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दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों ने अब भूख हड़ताल का ऐलान किया

तोमर और राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद दुष्यंत चौटाला बोले अगले 48 घंटे अहम

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मीडिया के सामने अपनी बात रखते किसान नेता कमलप्रीत सिंह बाएं और गुरनाम सिंह दाएं. फोटो साभार ANI
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Varun Kumar
12 दिसंबर 2020 (Updated: 12 दिसंबर 2020, 02:33 PM IST) कॉमेंट्स
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पिछले 17 दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है. किसान तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों ने दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक ठप करने की चेतावनी दी है. किसान नेताओं ने कहा कि हमने आंदोलन को और तेज करने का फैसला लिया है. यूनियन के नेता भूख हड़ताल शुरू करेंगे. अगर सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम तैयार हैं. वहीं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने उम्मीद जताई है कि अगले 24 से 48 घंटों में किसानों और सरकार के बीच बातचीत हो सकती है. गुस्से में किसान जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है वैसे-वैसे किसानों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है. शनिवार को कई जगहों से टोल प्लाजा भी बंद कराए जाने की खबरें सामने आई हैं. साथ ही कई इलाकों से दिल्ली में बैठे किसानों के समर्थन में अन्य किसानों की आमद जारी है. किसान नेता कमलप्रीत पन्नू ने कहा है कि राजस्थान बॉर्डर से हजारों किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और दिल्ली-जयपुर हाईवे को बंद करेंगे. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा,
"पंजाब से आने वाले किसानों की टोलियों को रोका जा रहा है. हम सरकार से किसानों को दिल्ली पहुंचने की अनुमति देने की अपील करते हैं ... अगर सरकार 19 दिसंबर से पहले हमारी मांगों को नहीं मानती है, तो हम उसी दिन गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस से उपवास शुरू करेंगे."
https://twitter.com/ANI/status/1337737444356214784 कमल प्रीत सिंह पन्नू ने कहा,
"हजारों किसान कल सुबह 11 बजे राजस्थान के शाहजहांपुर से ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे और जयपुर-दिल्ली मुख्य मार्ग को अवरुद्ध करेंगे. हमारे देशव्यापी आह्वान के बाद, हरियाणा के सभी टोल प्लाजा आज मुक्त हैं."
https://twitter.com/ANI/status/1337732605156806657 उन्होंने कहा,
"हम, आंदोलन को खत्म करने के लिए जारी केंद्र के प्रयास को विफल करेंगे. हमें विभाजित करने और हमारे आंदोलन के लोगों को भड़काने के लिए सरकार ने कुछ छोटे प्रयास किए थे. लेकिन, हम शांतिपूर्वक इस आंदोलन को जीत की ओर ले जाएंगे."
https://twitter.com/ANI/status/1337730934741733376 कमल प्रीत सिंह पन्नू ने कहा,
"14 दिसंबर को, सभी किसान नेता सिंघू बॉर्डर पर एक ही साझा मंच पर बैठेंगे. हम चाहते हैं कि सरकार तीनों फार्म बिल वापस ले, हम संशोधन के पक्ष में नहीं हैं."
https://twitter.com/ANI/status/1337729106700427265 वहीं दूसरी ओर कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हरियाणा के कुछ किसान नेताओं के साथ बैठक की. हालांकि इस बैठक की जानकारी अभी सामने नहीं आई है. https://twitter.com/ANI/status/1337739721435320323 किसान आंदोलन पर राजनीति? राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जब कृषि से जुड़े कानून पास हुए तो मैं लोकसभा में मौजूद नहीं था. अगर मैं वहां होता, तो एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल की तरह इसका विरोध किया होता और इसे टुकड़ों में फाड़ दिया होता. https://twitter.com/ANI/status/1337738469825597442 JJP नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसानों के मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात की. इससे पहले उन्होंने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की. उन्होंने कहा कि उन्हें जल्द ही इस मामले के समाधान की उम्मीद है. चौटाला ने कहा,
"जिस तरह से केंद्र वार्ता कर रहा है, वे भी इस मुद्दे का समाधान चाहते हैं. मुझे उम्मीद है कि अगले 24 से 48 घंटे में अंतिम दौर की वार्ता केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच होगी और नतीजे निर्णायक होंगे."
https://twitter.com/ANI/status/1337729775855497221 वहीं शिरोमणि अकाली कल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा,
"केंद्र ने इसे खालिस्तानियों और राजनीतिक दलों की संज्ञा देकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की. दुर्भाग्यपूर्ण है कि अगर कोई उनसे असहमत है तो वे उन्हें देशद्रोही कहते हैं. ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. हम केंद्र के रवैये और ऐसे बयानों की निंदा करते हैं."
https://twitter.com/ANI/status/1337663110350479361 कांग्रेस के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला का ये ट्वीट देखिए. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार की नीति हर विरोधी को माओवादी और देशद्रोही घोषित करने की है. https://twitter.com/rssurjewala/status/1337601758932082691 हाईजैक हो चुका है आंदोलन? दरअसल पीयूष गोयल ने न्यूज़ चैनल आजतक से बात करते हुए कहा कि लेफ्ट और माओवादी विचारधारा से प्रभावित एक गुट किसानों के आंदोलन में शामिल हो गया है. उन्होंने कहा कि पराली और बिजली जैसे विषयों पर भी सरकार बात करने को तैयार है. देश भर के किसान इस कानून का स्वागत कर रहे हैं. यूपी के किसान तो इसे महेंद्र सिंह टिकैत का सपना सच होना बता रहे थे. कांग्रेस के मेनिफेस्टो में भी ये बातें कही गई थीं. पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ ग्रुप ऐसे घुस गए हैं जो बातचीत को पटरी से उतारना चाहते हैं. ऐसे लोग घुस गए हैं जो शरजीत इमाम और उमर खालिद जैसे लोगों को छुड़ाना चाहते हैं. https://twitter.com/PiyushGoyal/status/1337676991693205505 वहीं देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी इस बात को कहा कि बातचीत में कुछ वामपंथी लोग शामिल हैं लेकिन सरकार अपनी ओर से वार्ता कर रही है ताकि किसानों को किसी तरह का कोई नुकसान ना हो. https://twitter.com/aajtak/status/1337645922587607040 आपको बता दें कि किसानों ने साफ तौर पर कहा है कि राजनीति से जुड़े लोग उनके आंदोलन से दूर रहें ताकि सरकार और उनके बीच सीधी बातचीत हो सके.

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