संतरा चोरी, कुल्फी चोरी, पैजामा चोरी... 100 साल पुरानी इन FIR को देख लोटपोट हो जाएंगे
जब नया-नया पुलिस एक्ट बना था, तो घर की एक प्लेट चोरी होने पर भी थाने में दरबार लग जाता था!

हाल ही मेरठ कमिश्नर सेल्वा कुमारी का कुत्ता खो गया. पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए 500 घरों की तलाशी ली. कुछ दिन पहले एक फिल्म आई थी ‘कटहल’. फिल्म में बताया गया था कि एक विधायक के घर से 2 कटहल गायब हो गए हैं. पूरी पुलिस फोर्स इन्हें ढूंढने में लग जाती है. याद होगा कुछ साल पहले ऐसा ही उत्तर प्रदेश में सपा नेता आजम खान की भैंस गुम हो जाने पर हुआ था.
अब आते हैं मुद्दे पर, सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन 100-150 साल पहले यही होता था. लोग छोटी-छोटी बात पर थाने पहुंच जाया करते थे. ऐसे कई केस दिल्ली पुलिस को अपने पुराने रिकॉर्ड्स में मिले हैं.
दरअसल, दिल्ली पुलिस डिजिटाइजेशन के लिए अपने पुराने रिकॉर्ड्स खंगाल रही है. इन्हें दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर अपडेट किया जाना है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को अपने पुराने रिकॉर्ड्स में कई अजीबो-गरीब मामले मिले हैं. इनमें किसी ने कुल्फी तो किसी ने पैजामा गुम हो जाने की शिकायत की है.
साल 1861 से 1900 के बीच 29 ऐसे अनोखे मामलों की FIR दर्ज हुई हैं. इनमें 104 कबूतर, 110 बकरी, एक जोड़ी पैजामा, 11 संतरे, 1 शराब की बोतल, एक प्लेट, चादर और एक कुल्फी गुम हो जाने की शिकायत भी शामिल है.
सरकारी सड़क पर लगा पेड़ चोरीपुलिस को 1 अक्टूबर 1899 की एक FIR मिली है. इसमें शिकायत है कि टोरी नाम के एक व्यक्ति ने सरकारी सड़क पर लगे कीकर के पेड़ को उखाड़ा. और अपने खेत में छिपाकर रख लिया. ये घटना दिल्ली के अलीपुर इलाके की है. इस मामले में टोरी को गिरफ्तार किया गया था. उसपर 5 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, एसीपी राजेंदर सिंह कलकल ने कहा,
सिगार के पैकेट और शराब की बोतल की कहानी"1800 के समय में ज्यादातर गिरफ्तारियां घटना के कुछ ही दिनों में हो जाया करती थीं. यहां तक कि इन पर सजाएं भी सुना दी जाती थीं. तब संतरे, कबूतरों, पैजामे की चोरी भी बड़ी बात होती थी. आज हमारे पास हजारों केस हैं. कुछ बेहद पेचीदे होतें हैं. इनकी जांच करने में बहुत समय लगता है. कोर्ट में अटके पड़े मामलों की वजह से सजा होने में भी समय लगता है."
उस समय के हाई प्रोफाइल केसेज में 1897 में इंपीरियल होटल में हुई एक चोरी भी शामिल है. FIR में लिखा है कि यहां के एक रसोइए ने अंग्रेजी में शिकायती पत्र लिखा. वो होटल से सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन आया. और बताया कि चोरों ने होटल के एक कमरे में घुसकर सिगार का एक पैकेट और शराब की एक बोतल चोरी की है. होटल ने आरोपी को ढूंढने पर 10 रुपए का इनाम भी घोषित किया था. लेकिन ये केस कभी भी सुलझ नहीं पाया.
जब संतरों की चोरी हुई16 फरवरी, 1891 की बात है, इस दिन सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन में एक केस दर्ज हुआ. इसमें 11 संतरों की चोरी की शिकायत की गई थी. इसमें लिखा था कि राम बख्स नाम के आरोपी ने अपने 4-5 साथियों के साथ मिलकर राम प्रसाद के खेत से 11 संतरे चोरी किए. काफी मशक्क्त के बाद 23 फरवरी 1891 को पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया. फिर उन्हें 1 महीने की सजा सुनाई गई.
पुरानी उर्दू में FIRदिल्ली पुलिस की परसेप्शन मैनेजमेंट और मीडिया सेल की टीमें डिजिटाइजेशन का काम कर रही हैं. FIR के रिसर्च और उन्हें बचाए रखने का काम इन टीमों को सौंपा गया है. इसका उद्देश्य दिल्ली पुलिस के इतिहास के बारे में लोगों को बताना है. साथ ही पुराने समय से सीख लेना भी है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ये शिकायतें शिकस्ता उर्दू में लिखी गई थीं. ये उर्दू लिखने की एक पुरानी लिपि है. जिसका इस्तेमाल अब ज्यादातर उर्दू बोलने वाले नहीं करते हैं. दिल्ली पुलिस ने बताया कि इन FIR को समझने के लिए उन्होंने उर्दू के स्कॉलर्स और मौलवियों की मदद ली है.
तब दिल्ली में कितने पुलिस स्टेशन थे?भारत में पहली बार 1861 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया था. दिल्ली, पंजाब और आसपास के इलाकों में पुलिस की व्यवस्था पहले से थी. लेकिन, 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के बाद यहां आधिकारिक तौर पर पुलिस की तैनाती हुई. 1861 में दिल्ली में 5 पुलिस स्टेशन हुआ करते थे. महरौली, सब्जी मंडी, नांगलोई, कोतवाली और सदर बाजार.