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दाऊद के पड़ोसी, खड़से के करीबी: ये हैं BJP के 'पाकिस्तानी' MLC

पैदा पाकिस्तान में हुए. वहीं पढ़े. फिर हनीमून की वजह से हमेशा के लिए इंडिया आ गए...

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विकास टिनटिन
7 जून 2016 (Updated: 7 जून 2016, 10:04 AM IST) कॉमेंट्स
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'एकनाथ खड़से की दाऊद इब्राहिम से फोन पर होती थी.' इस आरोप के चक्कर में महाराष्ट्र के रेवन्यू मिनिस्टर खड़से को इस्तीफा देना पड़ा. अब इस मामले में एक बंदा सामने आया है. महाराष्ट्र में बीजेपी MLC, खड़से के बेहद करीबी डॉ गुरमुख जागवानी. गुरमुख का इंट्रोडक्शन ये भी है कि वो दाऊद इब्राहिम के कराची वाले बंगले वाइट हाउस के पड़ोस में रहते थे. गुरमुख पहले पाकिस्तान में रहते थे. सालों पहले पाकिस्तान छोड़कर इंडिया आ गए. वजह गुरमुख का हनीमून है. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, डॉ गुरमुख जगवानी ने कहा, 'मैंने अपने कॉन्टेक्टस का इस्तेमाल कर पता करवाया है. कराची वाले पते को लेकर जो कॉल रिकॉर्ड्स और दावे किए जा रहे हैं. वो फर्जी हैं. मैं पाकिस्तान में रह चुका हूं. जिन फोन बिलों के हवाले से आरोप लगाए जा रहे हैं, उनका फॉरमेट 'पाकिस्तान टेलिकम्युनिकेशन लिमिटेड' के बिल्स से काफी अलग हैं.'
ये हुई खबर. लेकिन ये जो गुरमुख जगवानी हैं. इनकी पाकिस्तान से इंडिया आने की कहानी एकदम फिल्मी है. मजेदार है. इसलिए हम बताए दे रहे हैं आपको...
1. सिंधी लड़का गुरमुख. जगवानी फैमिली में पैदा हुआ. पाकिस्तान के सिंध प्रांत में. चंदका मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की.
2. 1981 में गुरमुख जब जवां हुए. हर घरवाले की तरह उनके घरवालों ने भी उनका ब्याह करा दिया. हनीमून के लिए गुरमुख इंडिया आ गए. घूमे फिरे. इंडिया इत्ता भाया कि यहीं रुकने का फैसला कर लिया. गुरमुख जगवानी कहते हैं,
'मुझे इंडिया में लाइफस्टाइल काफी पसंद आया. तब मुझे लगा कि रहने के लिए ये मुल्क मेरे लिए बेहतर रहेगा. धार्मिक नजरिए से भी ये बेहतर है. मैं कराची में बच्चों का डॉक्टर था.' 
3. जून 1985 में जगवानी पाकिस्तान से मुंबई शिफ्ट हो गए. बाद में उन्होंने इंडिया की सिटीजनशिप ले ली. दो साल यहां-वहां रहने के बाद जगवानी जलगांव शिफ्ट हो गए. जलगांव में जगवानी के रिश्तेदार भी रहते हैं.
4. बैक टू एकनाथ खड़से. जलगांव वही इलाका है, जहां एकनाथ खड़से की अच्छी पकड़ है. ये खड़से का इलाका है. तो गोटियां धीरे-धीरे सेट हो गईं.
5. जगवानी जलगांव में रहते हुए खड़से और बीजेपी लीडर गिरीश महाजन के करीब आए. शुरुआती वजह राजनीति नहीं, बिजनेस थी. जमीन और तेल निकालने के काम को लेकर इनके बीच मुलाकातें होने लगीं.
6. गुरमुख जगवानी ने कहा, 'शुरू में मैं बीजेपी नेताओं के संपर्क में आया. अच्छी बनने लगी तो मुझे जलगांव में आनेवाले बीजेपी लीडर्स के स्वागत सत्कार करने का मौका दिया गया. एक बार तो मैंने आडवाणी जी को भी अपनी कार में जलगांव घुमाया था. पर मेरे मैन बॉस रहे एकनाथ खड़से.'
7. 2014 में दायर हलफनामे में जगवानी की संपत्ति 18 करोड़ रुपये बताई गई. इंडिया में बिताए 29 साल और संपत्ति 18 करोड़ रुपये.
8. जगवानी के खून में ही पॉलिटिक्स है. जगवानी के पापा पाकिस्तान के सिंध में पांच बार MLC रहे. मंत्री भी रहे. अब भी पाकिस्तान के सिंध में जगवानी की अच्छी खासी जान पहचान है. दाऊद इब्राहिम का कराची में जो घर है, उसी के पास अब भी जागवानी का भी छोटा सा घर है.
9. जगवानी ने पहली बार MLC का चुनाव लड़ा 2004 में. निर्दलीय चुनाव लड़े, जीते भी. खड़से ने इन चुनाव में जगवानी का फुल सपोर्ट था. जब जगवानी का कार्यकाल पूरा हुआ. तब खड़से ने अपने बेटे निखिल को उसी सीट से चुनाव लड़वाया. लेकिन हाथ आई अपार असफलता. चुनाव हार गए एकनाथ पुत्र.
10. ये सीट फिर लौटी गुरमुख जगवानी के पास. चुनाव लड़े और फिर जीत गए. गुरमुख जगवानी के बारे में विरोधी भी तारीफ करते नजर आते हैं. कहते हैं- जगवानी सबसे मंद मुस्कान के साथ मिलते हैं. जिससे मिलते हैं, चॉकलेट देते हैं. जानने वालों की नजर में यही उनकी छवि है कि गुरमुख प्यार से मिलते हैं और एकनाथ खड़से के खास आदमी हैं.
एकनाथ खड़से बूढ़े आदमी की मदद कर रहे थे, संविधान बीच में आ गया!

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