किसान आंदोलन: किसानों और सरकार के बीच पांचवीं बैठक में क्या हुआ?
अब अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी.
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किसानों ने आज भी सरकार का खाना नहीं खाया और अपना लाया हुआ खाना खाया. फोटो- PTI
"केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि इस मामले में कई मंत्रालय इन्वॉल्व हैं और कुछ भी बदलने के लिए तमाम लोगों से हमें बात करनी होगी."किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा,
"सरकार अपनी बात कर रही है, लेकिन हमने साफ कर दिया है कि यस और नो. हां या ना. 9 तारीफ को फिर सरकार मीटिंग करेगी. हम आएंगे, लेकिन 8 तारीख को होने वाला भारत बंद रद्द नहीं किया जाएगा."एक अन्य किसान नेता ने कहा,
"आज भी सरकार थोड़ा टालमटोल की नीयत में थी लेकिन जब किसानों ने जब अपनी बात थोड़ा जोर से रखी तो सरकार ने कहा कि वो 9 तारीख को जब आएंगे तो प्रपोजल लेकर आएंगे."सरकार ने क्या कहा? केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा,
"सर्दी का मौसम है कोविड का संकट है. इसलिए अगर यूनियन के नेता बच्चों और बूढों को घर भेज देंगे तो अच्छा रहेगा. मैं ये आग्रह करता हूं. पिछले छह साल में नरेंद्र मोदी के शासन में किसानों की स्थिति बेहतर हुई है. किसान सम्मान निधि के तहत 75 हजार करोड़ रुपये हर साल किसानों के पास पहुंचते हैं. मोदी जी की सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी रहेगी. जब किसानों से चर्चा होती है तो कई तरह की बातें सामने आती हैं.""मैं किसान आंदोलन में शामिल किसानों को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि आंदोलन का अनुशासन बना रहा है. MSP जारी थी, जारी है और जारी रहेगी. इसमें किसी को भी संशय करने की आवश्यकता नहीं है. मैंने, पीएम ने और सरकार ने MSP को लेकर तमाम बातें साफ कहीं हैं."किसानों के YES और NO वाले पोस्टर पर कृषि मंत्री ने कहा कि जब चर्चा होती है तो अनेक बात आती हैं. उन्होंने कहा,
"मैंने कहा किसानों के प्रति सरकार प्रतिबद्ध है तो जो कुछ होगा किसानों के हित में लोगा. किसान यूनियन से फिर आग्रह करता हूं कि स्पष्टता से मुद्दे पर आ जाएंगे तो राह आसान हो जाएगी. भारत बंद पर उन्होंने कहा कि यूनियन के अपने कार्यक्रम हैं. मैं ये आग्रह करना चाहता हूं कि आंदोलन का रास्त छोड़कर चर्चा के रास्ते पर आएं. सरकार चर्चा के लिए तैयार है."8 तारीख को जोर शोर से होगा भारत बंद इस बीच सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों में खासी हलचल देखी गई. टीवी चैनल आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि वो 8 तारीख को होने वाले भारत बंद में पूरी जान लगा देंगे ताकि अगले दिन 9 दिसंबर को सुबह 11 बजे जब मीटिंग हो तो सरकार उनकी बातों को और गंभीरता से सुने. किसान संगठनों, किसान नेताओं और सामान्य किसानों का यही कहना है कि वो 8 तारीख की तैयारी में जुटेंगे और भारत बंद को सफल कराएंगे. भारत बंद के जरिए किसान अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं ताकि सरकार जब 9 तारीख को बातचीत की टेबल पर आए तो किसान अपनी बात और दबाव के साथ रखें. क्या कुछ हुआ मीटिंग के दौरान? दिल्ली के विज्ञान भवन में जारी पांचवें दौर की बातचीत के दौरान किसान और सरकार अपने अपने रुख पर कायम रहे. सरकार ने किसानों के सामने कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया. किसानों ने स्पष्ट कहा कि सरकार को ये नए कृषि कानून रद्द करने चाहिए. किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधि इस बैठक में मौजूद रहे. बैठक में किसानों की ओर से कहा गया कि वे सरकार से अब और चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि ठोस जवाब चाहते हैं, वो भी लिखित में. सरकार की ओर से बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहे. आपको बता दें कि अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा था कि कानून में सरकार की ओर से कोई संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा. बैठक के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब किसान नेताओं ने चुप्पी साध ली और Yes/No लिखे कागज लेकर बैठ गए. उन्होंने अपनी कुर्सियां भी पीछे कर लीं. ये स्थिति करीब एक घंटे तक बनी रही. इस मीटिंग से पहले शनिवार 5 दिसंबर की सुबह गृह मंत्री अमित शाह, पीएम मोदी से मिलने पहुंचे. इस मीटिंग में राजनाथ सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी शामिल हुए. गौरतलब है कि आज शनिवार 5 दिसंबर को किसानों के प्रदर्शन का दसवां दिन है. दिल्ली की कई सीमाओं पर किसान भारी संख्या में जमा हैं. और किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया हुआ है. आज की मीटिंग के दौरान एक बार फिर किसानों ने सरकार का नहीं बल्कि अपने साथ लाया खाना ही खाया. कई किसान नेताओं ने फर्श पर बैठ कर खाना खाया. जब से विज्ञान भवन में वार्ता का दौर शुरू हुआ है, किसान अपने लिए खुद ही भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं और सरकार का खाना खाने से बच रहे हैं.