का ज़माना है. इसलिए प्रेस को फिल्म या वेब सीरीज़ की रिलीज़ से पहले ऑनलाइन स्क्रीनर भेज दिया जाता है. स्क्रीनर का मतलब आपको स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म या मेकर्स एक लॉगिन आईडी और पासवर्ड की मदद से अपनी फिल्म रिलीज़ से पहले आपको दिखाते हैं. इसमें उनकी कुछ शर्ते होती हैं. जैसे आप इस तारीख को इतने बजे से पहले इस फिल्म की बात किसी पब्लिक प्लैटफॉर्म पर नहीं कर सकते हैं. इसे एंबार्गो कहा जाता है. क्लीयर है? अब आपको एक खबर बताते हैं.
पिछले दिनों डिज़्नी+हॉटस्टार पर 'ग्रहण' नाम की एक सीरीज़ रिलीज़ हुई. रवायतानुसार प्लैटफॉर्म ने 20 जून को समीक्षकों को स्क्रीनर भेजा. ताकि वो समय से उनकी सीरीज़ देखकर रिव्यू छाप दें. इस सीरीज़ का ट्रेलर यहां देखिए-
मगर 'ग्रहण' के स्क्रीनर के साथ डिज़्नी+हॉटस्टार ने फिल्म समीक्षकों के लिए कुछ बातें लिखीं. इस सेग्मेंट का नाम था- 'इंस्ट्रक्शंस टु जर्नलिस्ट्स एंड रिव्यूअर्स'. यानी पत्रकारों और समीक्षकों के लिए निर्देश. बेसिकली उनकी सीरीज़ का रिव्यू कैसे लिखा जाना चाहिए, इसका एक क्रैश कोर्स था. जिन्होंने भी ये सीरीज़ देखी है, उन्हें पता है कि इस सीरीज़ में 1984 दंगों पर बात हुई है. क्योंकि ये सीरीज़ सत्य व्यास की नॉवल 'चौरासी' पर बेस्ड है. अपने एंबार्गो लेटर में डिज़्नी+हॉटस्टार ने बताया है कि समीक्षकों को क्या नहीं करना है. उनके द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश आप नीचे पढ़िए-
* इस सीरीज़ के किसी सीन-प्लॉट या किरदार की तुलना असल घटना या व्यक्ति से न करें.
* अपने रिव्यू में किसी धर्म या समुदाय विषय की गलत व्याख्या करने से बचें.
* इस शो में दिखाए गए सिचुएशंस को आज के समय में या पहले हुई किसी भी राजनीतिक घटना से न जोड़ें.
* रिव्यू लिखते वक्त ये ध्यान रखें कि हम किसी सामाजिक या राजनीतिक एजेंडा या समुदाय विशेष के बारे में कोई पॉइंट प्रूव करने की कोशिश नहीं कर रहे.
ये एंबार्गो लेटर अंग्रेज़ी में था. और इसमें 'नहीं करें' (NOT) को बोल्ड और कैपिटल में लिखा गया था. ये बिल्कुल वैसे ही है, जैसे समीक्षक मेकर्स को ये बताएं कि सीरीज़ कैसे बनानी चाहिए. कहने का मतलब, प्लैटफॉर्म चाहता है कि तमााम फिल्म क्रिटिक्स उनकी वेब सीरीज़ के बारे में बात करें. उसकी समीक्षा लिखें, ताकि उनकी सीरीज़ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे. ऐसे में क्रिटिक्स को निर्देश देना कि रिव्यू कैसे लिखें, ये बड़ी असम्मानजनक बात है. अब इस मामले को फिल्म पत्रकार और फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड की चेयरपर्सन अनुपमा चोपड़ा ने उठाया है. क्रिटिक्स गिल्ड के सभी 36 सदस्यों की ओर अनुपमा ने स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म को एक जवाबी मेल लिखा है. इसमें उन्होंने ओटीटी प्लैटफॉर्म के इस कदम पर घोर निराशा ज़ाहिर की है. इस मेल में अनुपमा ने लिखती हैं कि ये कदम प्लैटफॉर्म और शिक्षित, अनुभवी और इंडीपेंडेंट पत्रकारों के बीच के प्रोफेशनल रिलेशनशिप को खराब करने वाला है. अनुपमा चोपड़ा लिखती हैं-The FCG strongly disapproves of the note sent by Disney + Hotstar along with the screener for Grahan, which instructed critics on how to review a series & what they should include & exclude. We have written to them regarding the same. @DisneyPlusHS pic.twitter.com/gS2wPMEB0H
— Film Critics Guild (@theFCGofficial) July 2, 2021
''जर्नलिज़्म के दूसरे क्षेत्रों की तरह फिल्म जर्नलिज़्म का भी सिद्धांत है कि समीक्षक बिना किसी डर, प्रभाव, पक्षपात और हेरफेर के फिल्म या सीरीज़ पर लिखे या उसकी समीक्षा करे. इस तरह की लापरवाही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने वाली है.गिल्ड चाहेगा कि डिज़्नी+हॉस्टार गंभीरता से विचार करे कि वो पत्रकारों और समीक्षकों से किस तरह की एंगेजमेंट चाहता है. साथ ही तत्काल प्रभाव से इन आपत्तिजनक निर्देशों को वापस ले. और हमारी फ्रेटरनिटी के साथ अपने संबंधों में सेंसर करने का काम न करे.''इस मामले में अब तक डिज़्नी+हॉटस्टार का जवाब नहीं है. 'ग्रहण' 8 एपिसोड वाली एक मानवीय वेब सीरीज़ है, जो 1984 के उथल-पुथल भरे राजनीतिक बैकड्रॉप में घटती है. इस सीरीज़ में पवन मल्होत्रा, ज़ोया हुसैन, अंशुमन पुष्कर और वमीका गाबी ने मुख्य किरदार निभाए हैं. इस सीरीज़ को 'बमफाड़' फेम रंजन चंदेल ने डायरेक्ट किया है. 'ग्रहण' 24 जून से डिज़्नी+हॉटस्टार पर स्ट्रीम के लिए उपलब्ध है.