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डॉक्टर्स बोले स्प्लीन हटा दी, 5 महीने बाद शरीर में ही मिली, दिल्ली के नामी अस्पताल पर कितना 'जुर्माना' ठुका?

Delhi के Sir Ganga Ram Hospital से जुड़ा ये मामला है, एक Cancer पेशेंट की Spleen (तिल्ली) हटाने का ऑपरेशन हुआ था, 6 महीने बाद पेशेंट की मौत हो गई. इस केस में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अब क्या फैसला सुनाया है?

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sir ganga ram hospital Rs 9 lakh by consumer court
सर गंगाराम अस्पताल के खिलाफ ये फैसला आया है | फाइल फोटो: ANI
13 फ़रवरी 2024 (Updated: 13 फ़रवरी 2024, 09:39 IST)
Updated: 13 फ़रवरी 2024 09:39 IST
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दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) को अपनी एक गलती के लिए पेशेंट को लाखों रुपए का मुआवजा देना होगा. ये आदेश दिल्ली के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने दिया है. आयोग ने कहा है कि मामले से जुड़े डॉक्टर और अस्पताल मिलकर ये पैसा पेशेंट के परिजन को दें.

इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े निर्भय ठाकुर की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला साल 2015 का है. पेशेंट सावित्री शर्मा (57) लिंफोमा कैंसर से पीड़ित थीं. डॉक्टर्स की सलाह पर वो अपनी स्प्लीन (तिल्ली) निकलवाने के लिए सर गंगाराम अस्पताल गई थीं. फरवरी 2015 में सर्जरी के जरिए डॉक्टर्स ने उनकी स्प्लीन हटाने का दावा किया और कुछ रोज बाद ही डिस्चार्ज कर उन्हें घर भेज दिया. इसके 5 महीने बाद जब सावित्री शर्मा के परिजन ने उनका अल्ट्रासाउंड करवाया तो वो हैरान रह गए. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से पता चला कि स्प्लीन (Spleen) को कभी हटाया ही नहीं गया था. इसके कुछ रोज बाद जून 2015 में सावित्री शर्मा की मौत हो गई.

आयोग ने क्या कहा?

शुक्रवार, 9 फरवरी को इस मामले पर दिल्ली के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपना फैसला सुनाया. आयोग ने डॉक्टर्स को मेडिकल लापरवाही का दोषी ठहराया. कहा कि डॉक्टर्स चूहों से डील नहीं कर रहे थे, एक इंसान अपना इलाज करवाने आया था. ये भी कहा कि मेडिकल ट्रीटमेंट के मानकों का पालन किए बिना पेशेंट को एक्सपेरिमेंट के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. आयोग ने अस्पताल और मामले से जुड़े डॉक्टर्स से पेशेंट के पति बसंत लाल शर्मा को 9 लाख रुपए का मुआवजा देने को कहा है.

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सावित्री शर्मा के बेटे अनिल दत्त शर्मा, जो इस केस के वकील भी हैं, उन्होंने बताया कि जब वो अपनी मां को अस्पताल लाये थे तो डॉक्टर्स आपस में उलझ रहे थे. डॉक्टर्स ने उनसे कहा था कि स्प्लीन हटवाने की जरूरत नहीं है और इसे निकालने से पेशेंट को खतरा हो सकता है. उनके मुताबिक जब उन्होंने डॉक्टर्स से केस से जुडी मेडिकल रिपोर्ट्स मांगीं तो वो भी उन्हें नहीं दी गईं.

आयोग ने भी ये माना है कि परिवार को डॉक्टरों द्वारा समय पर स्प्लीन की स्थिति और बोन मेरो रिपोर्ट नहीं दी गई थी.

Sir Ganga Ram Hospital का क्या कहना है?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस पूरे मामले को लेकर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि पेशेंट के परिजन ने मेडिकल काउंसिल ऑफ दिल्ली में दो शिकायतें की थीं, जहां इस मामले में कोई मेडिकल लापरवाही नहीं पाई गई. डॉक्टर्स ने किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार करते हुए ये भी कहा कि उन्होंने पेशेंट की मानकों के तहत देखभाल की थी.

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