भारत में एक तालिबान गायों को बचाने निकला है
गौरक्षा दल के गुंडों ने दो लोगों को पीटा, जबरदस्ती गोबर खिलाया. उन्होंने गौशालाएं कितनी खोली हैं, किसी को नहीं पता.
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Video grab
बीफ! गौमांस! मर्डर! हिंसा! सुनते ही मन चौकन्ना हो जाता है. मुद्दा ही ऐसा बना दिया गया है. इस खबर में किसी की हत्या नहीं हुई. लेकिन यह उससे कम वीभत्स और घिनौना नहीं है.मेवात से दो लोग दिल्ली आ रहे थे. उनका मांस ट्रांसपोर्टिंग का काम था. गाड़ी में 300 किलो मीट था. 'गौरक्षा दल' के सदस्यों को कुछ दिनों से डाउट था कि ये लोग 'बीफ' लाने, ले जाने का काम कर रहे हैं. कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर बदरपुर बॉर्डर के पास गौरक्षा दल के गुंडों ने उनकी गाड़ी रोक ली. ड्राइवर और साथ बैठे आदमी से नाम पूछा. जवाब मिला, 'रिज़वान और मुख्तियार'. दोनों को कार से बाहर निकाला. पहले तो खूब पीटा. इतना कि उनकी आंखों पर निशान पड़ गए, चेहरा सूज गया. फिर कहा कि ये लोग 'बीफ' की तस्करी कर रहे थे. इसलिए 'शुद्धिकरण' जरूरी है. वो शुद्धिकरण जानते हैं क्या था? गौरक्षा दल के मेंबर्स ने अपनी गाड़ी से एक पैकेट निकाला. उसमें 'पंचगव्य' था.
ये बात है 10 जून की. दोनों पर पुलिस केस भी हुआ था उस समय. सराय ख्वाजा पुलिस स्टेशन के SHO अनिल कुमार ने ये बात कंफर्म की. उन्होंने बताया कि 10 जून को गौरक्षा दल के मेंबर्स दो आदमियों को पकड़कर पुलिस के पास लाए थे. उनकी गाड़ी के मीट की जांच भी की गई थी. टेस्ट से कन्फर्म हो गया कि वो बीफ ही है. लेकिन पुलिस का कहना है कि उसे जबरदस्ती गोबर खिलाने की जानकारी नहीं थी.
पंचगव्य यानी गोबर, गौमूत्र, दूध, दही और घी का मिक्सचर. गोबर ज्यादा होता है. दल के मेंबर्स ने उन दोनों लोगों को मारने-पीटने के बाद ज़बरदस्ती वो गोबर खाने के लिए मजबूर किया. खिलाया और ना खाने पर पीटा भी. वे सूजी आंखें लिए पानी के सहारे गोबर निगलते रहे. उल्टी करते रहे.
लेकिन फिर इस घटना का वीडियो सामने आ गया. 57 सेकेंड के इस वीडियो में गौरक्षा दल का इंसाफ देखकर आपको उल्टी भी आ सकती है. रिजवान और मुख्तियार सड़क पर बैठे हैं. एक पॉलीथीन में गोबर रखा है. वो खाने से मना कर रहे हैं. लेकिन उन्हें मजबूर किया जाता है. गुंडे चिल्ला रहे हैं, 'गौ माता की जय', 'जय श्री राम'. उन दो बेचारे लोगों में से एक थोड़ा सा गोबर उठा कर अपने मुंह में रख लेता है. दल का कोई सदस्य चिल्लाता है, 'निगल इसको. पूरा खत्म कर'. रिज़वान और मुख्तियार थोड़ा-थोड़ा गोबर पानी के साथ निगल रहे हैं. फिर एक को उल्टियां होने लगती हैं. अचानक कोई चिल्लाता है. 'अबे वीडियो मत बनाओ.' फिर वीडियो ख़त्म हो जाता है. गौरक्षा दल गुरुग्राम के प्रेसिडेंट धर्मेन्द्र यादव ने पूरा मामला कुबूल किया है. वैसे भी उनके यहां इस तरह के आरोप आभूषण की तरह ग्रहण किए जाते हैं. उनका कहना है कि उन दोनों को सजा देने के लिए ऐसा किया गया. साथ में पंचगव्य खाने से उनकी 'शुद्धि' भी हो गई. अपने हिसाब से 'सजा और शुद्धि' के बाद उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया. फरीदाबाद सेक्टर 37 पुलिस ने दोनों के खिलाफ गौ हत्या एक्ट के तहत FIR दर्ज कर ली. उसके बाद दोनों को कोर्ट की निगरानी में भेज दिया. लैब ने ये कन्फर्म कर दिया कि उस कार में जो 300 किलो मांस मिला था, वो बीफ था. लेकिन वो बीफ 'गौमांस' था, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी. जिन दो लोगों को ज़बरदस्ती गोबर खिलाया गया. क्या पता वे बीफ कारोबार के मामूली मोहरे हों. क्या पता वे सिर्फ ड्राइवर और खलासी हों. लेकिन गौरक्षा दल अपना तालिबानी इंसाफ क्या उन 'बड़े लोगों' पर थोप सकता है, जो बाकायदे कंपनियां खोलकर बीफ का व्यापार कर रहे हैं? क्या यही इंसाफ वे मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी, जेड कैटेगरी की सुरक्षा प्राप्त फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता संगीत सोम के साथ भी करने की इच्छा रखते हैं जो बीफ एक्सपोर्टर कंपनी 'अल दुआ' के फाउंडर पार्टनर थे. क्या वे वहां भी जाएंगे? वे गौप्रेमी आवारा घूमती गायों के लिए वे कितनी गौशालाएं चलाते हैं? वे रहने दें. सब जानते हैं कि गौरक्षा दल के लोग हिम्मत का ईंधन कहां से पाते हैं. शुद्धिकरण की जरूरत है. वाकई. https://www.youtube.com/watch?v=lYJY8b1uuOE&feature=youtu.be
लेकिन मनोहरलाल खट्टर की हरियाणा पुलिस ने वे पिटे और सूजे हुए चेहरे तो देखे होंगे? उसने एक बार भी गौरक्षा दल के लोगों से पूछा क्यों नहीं कि इन्हें इतना पीटा किसने है? कोई बीफ एक्सपोर्ट भी करता हो तो क्या भीड़ उसे सरेराह सड़क पर पीट सकती है?