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मस्क का रॉकेट, इसरो का सैटेलाइट; फ्लाइट में इंटरनेट

GSAT launch by Spacex Rocket: ऐसा पहली बार देखने को मिला है जब भारत की स्पेस एजेंसी ISRO ने अमेरिकन कंपनी के साथ साझा रूप से अपना सैटेलाइट लॉन्च किया है.

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elon musk space x rocket gsat 20 launch by falcon 9 rocket
फाल्कन 9 से लॉन्च हुआ इसरो का सैटेलाइट (PHOTO-स्पेस एक्स)
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मानस राज
19 नवंबर 2024 (Published: 09:32 AM IST) कॉमेंट्स
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18 नवंबर की तारीख, आधी रात को एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने अमेरिका केप केनावेरल, फ्लोरिडा से उड़ान भरी. भारत की स्पेस एजेंसी के लिहाज़ से ये उड़ान काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. वजह है इस रॉकेट से लॉन्च किया गया सैटेलाइट.

क्या लॉन्च किया?

भारत की स्पेस एजेंसी Indian Space Research Organization (ISRO) ने स्पेस एक्स के रॉकेट के जरिये एक बहुत ही उन्नत किस्म का संचार सिस्टम माने कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च किया है. इस सैटेलाइट की मदद से दूर-दराज के इलाकों के अलावा फ्लाइट्स के अंदर भी इंटरनेट की सुविधा मिलेगी. इस रॉकेट ने लॉन्च होने से लेकर अंतरिक्ष में पहुंचने के लिए 34 मिनट का सफर तय किया. एलन मस्क के स्पेस एक्स रॉकेट की ये 396वीं उड़ान थी.

इसरो की कमर्शियल विंग न्यू इंडिया स्पेस लिमिटेड (New India Space Limited) के चेयरमैन राधाकृष्णन दुरईराज ने इस मौके पर खुशी जाहिर करते हुए कहा 

"लॉन्च सक्सेसफुल रहा. जीसैट 20 का लॉन्च बहुत शानदार रहा साथ ही ये बिल्कुल सटीक तरीके से अंतरिक्ष की उसी कक्षा में स्थापित हुआ जिसमें इसे होना था."

जीसैट 20

इस सैटेलाइट को जीसैट 20 या जीसैट एन-2 नाम दिया गया है. ये एक 4700 किलोग्राम वजनी कमर्शियल सैटेलाइट है. इसे फ्लोरिडा के स्पेस कॉम्प्लेक्स 40 से लॉन्च किया गया. ये लॉन्च पैड अमेरिका की स्पेस फ़ोर्स के अधीन है. स्पेस फ़ोर्स अमेरिका के आर्म्ड फ़ोर्स की स्पेस विंग है जिसे 2019 में बनाया गया था. इस मौके पर इसरो के चेयरमैन डॉक्टर श्रीधर पणिकर सोमनाथ ने लॉन्च के दौरान मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा

"इस मिशन की अवधि 14 साल की है. सैटेलाइट को ऑपरेट करने के लिए ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से तैयार है."

पहली पार्टनरशिप

ऐसा पहली बार हुआ है जब इसरो ने स्पेस एक्स के साथ पार्टनरशिप की है. एक और चीज़ जो इस लॉन्च में देखने को मिली वो है इसका सैटेलाइट. इस सैटेलाइट में उन्नत फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल किया गया है. इसकी रेडियो फ्रीक्वेंसी 27 से 40 गीगाहार्टज़ के बीच है जो इस सैटेलाइट को अधिक बैंडविथ प्रदान करेगा. ख़ास बात ये है कि इस लॉन्च में इसरो के अलावा और कोई सैटेलाइट नहीं थी. इस फाल्कन 9 को खास तौर पर इसरो के लिए ही लॉन्च किया गया है.

स्पेस एक्स क्यों?

इसरो को स्पेस एक्स के रॉकेट की जरूरत क्यों पड़ी ? अपने वाले खत्म हो गए क्या ? नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, दरअसल इसरो जिस सैटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है उसका वज़न थोड़ा ज्यादा है, जबकि इसरो की क्षमता कम है. इसरो के पास अभी लॉन्च व्हीकल मार्क 3 ( LVM 3) हैं  जिनकी क्षमता सिर्फ 4000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने की है. जबकि GSAT-N2 का वजन ज्यादा है.  हालांकि ऐसा नहीं है कि पहले हमने भारी सैटेलाइट लॉन्च नहीं की. इससे पहले इसरो 4 टन से अधिक वजन के सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए फ़्रांस के एरियनस्पेस कंसोर्टियम पर निर्भर था. लेकिन इस बार इसरो ने स्पेस एक्स की मदद ली है. स्पेस एक्स को चूज करने के पीछे एक कारण ये भी है कि इसके रॉकेट्स रीयूजेबल हैं. यानी वो स्पेस में जाकर वापस आ जाते हैं जिससे उन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. लिहाजा उन्हें इस्तेमाल करने से लागत में भी कमी आती है. 

फाल्कन  9 स्पेस एक्स का पहला ऑर्बिटल क्लास रॉकेट है. ऑर्बिटल क्लास यानि वो रॉकेट जो किसी भी तरह का सिस्टम या पेलोड धरती के ओरबिट या उससे बाहर ले जाने में सक्षम है.फाल्कन  9,  70 मीटर लंबा, और 3.7 मीटर डायमीटर  वाला  एक रीयूजेबल रॉकेट है. जिसमें इस 9 मर्लिन इंजंस की पावर है. 1 मर्लिन इंजन की ताकत 10000 हॉर्सपावर होती है. ईंधन के लिए इसमें रॉकेट ग्रेड केरोसिन (RP 1) और लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है. 2 स्टेज में बना ये रॉकेट एक इन्टरस्टेज कहे जाने वाले कॉलम के जरिए कनेक्टेड होता है. स्पेस में पहुंचने पर 9 मर्लिन इंजंस वाला निचला हिस्सा अलग होकर पृथ्वी पर गिर जाता है. और रॉकेट का अगला हिस्सा , जिसमें पेलोड रखा होता है. वो सैटेलाइट को धरती के लोअर ऑर्बिट में प्लेस कर देता है.

इन रॉकेट्स में फ्लाइट पाथ रिकार्ड होता है. माने की जिस रास्ते से वो ऊपर गए हैं. रॉकेट उस रास्ते को याद रखता है. ऐसा ही सिस्टम एरोप्लेन में भी होता है. इसी फ्लाइट पाथ को फॉलो कररते हुए रॉकेट वापस लौट पाते हैं. इस दौरान रॉकेट में लगी 3 चीजें उसे सही जगह पर लौटने में मदद करती है. 

1. कोल्ड गैस थ्रस्टर, माने एक ऐसा रॉकेट इंजन जो प्रेशर में  बंद की गई गैस के एक्सपेंशन से थ्रस्ट यानी रिएक्शन फोर्स जेनरेट करता है.

2. ग्रिड फिन माने कुछ कुछ चील के पंखों जैसा

3. री इग्नाइटेबल यानि दोबारा शुरू किये जा सकने वाले इंजन. 
इसके अलावा ये रॉकेट कन्ट्रोल्ड मनुवर्स करते हैं यानि जरूरत के मुताबिक हवा में कलाबाज़ियाँ करना जैसा की आपने पैराग्लईडर्स को करते देखा होगा.

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