CJI चंद्रचूड़ के आदेश से बदली ज़िंदगी तो दलित छात्र पिता ने कर दी दिल को छू लेने वाली बात
CJI DY Chandrachud ने Supreme Court में मामले की सुनवाई के दौरान IIT Dhanbad को निर्देश दिया था कि वो छात्र को फौरन दाखिला दें. आर्थिक तंगी की वजह से छात्र एडमिशन फीस जमा नहीं कर पाया था. इस पर अब छात्र और उसके पिता की प्रतिक्रिया आई है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता में जब सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने धनबाद IIT में एडमिशन दिलाने का फ़ैसला दिया, तो कोर्ट से निकलते वक़्त 18 साल के दलित छात्र अतुल कुमार ने कहा- 'जो ट्रेन पटरी से उतर गई थी, वो वापस पटरी पर आ गई है.' अब इस पर अतुल के पिता राजेंद्र कुमार की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा है- 'मैं जो अपार खुशी महसूस कर रहा हूं, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता. यकीन मानिए, मैं अपनी खुशी का 1% भी बयां नहीं कर सकता. हर कोई खुश है... अतुल और उसके परिवार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने IIT धनबाद को निर्देश दिया कि उसे दाखिला दिया जाए, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्ट्रीम में.
पिता बोले- ‘मैं अपने बच्चे के लिए कुछ भी करूंगा.’17,500 रुपये की फ़ीस का भुगतान करने में कुछ मिनट की देरी के कारण अतुल को संस्थान में प्रवेश पाने का मौका नहीं मिला था. इसी पर सुनवाई हुई और कोर्ट का फ़ैसला आया. मुज़फ़्फ़रनगर के टिटोरा गांव के राजेंद्र और बेटा अतुल कोर्ट के फ़ैसले के इंतजार में दिल्ली में ही डेरा डाले हुए थे. पिता राजेंद्र कुमार इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े निर्भय ठाकुर के साथ बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने कहा,
मैं अपने बच्चे के लिए कुछ भी करूंगा. मैं बैंक से एजुकेशन लोन लेने की प्लानिंग कर रहा हूं. फ़ैसले के बाद अपने बेटे के चेहरे पर मुस्कान देखना मेरे लिए बहुत मायने रखता है. एडमिशन के लिए 17,500 रुपए जुटाना बहुत बड़ा काम था. मैंने पहले एक स्थानीय साहूकार से पैसे मांगे, जो पैसे देने के लिए तैयार हो गया. लेकिन आख़िरी समय में पीछे हट गया, जिससे उनके पास पैसे जुटाने के लिए सिर्फ़ पांच घंटे बचे.
इसके बाद, राजेंद्र के दोस्त टीटू 'भाई' ने उन्हें 10,000 रुपए उधार दिए. दूसरे दोस्त ओमपाल ने 4,000 रुपए दिए. बाक़ी 3,500 रुपए उसने अपने अकाउंट से निकाले. राजेंद्र ने आगे बताया,
मैं CJI और मेरे वकीलों अमोल चितले, प्रज्ञा बघेल और बाकी सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जो मेरी मदद करने के लिए आगे आए. कई लोगों ने हमसे कॉन्टैक्ट किया है और फ़ीस जमा करने में मदद की पेशकश की.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया कि अतुल राजेंद्र के चार बेटों में सबसे छोटा है, सभी पढ़ाई में अव्वल है. छात्र अतुल ने कहा, ‘मुझे बहुत खुशी है कि मेरी कड़ी मेहनत रंग लाई.' 9 जून को जब JEE (एडवांस्ड) के नतीजे घोषित हुए, तब अतुल के परिवार ने गांव में लड्डू बांटे थे. राजेंद्र ने बताया कि अब भी वैसी ही खुशी हुई, जैसी तब हुई थी. वो अब फिर अपने गांव में लड्डू बांटेंगे.
बताते चलें, फ़ैसला सुनाए जाने के समय अतुल और राजेंद्र दोनों ही सुप्रीम कोर्ट परिसर में मौजूद थे. चूंकि सिर्फ़ एक ही पास जारी किया गया था, इसलिए अतुल कोर्ट रूम के अंदर चला गया. जबकि उसके पिता बाहर बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे.
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मामला क्या है?IIT धनबाद में अतुल का सेलेक्शन हुआ. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कोर्स मिला. लेकिन फ़ीस समय से जमा न कर पाने वजह से उसने अपनी सीट खो दी. जब तक उन्होंने कोर्स के लिए 17,500 रुपये की फ़ीस जुटाई, तब तक पोर्टल का सर्वर बंद हो चुका था. उन्होंने पहले मद्रास हाई कोर्ट में अपील की, क्योंकि उस साल IIT मद्रास ने परीक्षा करवाई थी. लेकिन हाई कोर्ट ने उनसे कहा कि जो वो मांग रहे हैं, वो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं.
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. अब सोमवार, 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे प्रवेश दिया जाना चाहिए. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ मामले की सुनवाई की थी.
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