30 अगस्त 2016 (Updated: 30 अगस्त 2016, 02:19 AM IST) कॉमेंट्स
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कानपुर में एक बाप अपने बेटे को कंधे पर लादे घूमता रहा. लड़का अपने बाप के कंधे पर ही मर गया.
कानपुर के सुनील कुमार ने आरोप लगाया है कि उनके बीमार बेटे को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती नहीं किया गया, जिसके चलते उसकी मौत हो गई. ये बात है सोमवार की.
जब लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल यानी हैलट के प्रिंसिपल नवनीत कुमार से बात करने की कोशिश की गई, तो वो मौके पर मौजूद नहीं थे. लड़के का नाम था अंश. जिसे संडे की रात तेज बुखार हो गया था. पहले उसे इलाज के लिए घर के पास ही एक डॉक्टर के पास ले जाया गया. पर जब दवा का कोई असर नहीं हुआ और बुखार बढ़ता गया तो उसके पिता सुनील उसे लेकर शहर के सबसे बड़े हॉस्पिटल हैलेट पहुंचे.
सुनील कुमार का कहना है, 'मैं इमरजेंसी में डॉक्टरों के सामने अपने बेटे को देख लेने और एडमिट कर लेने के लिए गिड़गिड़ाता रहा. केवल इतना कहने के लिए कि इसे चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ले जाओ, डॉक्टरों ने मुझे आधे घंटे तक इंतजार कराया.'
जब वो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पहुंचे, तब तक उनका बेटा मर चुका था. वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया.
सुनील ने फिर से अपने बेटे को कंधे पर उठाया और घर ले आए. किसी ने उनकी मदद नहीं की. लड़के की मौत ने इंडिया के हेल्थकेयर सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी होने के बावजूद नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2015 के आंकड़ों के हिसाब से भारत में 11 हजार लोगों पर एक डॉक्टर है.
कई जगहों पर तो हालत बहुत खराब है. हाल ही में ऐसे ही ओडिशा में एक आदमी के अपनी मरी हुई पत्नी को कंधे पर 60 किमी तक ले जाने की घटना सामने आई थी.
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