चाइनीज नहीं है चाइनीज मांझा, इंडियन है ये जो गर्दन काट देता है!
खून चख लिया है इस धागे ने.
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फोटो - thelallantop
एक पतंग उड़ रही है आसमान में. एक तीन साल की लड़की कार से झांक रही है. पतंग का धागा उसके गर्दन से लिपट जाता है. फिर रगड़ते हुए निकल जाता है. लड़की चीखती है. उसके घरवालों को समझ नहीं आता कि क्या हुआ. बच्ची की गर्दन से खून रिस रहा है. जब तक पता चलता, बच्ची मर जाती है.
एक बच्चा अपने पापा के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहा है. पीछे बैठा, वो अपने पापा से सवाल पे सवाल दागे जा रहा है. उचक-उचक के देखता है कि बाइक की स्पीड कितनी है. पापा कभी जवाब देते हैं, कभी हां-हूं कर देते हैं. अचानक कहीं से एक पतंग उड़ती आती है. उसका धागा बच्चे की गर्दन को रेत देता है. बच्चा चिल्लाता है. पापा जब तक समझते हैं, बच्चा मौत के करीब पहुंच जाता है.
ये दोनों घटनाएं दिल्ली में हुई हैं. ऐसी कई घटनाएं गुजरात और महाराष्ट्र में हुई हैं. पढ़ने में ऐसा लगता है कि किसी सीरियल किलर ने बच्चों की सुपारी ले रखी है. एक नए तरीके से क़त्ल हो रहा है. पर ये कोई सीरियल किलर नहीं है. ये मस्ती करते सज्जन और जिम्मेदार लोग हैं. खाली वक्त में पतंग उड़ाते हैं. दूसरे की पतंग काटनी भी होती है. इसलिए पतंग के धागे बहुत तेज-तरकस बनाये जाते हैं. यही धागे पतंग काटने के अलावा गर्दन काटने में काम आने लगे हैं. ये काम पूरी एकता के साथ अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इंडिया और बांग्लादेश में समान भाव से होता है.
15 अगस्त को दिल्ली में तीन लोग मरे इससे. इन घटनाओं से हड़ककर दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली सरकार को निर्देश दिए. सरकार ने इस धागे पर बैन लगा दिया है. पर इससे पहले दिल्ली सरकार और लेफ्टिनेंट गवर्नर में आदान-प्रदान हुआ कि किसने पहले क्या कहा और क्या नहीं कहा.
जो भी कहा हो, पर इस किलर धागे को चाइनीज मांझा कहते हैं. पर इसमें कुछ भी चाइनीज नहीं है. विशुद्ध इंडियन चीज है. पहले कॉटन के धागे लगते थे पतंगों में. इसको मजबूत बनाने के लिए चावल का आटा और मसाले लगाये जाते थे. पर थोड़ा जोर पड़ने पर ये टूट जाता था. इस टूटन से निजात पाने के लिए नए धागे लाये गए. नायलॉन के. यही हैं चाइनीज धागे. फिर इसको और मारक बनाया गया. इसमें कुछ चीजें मिलाई गईं:
1. शीशे का चूरा2. इंडस्ट्री में लगने वाले खतरनाक अधेसिव, जो उंगलियां भी चिपका देंगे 3. एल्युमीनियम ऑक्साइड, जो चमड़े पर रगड़ दें तो खंखोर देगा4. जिरकोनिया ऑक्साइड, जो एल्युमीनियम ऑक्साइड से भी बड़ा वाला है5. मैदा, जो कि पेस्ट बनाने के काम में आता है6. कहीं-कहीं लोग इसमें ब्लेड भी चिपका देते हैं.
15 अगस्त, रक्षाबंधन, मकर संक्रांति और 26 जनवरी पर पतंगबाज़ी विशेष रूप से होती है. हजारों लोग लगे रहते हैं. सबको मजा आता है. पतंग काटने और लूटने में. पर ये कटी पतंग ना जाने कब जाकर किसी को मार आती हैं. ये लोग समझ नहीं पाते. पिछले दो सालों में 15 लोग मर चुके हैं इस चाइनीज मांझे से. जरूरत यही है कि कॉटन के धागे का ही इस्तेमाल किया जाए. नायलॉन वाले का नहीं. लोगों की जानें पतंग काटने से ज्यादा कीमती हैं.