The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Donald Trump at Taj Mahal: Kno...

ताजमहल की असली चीज देखने से ट्रंप को क्यों रोका गया और आप इसे कैसे देख सकते हैं?

आम लोग इसे देख नहीं पाते.

Advertisement
Img The Lallantop
24 फरवरी, 2020 को डॉनल्ड ट्रंप और मेलानिया ताज महल पहुंचे. यहां उन्होंने ताज की उस मशहूर संगमरररी बेंच के सामने खड़े होकर तस्वीर खिंचवाई. ताज का इतिहास जाना. इसके आर्किटेक्चर और देखभाल के तरीकों की मालूमात की (फोटो: White House)
pic
स्वाति
25 फ़रवरी 2020 (Updated: 27 फ़रवरी 2020, 12:28 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
ये ट्रंप और मेलानिया के ताज महल मोमेंट की ख़बर है. ये ख़बर है उस बेंच की, जहां खड़े होकर POTUS (प्रेजिडेंट ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स) और FLOTUS (फर्स्ट लेडी ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स) ने तस्वीर खिंचवाई. ये ख़बर है मुमताज और शाहजहां की, जिनकी असल कब्र ट्रंप और मेलानिया नहीं देख पाए. मगर इसकी शुरुआत में पढ़िए एक राजकुमारी का क़िस्सा.
फ्रेम-1
अतीत
ताज महल में एक मशहूर बेंच है. जहां ताज की मुख्य इमारत की ओर बढ़ता बगीचा शुरू होता है, ठीक उससे पहले बने प्लेटफॉर्म पर. इस बेंच पर बैठेंगे, तो आपके ठीक पीछे फ्रेम में ताज के मुख्य गुंबद वाला हिस्सा दिखेगा. आने वाले इस बेंच पर बैठकर तस्वीरें खिंचवाते हैं. ज़्यादातर कपल्स, प्रेमी जोड़े. साल 1992 के फरवरी महीने की 11वीं तारीख. इस दिन ताज देखने आई एक राजकुमारी इस बेंच पर बैठी. और, उस दिन के बाद लोगों ने उस राजकुमारी के नाम पर बेंच का नामकरण कर दिया- डायना बेंच.
लेडी डायना अपने पति प्रिंस चार्ल्स के साथ छह दिन की भारत यात्रा पर आई थीं. चार्ल्स दिल्ली में थे. व्यस्त थे. डायना को ताज देखना था. वो चार्ल्स को दिल्ली छोड़कर चली आईं. नारंगी रंग का ब्लेज़र. मलाई के रंग का ब्लाउज. नीचे बैंगनी रंग की स्कर्ट और मैचिंग परपल सैंडल. डायना करीब पांच मिनट उस बेंच पर बैठी रहीं. वहीं, जहां उनकी शादी के एक साल पहले ताज देखने आए उनके पति चार्ल्स बैठे थे. 1980 में. तब चार्ल्स ने कहा था, एक दिन वो अपनी पत्नी को साथ लेकर ताज देखने लौटेंगे.
चार्ल्स ने वादा नहीं निभाया. बेंच पर बैठी डायना की उस तस्वीर के फ्रेम में उनके और ताज के सिवाय और कोई नहीं. लोगों ने डायना से उनका अनुभव पूछा. डायना बेहद धीमी आवाज़ में बोलीं- वेरी हीलिंग. जैसे कोई गहरा जख़्म भर गया हो मन का. 'डेली मिरर' टेबलॉइड ने 12 फरवरी, 1992 को अपने तीसरे पन्ने पर डायना की ये तस्वीर छापी. फोटो को एक बेहद क्रूर कैप्शन दिया- एक अकेली महिला. इस असंवेदनशील, सेंशेनल तरीके से लिखी गई ख़बर की हेडिंग थी-
विश यू वर हिअर (काश तुम यहां होते)
जिस बेंच को अकेलेपन का सिंबल बन जाना चाहिए था, उसे ताज के रोमांटिक सेटअप ने प्यार जताने का स्टेटमेंट बना दिया.
ये प्रिंसेज़ डायना की तस्वीर है, साल 1992 की. वो अकेली आई थीं आगरा, ताज को देखने. जब डायना ताज देख रही थीं, तब उनके पति चार्ल्स दिल्ली में उद्योगपतियों को संबोधित कर रहे थे. डायना को ताज दिखाया था प्रफेसर मुकुंद रावत ने. डायना ने प्रफेसर से कहा था, अच्छा होता अगर मेरे पति भी साथ आते. इस बात के लगभग 10 महीने बाद चार्ल्स और डायना ने आधिकारिक तौर पर अलग होने का ऐलान कर दिया था. जब डायना ताज देख रही थीं, उनके पति चार्ल्स दिल्ली में उद्योगपतियों को संबोधित कर रहे थे. डायना को ताज दिखाया था प्रफेसर मुकुंद रावत ने. डायना ने प्रफेसर से कहा था, अच्छा होता अगर मेरे पति भी साथ आते. इस बात के लगभग 10 महीने बाद चार्ल्स और डायना ने आधिकारिक तौर पर अलग होने का ऐलान कर दिया था.

फ्रेम-2
वर्तमान
24 फरवरी, 2020. ट्रंप 36 घंटे के लिए भारत आए हैं. अहमदाबाद से शुरू हुई उनकी यात्रा का दूसरा स्टॉप है आगरा. ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मेलानिया भी हैं. दोनों डायना बेंच के पास खड़े होते हैं. तस्वीर खिंचवाते हैं. बैठकर नहीं. खड़े-खड़े. ताज महल देखने के बाद इसकी विजिटर बुक में ट्रंप अपना संदेश लिखते हैं-
ताज महल हैरान करता है. ये भारतीय संस्कृति की संपन्नता, इसकी विविधता में डूबी खूबसूरती का हरदम जवां दस्तावेज है. शुक्रिया भारत.
ट्रंप-मेलानिया के गाइड विजिटर बुक में ये संदेश लिखने से पहले ट्रंप और मेलानिया ने इस इमारत का इतिहास जाना था. मुमताज-शाहजहां की प्रेम कहानी. अपने 14वें बच्चे को पैदा करने के दरम्यान हुई मुमताज की मौत. और उसी मुमताज की याद में बनवाई गई इमारत. उन्हें ये इतिहास बताने की जिम्मेदारी मिली थी नितिन कुमार को. नितिन आगरा के रहने वाले हैं. आम गाइड हैं. देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को ताज महल की कहानी सुनाते हैं. ट्रंप की यात्रा से पहले कई सारे गाइड्स के बीच से अधिकारियों ने नितिन को चुना. करीब एक घंटे तक नितिन ट्रंप और मेलानिया के साथ रहे. दुखी ट्रंप, दुखी मेलानिया ट्रंप की इस यात्रा को लेकर यूफोरिया जैसा माहौल है. स्वाभाविक था, मीडिया ने नितिन से भी बात की. इस लाइम लाइट से चहकते नितिन ने मीडिया को बताया कि मेलानिया को थोड़ी-बहुत जानकारी थी ताज से जुड़ी. मगर ट्रंप बिल्कुल अनजान थे. दिलचस्पी दोनों ने ली खूब. कई सवाल पूछे. जैसे- शाहजहां और मुमताज की ज़िंदगी कैसी थी? इसका आर्किटेक्ट कौन था? ताज महल क्यों बनवाया गया? फिर जब मुमताज के मरने की कहानी सुनाई नितिन ने, तो मेलानिया दुखी हो गईं. ताज महल नहीं, शाहजहां की कहानी आगरे के किले में एक टावर है- मुसम्मन बुर्ज. सफेद संगमरमर में बेशकीमती पत्थर जड़े हुए. कहते हैं, ताज महल से भी पहले शाहजहां ने मुमताज की याद में ये बुर्ज बनवाया था. किले की मुख्य दीवार एक जगह पूरब की दिशा में मुड़ती है. यहीं पर है ये बुर्ज. यहां से खड़े होकर यमुना के किनारे की जो जगह दिखती थी, वहीं शाहजहां ने ताज महल बनवाया. अब तो इसके ठीक पीछे, किले की दीवार से ठीक सटकर एक सड़क बन गई है. मगर उस वक़्त मुसम्मन बुर्ज से ताज महल के बीच सिवाय मैदान और यमुना के पानी के कुछ नहीं था.
सन 1648, जिस साल ताज बनकर तैयार हुआ उसी बरस शाहजहां ने आगरा छोड़ दिया. वही यमुना, जो ताज के पीछे से बहकर निकलती थी, दिल्ली में उसी के पश्चिमी किनारे पर शाहजहां की नई राजधानी 'शाहजहानाबाद' बनकर तैयार थी. 19 अप्रैल, 1648. इसी तारीख़ को शाहजहां ने दिल्ली के 'क़िला-ए-मुबारक' में पहली बार पांव रखे थे. क़िला-ए-मुबारक, हमारे-आपके लाल किले का ऑरिजनल नाम है. मगर शाहजहां का अंत इस किले में नहीं था. शाहजहानाबाद में भी नहीं था. वापस ताज पहुंचने की कहानी शाहजहां का अंत था मुसम्मन बुर्ज में. जब औरंगजेब के हाथों कैद कर वो आगरा के किले में डाल दिए गए. यहां मुसम्मन बुर्ज से शाहजहां ताज महल को निहारते. ये उनके आख़िरी दिन थे. 22 जनवरी, 1666. शाहजहां ने इसी आगरा के किले में दम तोड़ा. उनकी लाश भी ताज महल में दफ़्न कर दी गई.
ट्रंप क्यों नहीं देख सके मुमताज- शाहजहां की असल कब्र? ये कहानी ट्रंप और मेलानिया को भी सुनाई गई. मगर वो मुमताज और शाहजहां की असल कब्र नहीं देख सके. वजह, उनका कद.
ट्रंप 6 फुट 3 इंच के हैं. शाहजहां और मुमताज की असल कब्र जाने के लिए एक संकरे रास्ते में बनी सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं. कुल 22 सीढ़ियां, जो नीचे एक पांच फुट ऊंचाई के दरवाज़े तक जाती हैं. अंदर जाने का मतलब होता, ट्रंप को काफी झुकना पड़ता. उनकी सिक्यॉरिटी टीम इसके लिए राज़ी नहीं हुई. नतीजा, ट्रंप और मेलानिया वहां नहीं गए. उनकी कब्रों की एक नकल बनी हुई है ताज के मुख्य गुंबद के नीचे. ग्राउंड लेवल पर. उसी को देखा दोनों ने.
आप चाहें, तो देख सकते हैं असली कब्र पिछले कई सालों से शाहजहां और मुमताज की इन असल कब्रों को जाने वाला रास्ता बंद है. आम लोग इसे देख नहीं पाते. कोई VIP देखने की इच्छा करे, तो इसके लिए 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग' (ASI) के डायरेक्टर-जनरल से ख़ास इजाजत लेनी होती है. हां, साल में एक बार ये रास्ता खुलता है. जो आना चाहे, उसके लिए. पूरे तीन दिनों के लिए. जब शाहजहां की बरसी आती है. तब उर्स मनाने वाले शाहजहां और मुमताज की कब्र पर चादर चढ़ाते हैं.


ट्रंप का भारत दौरा: पाकिस्तान और कट्टर इस्लामिक आतंकवाद पर क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति?
ट्रंप के दो दिवसीय भारत दौरे पर PM मोदी क्या बड़े फैसले करवा सकते हैं?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement