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DU में गांधी की जगह सावरकर, विरोध में आए टीचर्स ने क्या काम की बात कह दी?

सिलेबस में जिस जगह अब तक गांधी थे, अब वहां सावरकर

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DU VD Savarkar in syllabus taught before mahatama Gandhi
सावरकर को पहली बार डीयू के सिलेबस में पूरे पेपर के तौर पर शामिल किया गया है | फोटो: आजतक
29 मई 2023 (Updated: 29 मई 2023, 09:36 IST)
Updated: 29 मई 2023 09:36 IST
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दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में अब वीडी सावरकर के बारे में भी पढ़ाया जाएगा. बीए ऑनर्स में पॉलिटिकल साइंस के कोर्स में स्टूडेंट्स महात्मा गांधी से पहले सावरकर के बारे में पढ़ेंगे. आजतक से जुड़ीं मिलन शर्मा की एक रिपोर्ट के मुताबिक 5वें सेमेस्टर के सिलेबस में सावरकर ने महात्मा गांधी की जगह ली है. महात्मा गांधी को अब 7वें सेमस्टर में पढ़ाया जाएगा. बताया जाता है कि डीयू में इससे पहले कभी भी सावरकर पर एक पूर्ण पेपर नहीं पढ़ाया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक ये फैसला डीयू की एकेडमिक काउंसिल की एक बैठक में लिया गया है. हालांकि, शिक्षकों के एक गुट ने इस फैसले का विरोध भी शुरू कर दिया है.

आजतक से बातचीत में एकेडमिक काउंसिल के मेंबर आलोक राजन पांडे ने कहा,

‘गांधी को अब सावरकर की जगह पर सातवें सेमेस्टर में रखा गया है. इसी बात पर समस्या है. सावरकर को हर हाल में पढ़ाएं, लेकिन जब यह गांधी की जगह पर किया जा रहा है तो हमने इस पर आपत्ति जताई है.’

उन्होंने आगे कहा,

‘एक क्रोनोलॉजी है. गांधी, सावरकर और अंबेडकर से पहले आए, इसलिए उनका (गांधी का) सावरकर से पहले अध्ययन किया जाना चाहिए… हम 9 जून को जीएनटी की कार्यकारी परिषद की बैठक में इस मुद्दे को फिर से उठाएंगे.’

प्रोफेसर पांडे के मुताबिक भारत के राष्ट्रीय आंदोलनों में, स्वाधीनता आंदोलनों में, जाति-प्रथा में महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है. छुआछूत के उन्मूलन में उनके कार्यों को नकारा नहीं जा सकता है.

अगर कोई छात्र तीन साल ही पढ़ा तो…

दिल्ली विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार साल के कार्यक्रम को अपनाया है. अब छात्रों के पास तीन साल की स्नातक डिग्री या चार साल के स्नातक कार्यक्रम को चुनने का विकल्प है. विरोध कर रहे शिक्षकों का ये भी इनका कहना है कि अब अगर कोई छात्र 4 के बजाय 3 साल के बाद बीए ऑनर्स में पॉलिटिकल साइंस से बाहर निकलता है, तो उसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के योगदान के बारे में जानने को नहीं मिलेगा.

वीडियो: संसद भवन की नई बिल्डिंग का उद्घाटन सावरकर जयंती पर - सुनियोजित या महज़ इत्तेफ़ाक़?

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